सिपाझार में अतिक्रमण हटाने के दौरान हुई हिंसा को लेकर असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने आज कहा कि राज्य सरकार के पास एक खुफिया रिपोर्ट है। इसके मुताबिक कुछ लोगों ने पिछले 3 महीनों के दौरान यह कहते हुए 28 लाख रुपये जमा किए कि कोई बेदखली नहीं होगी। जब वे बेदखली का विरोध नहीं कर सके, तो उन्होंने लोगों को लामबंद किया और उस दिन कहर मचा दिया।
सीएम ने कहा कि हमारे पास 6 लोगों के नाम हैं। घटना से एक दिन पहले, पीएफआई ने बेदखल परिवारों को खाद्य सामग्री देने के नाम पर साइट का दौरा किया। कई सबूत अब सामने आ रहे हैं, जिसमें एक लेक्चरर सहित कुछ लोग शामिल हैं।
सीएम सरमा ने कहा कि लोगों की सहमति के बाद ही बेदखली की गई। मैंने उन्हें बेदखली के बारे में बताया था और यह सुनिश्चित कराया था कि कोई विरोध नहीं होगा, इसका उन्होंने वादा भी किया था। मैंने कांग्रेस को भी यही समझाया। वे मेरी बात से सहमत थे और मेरे निर्णय की सराहना की। लेकिन उन्होंने अगले दिन तबाही मचा दी।
दरांग में हुई हिंसा पर हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि 60 परिवारों को हटाने का काम था, लेकिन यहां 10,000 लोग आ गए। आखिर कौन इन्हें लेकर आया? पुलिस पर हमला क्यों किया? इन सब में पीएफआई का नाम आ रहा, लेकिन मैं इसपर कुछ नहीं कहूंगा। न्यायिक जांच में ये सामने आ जाएगा।
बता दें, पिछले गुरुवार को दारांग में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हो गई थी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और नौ पुलिसकर्मी घायल हुए थे। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने गोलियां भी चलाईं। हिमंत बिस्वा सरमा ने इस घटना को सांप्रदायिक रूप देने की निंदा की।
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सिपाझार में अतिक्रमण हटाने के दौरान हुई हिंसा को लेकर असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने आज कहा कि राज्य सरकार के पास एक खुफिया रिपोर्ट है। इसके मुताबिक कुछ लोगों ने पिछले 3 महीनों के दौरान यह कहते हुए 28 लाख रुपये जमा किए कि कोई बेदखली नहीं होगी। जब वे बेदखली का विरोध नहीं कर सके, तो उन्होंने लोगों को लामबंद किया और उस दिन कहर मचा दिया।
सीएम ने कहा कि हमारे पास 6 लोगों के नाम हैं। घटना से एक दिन पहले, पीएफआई ने बेदखल परिवारों को खाद्य सामग्री देने के नाम पर साइट का दौरा किया। कई सबूत अब सामने आ रहे हैं, जिसमें एक लेक्चरर सहित कुछ लोग शामिल हैं।
सीएम सरमा ने कहा कि लोगों की सहमति के बाद ही बेदखली की गई। मैंने उन्हें बेदखली के बारे में बताया था और यह सुनिश्चित कराया था कि कोई विरोध नहीं होगा, इसका उन्होंने वादा भी किया था। मैंने कांग्रेस को भी यही समझाया। वे मेरी बात से सहमत थे और मेरे निर्णय की सराहना की। लेकिन उन्होंने अगले दिन तबाही मचा दी।
दरांग में हुई हिंसा पर हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि 60 परिवारों को हटाने का काम था, लेकिन यहां 10,000 लोग आ गए। आखिर कौन इन्हें लेकर आया? पुलिस पर हमला क्यों किया? इन सब में पीएफआई का नाम आ रहा, लेकिन मैं इसपर कुछ नहीं कहूंगा। न्यायिक जांच में ये सामने आ जाएगा।
बता दें, पिछले गुरुवार को दारांग में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हो गई थी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और नौ पुलिसकर्मी घायल हुए थे। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने गोलियां भी चलाईं। हिमंत बिस्वा सरमा ने इस घटना को सांप्रदायिक रूप देने की निंदा की।