विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात को चिंताजनक बताया। उन्होंने कहा कि यह एक तेजी से बदलती हुई स्थिति है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि वहां तत्काल और व्यापक युद्धविराम हो। बागची ने कहा, 'तालिबान से वार्ता करने के सवाल पर हम सभी हिस्सेदारों के साथ संपर्क में हैं। मैं इस बारे में कुछ और नहीं कहना चाहूंगा।'
अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों को लेकर अरिंदम बागची ने कहा कि हम स्थिति पर करीबी से नजर बनाए हुए हैं, हम वहां पर बिगड़ते सुरक्षा हालात को लेकर चिंतित हैं। काबुल में हमारे मिशन ने भारतीय नागरिकों के लिए इस सप्ताह एक एडवायजरी जारी की थी। इसमें उन्हें व्यावसायिक उड़ानों के जरिए भारत लौटने की तैयारियां करने को कहा गया है।
उन्होंने कहा कि हमने वाणिज्यिक माध्यमों से अफगानिस्तान छोड़ने के लिए एडवाइजरी जारी की है, क्योंकि वहां कोई औपचारिक निकासी तंत्र नहीं है। मजार-ए-शरीफ में हमारे वाणिज्य दूतावास ने इस सप्ताह सभी भारतीय कर्मियों को वापस ले लिया है। यह अस्थायी उपाय है। हमारा वाणिज्य दूतावास स्थानीय स्तर पर भर्ती कर्मचारियों के साथ काम कर रहा है।
बागची ने बताया कि पिछले साल काबुल में हमारे मिशन ने अफगानिस्तान से हिंदू और सिख समुदाय के 383 से अधिक लोगों को भारत वापस लाने में मदद की थी। उन्होंने कहा कि इस समय भी काबुल में हमारा मिशन अफगानिस्तानी हिंदू और सिख समुदाय के सदस्यों के संपर्क में बना हुआ है और हम सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध हो सके।
वहीं, तालिबान को पाकिस्तान से लगातार मिल रहे समर्थन को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय उस देश (पाकिस्तान) की भूमिका के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ है। अरिंदम बागची ने बताया कि भारत ने अफगानिस्तान में हालात को लेकर दोहा में आयोजित एक क्षेत्रीय कॉन्फ्रेंस में गुरुवार को कतर के निमंत्रण पर हिस्सा लिया था।
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात को चिंताजनक बताया। उन्होंने कहा कि यह एक तेजी से बदलती हुई स्थिति है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि वहां तत्काल और व्यापक युद्धविराम हो। बागची ने कहा, 'तालिबान से वार्ता करने के सवाल पर हम सभी हिस्सेदारों के साथ संपर्क में हैं। मैं इस बारे में कुछ और नहीं कहना चाहूंगा।'
अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों को लेकर अरिंदम बागची ने कहा कि हम स्थिति पर करीबी से नजर बनाए हुए हैं, हम वहां पर बिगड़ते सुरक्षा हालात को लेकर चिंतित हैं। काबुल में हमारे मिशन ने भारतीय नागरिकों के लिए इस सप्ताह एक एडवायजरी जारी की थी। इसमें उन्हें व्यावसायिक उड़ानों के जरिए भारत लौटने की तैयारियां करने को कहा गया है।
उन्होंने कहा कि हमने वाणिज्यिक माध्यमों से अफगानिस्तान छोड़ने के लिए एडवाइजरी जारी की है, क्योंकि वहां कोई औपचारिक निकासी तंत्र नहीं है। मजार-ए-शरीफ में हमारे वाणिज्य दूतावास ने इस सप्ताह सभी भारतीय कर्मियों को वापस ले लिया है। यह अस्थायी उपाय है। हमारा वाणिज्य दूतावास स्थानीय स्तर पर भर्ती कर्मचारियों के साथ काम कर रहा है।
बागची ने बताया कि पिछले साल काबुल में हमारे मिशन ने अफगानिस्तान से हिंदू और सिख समुदाय के 383 से अधिक लोगों को भारत वापस लाने में मदद की थी। उन्होंने कहा कि इस समय भी काबुल में हमारा मिशन अफगानिस्तानी हिंदू और सिख समुदाय के सदस्यों के संपर्क में बना हुआ है और हम सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध हो सके।
वहीं, तालिबान को पाकिस्तान से लगातार मिल रहे समर्थन को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय उस देश (पाकिस्तान) की भूमिका के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ है। अरिंदम बागची ने बताया कि भारत ने अफगानिस्तान में हालात को लेकर दोहा में आयोजित एक क्षेत्रीय कॉन्फ्रेंस में गुरुवार को कतर के निमंत्रण पर हिस्सा लिया था।