मंगलवार सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री लॉकडाउन को आगे बढ़ाने के तरीके और सीमित तरीके से छूट देने संबंधी नीतिगत निर्णयों पर संकेत करते हुए देश को संबोधित करेंगे। मंत्रियों के समूह की रिपोर्ट भी आज शाम तक पीएम को सौंपे जाने की उम्मीद है। जान और जहान, दोनों की चिंता करते हुए देश को आगे ले चलने की चुनौती का दबाव सभी मंत्रालयों और उद्योगों के सामने है।
21 दिन के लॉकडाऊन का फायदा अब केंद्र सरकार ही नहीं, सभी राज्य सरकारें और विपक्षी दल भी महसूस कर रहे हैं। इसके कारण कोविड-19 का संक्रमण बड़े पैमाने जहां फैलने से रोका जा सका है, वहीं लाखों लोगों की जान पर मंडरा रहा खतरा खत्म हुआ है, लेकिन अब दूसरी चुनौती भी सामने है।
कामकाज ठप हो जाने से तमाम सेक्टरों में बड़ी छटपटाहट देखी जा रही है। कई मंत्रालय इसको लेकर भारी दबाव में है। लघु, सूक्ष्म एवं मझोले उद्योग मंत्रालय के एक निदेशक स्तर के अधिकारी के अनुसार उनके पास कामकाज को शुरू करने के लिए लगातार फोन आ रहे हैं।
आवेदनों की भरमार, काम करने की छूट चाहिए
नोएडा के जीएम डीआईसी अनिल कुमार और एसडीएम प्रसून द्विवेदी के पास इस तरह के आवेदनों की भरमार है, जहां उद्योग धंधो से जुड़े लोग कामकाज शुरू करने की अनुमति चाहते हैं। अंजनी टेक्नोप्लास्ट जैसी तमाम कंपनियों ने चिकित्सा से जुड़े सामानों को बनाने की अनुमति लेने का प्रयास किया है ताकि कामकाज शुरू हो सके।
पटपड़गंज से सचिन गुप्ता का हिमाचल प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में मझोले स्तर पर होटल का कारोबार है। सचिन बताते हैं कि उनके पास अपने कर्मचारियों को अब देने के लिए पैसे नहीं है। कामकाज ठप है। रोजाना का खर्चा निकालना मुश्किल है।
एयर इंडिया के कैप्टन कपिल रैना का कहना है कि एयरलाइंस क्षेत्र की हालत और भी ज्यादा खराब है। लंबे समय से तमाम एयर लाइंस के कैरियर खड़े हैं। कैप्टन रैना का कहना है कि हवाई यात्रा में तो सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना काफी मुश्किल है। करीब हर तरफ सरकार से पैकेज, जीवन बीमा समेत अन्य की मांग हो रही है।
स्थानीय, प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर पर आ रहे इस तरह के आवेदनों से निपटने के कारगर उपाय अभी मौजूद नहीं हैं। एक अभूतपूर्व स्तर की कैलिब्रेटेड रणनीति की जरूरत है, उसी का इंतजार देश कर रहा है।
तमाम मंत्रालयों पर है भारी दबाव
दूर संचार मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, भूतल एवं परिवहन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, रेल मंत्रालय समेत कई भारी दबाव में हैं। कोविड-19 संक्रमण से बचते हुए उद्योगों को खोलने की चुनौती ने सबके लिए बड़ी समस्या खड़ी कर दी है।
रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य का कहना है कि प्रधानमंत्री ठीक कह रहे हैं। पहले जान बचाना जरूरी है, लेकिन इसके साथ जहान के बारे में भी सोचना है। सूत्र का कहना है कि हर तालाबंदी के बाद गाड़ी धीरे-धीरे पटरी पर लानी होती है।
मेरे ख्याल में इसके बारे में सोचने का समय भी अब आ रहा है। वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि 14 अप्रैल को जब लॉकडाऊन समाप्त होगा तो दूसरे चरण की घोषणा में जहान को पटरी पर लाने का उपाय किए जाने के पूरे आसार हैं।
मंत्रियों का समूह सोमवार को सौंप सकता है रिपोर्ट पीएम को
भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के पास दो अहम मंत्रालय हैं। वह भूतल परिवहन मंत्री हैं और इसके साथ उनके पास सूक्ष्म, लघु, मध्यम इंटरप्राइजेज भी है। लॉकडाऊन के दौरान देश के सामने जरूरी सामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की समस्या विकराल रुप ले रही है।
उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के सामने भी इसी तरह का दबाव है। केन्द्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान के सामने भी सबसे बड़ी समस्या सामानों की आपूर्ति और उसके वितरण को लेकर आ रही है।
राज्य सरकारों की तरफ से भी जहां कोविड-19 के संक्रमण से निबटने की चुनौती है, वहीं देश में कामकाज, व्यवसाय, कारोबार को पटरी पर लाने की चुनौती है। इसे केन्द्र में रखकर राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों का समूह इस पर विचार कर रहा है। यह समूह आज प्रधानमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है।
मझोले उद्योगों का दर्दः गाइडलाइन कब मिलेगी
फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटर प्राइजेज के अनिल भारद्वाज जायज मांग उठा रहे हैं। अनिल का कहना है कि लघु और मझोले उद्योग रोज का खर्च कैसे चलाएं, कर्मचारियों को सेलरी कैसे दें? यह बड़ा नैतिक सवाल है।
दूसरी समस्या किराए पर लिए भवनों का किराया, न्यूनतम ही सही बिजली का बिल, साफ-सफाई, रख-रखाव का खर्च, बैंक के लोन का ब्याज सब कैसे दिया जाए। अभी तक इन सबके संदर्भ में सरकार की कोई गाइडलाइन नहीं आई है। इसलिए लोगों का तनाव काफी बढ़ रहा है।
सरकार लॉकडाऊन बढ़ाने का संकेत दे रही है। यह नहीं पता कब तक बढ़ाएगी, आगे क्या करेगी? यह सब कितने दिन तक चलेगा? सरकार कुछ क्षेत्रों में सीमित सहूलियत देने पर विचार कर रही है, लेकिन यदि कहीं एक कोविड-19 का संक्रमित व्यक्ति आ गया तब क्या होगा?
बताते हैं इन सब सवालों के जवाब लगातार सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्योग जुड़े लोगों को परेशान कर रहे हैं। क्योंकि आमदनी हो नहीं रही है, खर्चा नहीं निकल रहा है और ऊपर से रोजमर्रा का खर्च बढ़ रहा है।
विस्तार
मंगलवार सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री लॉकडाउन को आगे बढ़ाने के तरीके और सीमित तरीके से छूट देने संबंधी नीतिगत निर्णयों पर संकेत करते हुए देश को संबोधित करेंगे। मंत्रियों के समूह की रिपोर्ट भी आज शाम तक पीएम को सौंपे जाने की उम्मीद है। जान और जहान, दोनों की चिंता करते हुए देश को आगे ले चलने की चुनौती का दबाव सभी मंत्रालयों और उद्योगों के सामने है।
21 दिन के लॉकडाऊन का फायदा अब केंद्र सरकार ही नहीं, सभी राज्य सरकारें और विपक्षी दल भी महसूस कर रहे हैं। इसके कारण कोविड-19 का संक्रमण बड़े पैमाने जहां फैलने से रोका जा सका है, वहीं लाखों लोगों की जान पर मंडरा रहा खतरा खत्म हुआ है, लेकिन अब दूसरी चुनौती भी सामने है।
कामकाज ठप हो जाने से तमाम सेक्टरों में बड़ी छटपटाहट देखी जा रही है। कई मंत्रालय इसको लेकर भारी दबाव में है। लघु, सूक्ष्म एवं मझोले उद्योग मंत्रालय के एक निदेशक स्तर के अधिकारी के अनुसार उनके पास कामकाज को शुरू करने के लिए लगातार फोन आ रहे हैं।
आवेदनों की भरमार, काम करने की छूट चाहिए
नोएडा के जीएम डीआईसी अनिल कुमार और एसडीएम प्रसून द्विवेदी के पास इस तरह के आवेदनों की भरमार है, जहां उद्योग धंधो से जुड़े लोग कामकाज शुरू करने की अनुमति चाहते हैं। अंजनी टेक्नोप्लास्ट जैसी तमाम कंपनियों ने चिकित्सा से जुड़े सामानों को बनाने की अनुमति लेने का प्रयास किया है ताकि कामकाज शुरू हो सके।
पटपड़गंज से सचिन गुप्ता का हिमाचल प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में मझोले स्तर पर होटल का कारोबार है। सचिन बताते हैं कि उनके पास अपने कर्मचारियों को अब देने के लिए पैसे नहीं है। कामकाज ठप है। रोजाना का खर्चा निकालना मुश्किल है।
