न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 29 Oct 2020 01:10 AM IST
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सभी राज्य सरकारों को सेक्स वर्करों को पर्याप्त मात्रा और समान रूप से सूखा राशन मुहैया कराने का निर्देश दिया है। इन सेक्स वर्करों की पहचान राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) ने की थी।
जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने राज्य सरकारों को सेक्स वर्करों की पहचान करने के लिए एनएसीओ और कानूनी सेवा प्राधिकरणों की मदद लेने तथा इनकी गोपनीयता बनाए रखने का निर्देश दिया। पीठ ने निर्देश दिया कि राज्य सरकारें एनएसीओ द्वारा तैयार मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन करते हुए सेक्स वर्करों को सूखा राशन वितरित करें।
पीठ ने सरकारों को चार हफ्ते के अंदर अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को भी कहा। पीठ ने कहा कि हमने राज्य सरकारों को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि राशन वितरण के लिए योजनाएं लागू हैं। यदि योजना नहीं है तो केंद्र सरकार की योजना लागू हो। गोपनीयता के संदर्भ में राज्यों को एनएसीओ के फार्मेंट को बनाए रखना होगा और पहचान उजागर नहीं करनी होगी। कोर्ट कोरोना वायरस महामारी के चलते सेक्स वर्करों को हो रही समस्याओं को उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
यूपी सरकार को लगाई फटकार
पीठ ने उत्तर प्रदेश को इस मामले में कड़ी फटकार लगाई। पीठ का मानना है कि प्रदेश सरकार ने आदेश को अनसुना किया और सेक्स वर्कर की पहचान नहीं की। पीठ ने कहा कि इस मामले में देरी नहीं होनी चाहिए थी, चार हफ्ते में आपने कुछ नहीं किया। कोई चार हफ्ते बिना राशन के कैसे रह सकता है। अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या आपने जिले लेवल पर किसी से संपर्क किया। कोर्ट ने कहा कि आप खुद को कल्याणकारी राज्य कहते हैं लेकिन चार हफ्तों में आप ने कुछ नहीं किया। चार हफ्तों में तो उनकी (सेक्स वर्कर्स) की हालत और खराब हो गई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार पर इस बाबत काम करने और बेहतर हलफनामा दाखिल करने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सभी राज्य सरकारों को सेक्स वर्करों को पर्याप्त मात्रा और समान रूप से सूखा राशन मुहैया कराने का निर्देश दिया है। इन सेक्स वर्करों की पहचान राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) ने की थी।
जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने राज्य सरकारों को सेक्स वर्करों की पहचान करने के लिए एनएसीओ और कानूनी सेवा प्राधिकरणों की मदद लेने तथा इनकी गोपनीयता बनाए रखने का निर्देश दिया। पीठ ने निर्देश दिया कि राज्य सरकारें एनएसीओ द्वारा तैयार मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन करते हुए सेक्स वर्करों को सूखा राशन वितरित करें।
पीठ ने सरकारों को चार हफ्ते के अंदर अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को भी कहा। पीठ ने कहा कि हमने राज्य सरकारों को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि राशन वितरण के लिए योजनाएं लागू हैं। यदि योजना नहीं है तो केंद्र सरकार की योजना लागू हो। गोपनीयता के संदर्भ में राज्यों को एनएसीओ के फार्मेंट को बनाए रखना होगा और पहचान उजागर नहीं करनी होगी। कोर्ट कोरोना वायरस महामारी के चलते सेक्स वर्करों को हो रही समस्याओं को उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
यूपी सरकार को लगाई फटकार
पीठ ने उत्तर प्रदेश को इस मामले में कड़ी फटकार लगाई। पीठ का मानना है कि प्रदेश सरकार ने आदेश को अनसुना किया और सेक्स वर्कर की पहचान नहीं की। पीठ ने कहा कि इस मामले में देरी नहीं होनी चाहिए थी, चार हफ्ते में आपने कुछ नहीं किया। कोई चार हफ्ते बिना राशन के कैसे रह सकता है। अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या आपने जिले लेवल पर किसी से संपर्क किया। कोर्ट ने कहा कि आप खुद को कल्याणकारी राज्य कहते हैं लेकिन चार हफ्तों में आप ने कुछ नहीं किया। चार हफ्तों में तो उनकी (सेक्स वर्कर्स) की हालत और खराब हो गई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार पर इस बाबत काम करने और बेहतर हलफनामा दाखिल करने को कहा।