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कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए बुराड़ी का निरंकारी मैदान किसानों का नया ठिकाना बना गया है। इस मैदान में पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड समेत कई राज्यों के किसान लगातार पहुंचने लगे हैं। किसानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्थानीय प्रशासन भी व्यवस्था में जुट गया है। वहीं, अभी भी हजारों किसानों का सिंघु बॉर्डर पर धरना-प्रदर्शन जारी है। किसानों का कहना है कि राजनीतिक दल हमारे आंदोलन को राजनीतिक रंग देने में जुटे हुए हैं। बुराड़ी मैदान में स्वागत के पोस्टर-बैनर लगाकर सियासत चमकाने में लगे हुए है।
पंजाब के किसान गुरमीत सिंह ने अमर उजाला से कहा, 'हमने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने के लिए सरकार से मंजूरी मांगी थी लेकिन हमें दिल्ली में कहीं भी प्रदर्शन की मंजूरी नहीं मिली। अब जब हम बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे है तो हमें बुराड़ी के निरंकारी मैदान में जाने के लिए कहा जा रहा है। आम आदमी पार्टी को पंजाब में वोट नहीं मिले और कांग्रेस की पंजाब में सरकार है। उनके कार्यकर्ता यहां स्वागत पोस्टर लगाकर अपना वोट बैंक साधने में जुटे हुए हैं, जबकि हमारा किसी भी पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है।'
एक बार जो अंदर आ गया फिर बाहर नहीं जा सकता है
सिंघु बॉर्डर से कई किसान संगठनों के जत्थे निरंकारी मैदान आ तो गए हैं, लेकिन उन्हें दोबारा सिंघु बॉर्डर पर नहीं जाने दिया जा रहा है। पुलिस ने किसानों के मैदान से जाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है। उत्तर प्रदेश से आए किसान गुरप्रीत सिंह ने अमर उजाला से कहा, 'आंदोलन के लिए सैकड़ों किसान सिंघु बॉर्डर से निरंकारी मैदान आ गए थे जब बाद में हमने दोबारा बॉर्डर पर जाना चाहा तो पुलिस ने जाने से मना कर दिया। जितने भी जत्थे आए थे वे अब यहीं रोक दिए गए हैं। सरकार हमें एक जगह इकठ्ठा होने से रोक रही है।'
सब बनना चाहते हैं किसानों के खास, चरम पर राजनीति
किसानों के खास बनने के लिए कोई भी राजनीति दल पीछे नहीं दिखाई दे रहा है। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता किसानों की मांग का समर्थन कर रहे है वहीं उनकी व्यवस्था में जुटे हुए नजर आ रहे हैं तो कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता मैदान में खाने-पीने की व्यवस्था करने में जुटे हुए हैं। इसके अलावा दोनों पार्टियों की यूथ विंग लोगों को कोरोना से बचाव करने के लिए भी प्रेरित कर रही है।
हम नहीं जाने वाले, हमसे यहां आकर बात करे सरकार
कृषि विरोध में आंदोलनकारी किसान इस बार सरकार से आर पार की लड़ाई में नजर आ रहे है। किसानों का कहना है कि हम अगले छह माह तक प्रदर्शन करने की तैयारी के साथ हैं। हमारे पास रजाई-गद्दा से लेकर राशन-पानी तक की पूरी व्यवस्था है। हम किसी से भी बात करने कहीं नहीं जाएंगे सरकार हमसे अब यहां आकर बात करें। गौरतलब है कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के धरने का रविवार को चौथा दिन है।
किसान दिल्ली की सीमा पर 26 नवंबर से डटे हुए है। किसान संगठनों ने गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। किसानों ने कहा है कि उनका प्रदर्शन सिंघु बॉर्डर पर ही जारी रहेगा। शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से अपील की थी कि किसान सिंघु बॉर्डर से हट जाएं और बुराड़ी के निरंकारी समागम मैदान में चले जाएं। सरकार किसानों से वहां बात करने को तैयार है। लेकिन किसानों ने इस अपील को ठुकरा दिया है।
कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए बुराड़ी का निरंकारी मैदान किसानों का नया ठिकाना बना गया है। इस मैदान में पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड समेत कई राज्यों के किसान लगातार पहुंचने लगे हैं। किसानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्थानीय प्रशासन भी व्यवस्था में जुट गया है। वहीं, अभी भी हजारों किसानों का सिंघु बॉर्डर पर धरना-प्रदर्शन जारी है। किसानों का कहना है कि राजनीतिक दल हमारे आंदोलन को राजनीतिक रंग देने में जुटे हुए हैं। बुराड़ी मैदान में स्वागत के पोस्टर-बैनर लगाकर सियासत चमकाने में लगे हुए है।
पंजाब के किसान गुरमीत सिंह ने अमर उजाला से कहा, 'हमने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने के लिए सरकार से मंजूरी मांगी थी लेकिन हमें दिल्ली में कहीं भी प्रदर्शन की मंजूरी नहीं मिली। अब जब हम बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे है तो हमें बुराड़ी के निरंकारी मैदान में जाने के लिए कहा जा रहा है। आम आदमी पार्टी को पंजाब में वोट नहीं मिले और कांग्रेस की पंजाब में सरकार है। उनके कार्यकर्ता यहां स्वागत पोस्टर लगाकर अपना वोट बैंक साधने में जुटे हुए हैं, जबकि हमारा किसी भी पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है।'
एक बार जो अंदर आ गया फिर बाहर नहीं जा सकता है
सिंघु बॉर्डर से कई किसान संगठनों के जत्थे निरंकारी मैदान आ तो गए हैं, लेकिन उन्हें दोबारा सिंघु बॉर्डर पर नहीं जाने दिया जा रहा है। पुलिस ने किसानों के मैदान से जाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है। उत्तर प्रदेश से आए किसान गुरप्रीत सिंह ने अमर उजाला से कहा, 'आंदोलन के लिए सैकड़ों किसान सिंघु बॉर्डर से निरंकारी मैदान आ गए थे जब बाद में हमने दोबारा बॉर्डर पर जाना चाहा तो पुलिस ने जाने से मना कर दिया। जितने भी जत्थे आए थे वे अब यहीं रोक दिए गए हैं। सरकार हमें एक जगह इकठ्ठा होने से रोक रही है।'
सब बनना चाहते हैं किसानों के खास, चरम पर राजनीति
किसानों के खास बनने के लिए कोई भी राजनीति दल पीछे नहीं दिखाई दे रहा है। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता किसानों की मांग का समर्थन कर रहे है वहीं उनकी व्यवस्था में जुटे हुए नजर आ रहे हैं तो कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता मैदान में खाने-पीने की व्यवस्था करने में जुटे हुए हैं। इसके अलावा दोनों पार्टियों की यूथ विंग लोगों को कोरोना से बचाव करने के लिए भी प्रेरित कर रही है।
हम नहीं जाने वाले, हमसे यहां आकर बात करे सरकार
कृषि विरोध में आंदोलनकारी किसान इस बार सरकार से आर पार की लड़ाई में नजर आ रहे है। किसानों का कहना है कि हम अगले छह माह तक प्रदर्शन करने की तैयारी के साथ हैं। हमारे पास रजाई-गद्दा से लेकर राशन-पानी तक की पूरी व्यवस्था है। हम किसी से भी बात करने कहीं नहीं जाएंगे सरकार हमसे अब यहां आकर बात करें। गौरतलब है कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के धरने का रविवार को चौथा दिन है।
किसान दिल्ली की सीमा पर 26 नवंबर से डटे हुए है। किसान संगठनों ने गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। किसानों ने कहा है कि उनका प्रदर्शन सिंघु बॉर्डर पर ही जारी रहेगा। शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों से अपील की थी कि किसान सिंघु बॉर्डर से हट जाएं और बुराड़ी के निरंकारी समागम मैदान में चले जाएं। सरकार किसानों से वहां बात करने को तैयार है। लेकिन किसानों ने इस अपील को ठुकरा दिया है।