एयर इंडिया के कैप्टन कपिल रैना का कहना है कि एयरलाइंस क्षेत्र की हालत और भी ज्यादा खराब है। लंबे समय से तमाम एयर लाइंस के कैरियर खड़े हैं। कैप्टन रैना का कहना है कि हवाई यात्रा में तो सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना काफी मुश्किल है। करीब हर तरफ सरकार से पैकेज, जीवन बीमा समेत अन्य की मांग हो रही है।
स्थानीय, प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर पर आ रहे इस तरह के आवेदनों से निपटने के कारगर उपाय अभी मौजूद नहीं हैं। एक अभूतपूर्व स्तर की कैलिब्रेटेड रणनीति की जरूरत है, उसी का इंतजार देश कर रहा है।
तमाम मंत्रालयों पर है भारी दबाव
दूर संचार मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, भूतल एवं परिवहन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, रेल मंत्रालय समेत कई भारी दबाव में हैं। कोविड-19 संक्रमण से बचते हुए उद्योगों को खोलने की चुनौती ने सबके लिए बड़ी समस्या खड़ी कर दी है।
रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य का कहना है कि प्रधानमंत्री ठीक कह रहे हैं। पहले जान बचाना जरूरी है, लेकिन इसके साथ जहान के बारे में भी सोचना है। सूत्र का कहना है कि हर तालाबंदी के बाद गाड़ी धीरे-धीरे पटरी पर लानी होती है।
मेरे ख्याल में इसके बारे में सोचने का समय भी अब आ रहा है। वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि 14 अप्रैल को जब लॉकडाऊन समाप्त होगा तो दूसरे चरण की घोषणा में जहान को पटरी पर लाने का उपाय किए जाने के पूरे आसार हैं।
मंत्रियों का समूह सोमवार को सौंप सकता है रिपोर्ट पीएम को
भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के पास दो अहम मंत्रालय हैं। वह भूतल परिवहन मंत्री हैं और इसके साथ उनके पास सूक्ष्म, लघु, मध्यम इंटरप्राइजेज भी है। लॉकडाऊन के दौरान देश के सामने जरूरी सामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की समस्या विकराल रुप ले रही है।
उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के सामने भी इसी तरह का दबाव है। केन्द्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान के सामने भी सबसे बड़ी समस्या सामानों की आपूर्ति और उसके वितरण को लेकर आ रही है।
राज्य सरकारों की तरफ से भी जहां कोविड-19 के संक्रमण से निबटने की चुनौती है, वहीं देश में कामकाज, व्यवसाय, कारोबार को पटरी पर लाने की चुनौती है। इसे केन्द्र में रखकर राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों का समूह इस पर विचार कर रहा है। यह समूह आज प्रधानमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है।
मझोले उद्योगों का दर्दः गाइडलाइन कब मिलेगी
फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटर प्राइजेज के अनिल भारद्वाज जायज मांग उठा रहे हैं। अनिल का कहना है कि लघु और मझोले उद्योग रोज का खर्च कैसे चलाएं, कर्मचारियों को सेलरी कैसे दें? यह बड़ा नैतिक सवाल है।
दूसरी समस्या किराए पर लिए भवनों का किराया, न्यूनतम ही सही बिजली का बिल, साफ-सफाई, रख-रखाव का खर्च, बैंक के लोन का ब्याज सब कैसे दिया जाए। अभी तक इन सबके संदर्भ में सरकार की कोई गाइडलाइन नहीं आई है। इसलिए लोगों का तनाव काफी बढ़ रहा है।
सरकार लॉकडाऊन बढ़ाने का संकेत दे रही है। यह नहीं पता कब तक बढ़ाएगी, आगे क्या करेगी? यह सब कितने दिन तक चलेगा? सरकार कुछ क्षेत्रों में सीमित सहूलियत देने पर विचार कर रही है, लेकिन यदि कहीं एक कोविड-19 का संक्रमित व्यक्ति आ गया तब क्या होगा?
बताते हैं इन सब सवालों के जवाब लगातार सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्योग जुड़े लोगों को परेशान कर रहे हैं। क्योंकि आमदनी हो नहीं रही है, खर्चा नहीं निकल रहा है और ऊपर से रोजमर्रा का खर्च बढ़ रहा है।