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shramik special trains can become the hub of communal strife, railways cautious
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सांप्रदायिक झगड़े का अड्डा बन सकती हैं श्रमिक ट्रेनें, रेलवे ने किया अलर्ट
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Wed, 06 May 2020 05:55 AM IST
प्रवासी मजदूरों व कामगारों को उनके मूल राज्य तक पहुंचाने के लिए चलाई जा रहीं श्रमिक ट्रेनें सांप्रदायिक उपद्रवों का केंद्र बन सकती हैं। इस बात की आशंका जताते हुए रेलवे ने अपने सभी जोन को भी सतर्क किया है। रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए सभी जोन को जारी गाइडलाइंस में ट्रेन के अंदर भी यात्रियों के व्यवहार पर नजर रखने का निर्देश दिया है।
रेलवे ने शुक्रवार से सोमवार शाम तक करीब 60 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के बाद अब सुरक्षा और सेनिटाइजेशन से जुड़े प्रोटोकॉल को लेकर विस्तृत गाइडलाइंस जारी की है। सोमवार को जारी गाइडलाइंस में प्रोटोकॉल को प्रारंभिक स्टेशन, गंतव्य स्टेशन और ट्रेन यात्रा के तीन हिस्सों में बांटा है।
इसमें कहा गया है कि ट्रेन के साथ ही स्टेशनों के प्रवेश और बाहर निकलने के रास्तों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाए। गाइडलाइंस में कहा गया है कि सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाने के लिए पूर्व सैनिकों, होमगार्डों और यहां तक कि निजी सुरक्षा कर्मियों की व्यवस्था कर ली जाए। यात्रियों के बीच किसी तरह की सांप्रदायिक या सामूहिक उपद्रव की संभावनाओं पर नजर रखने के लिए खुफिया एजेंसियों के साथ नजदीकी तालमेल बनाया जाएगा।
ऐसी किसी भी संभावना की जानकारी मिलने पर तत्काल सुरक्षा बढ़ाने जैसे आवश्यक उपाय कर लिए जाएं। किसी भी घटना की स्थिति में तत्काल राज्य पुलिस को जानकारी देकर जल्द से जल्द मदद ली जाए। रेलवे ने गाइडलाइंस में यह भी कहा है कि प्रारंभिक और गंतव्य स्टेशनों पर ट्रेन की हर हाल में अच्छी तरह सफाई कराकर उसे संक्रमणरहित भी किया जाए। चलती ट्रेन में मौजूद यात्रियों के लिए तरल साबुन और टॉयलेट की सफाई के लिए न्यूनतम संख्या में सफाई कर्मचारियों की भी व्यवस्था की जाए।
80 लाख रुपये हर चक्कर पर हो रहे हैं रेलवे के खर्च
सूत्रों ने बताया कि रेलवे को एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन के संचालन के लिए हर चक्कर पर 80 लाख रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। रेलवे ने इन ट्रेनों में स्लीपर क्लास टिकट के किराए के अलावा 30 रुपये सुपरफास्ट चार्ज और 20 रुपये स्पेशल ट्रेन चार्ज भी जोड़ा है।
हालांकि केंद्र सरकार का दावा है कि यह किराया प्रवासियों से वसूलने के बजाय 85 फीसदी बोझ रेलवे वहन कर रहा है, जबकि 15 फीसदी खर्च राज्यों से लिया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि पहली 34 ट्रेन के संचालन पर रेलवे ने 24 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जबकि राज्यों से महज 3.5 करोड़ रुपया लिया गया है।
70 हजार यात्री पहुंचाए गए
भारतीय रेलवे ने मंगलवार को बताया कि एक मई से चालू की गईं श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से अब तक करीब 70 हजार यात्रियों को ढोया जा चुका है। इसमें करीब 50 करोड़ का खर्च आया है। सोमवार शाम तक करीब 67 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई जा चुकी थी, जबकि मंगलवार को 21 ट्रेन बंगलूरू, सूरत, साबरमती, जालंधर, कोटा, एरनाकुलम आदि के लिए चलाई जानी थी।हर ट्रेन औसतन 1000 यात्री लेकर चल रही है। 24 डिब्बों वाली ट्रेन के हर डिब्बे में 72 सीट होती हैं, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के चलते 54 सीटों पर ही यात्री बैठाए जा रहे हैं।
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