भारतीय रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत डायनेमिक्स लिमिटेड को एस्ट्रा एमके-आई (Astra MK-I) मिसाइल सिस्टम के निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट दिया है। इस तकनीक की मिसाइलों को भारतीय वायुसेना और नौसेना के लिए काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि इन एयर-टू-एयर मिसाइलों को लड़ाकू विमानों के जरिए बिना दुश्मन के क्षेत्र में जाए ही उस पर दागा जा सकता है। यानी इनकी बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) क्षमता इन्हें दुश्मन सेना के लिए काफी खतरनाक बनाती हैं।
रक्षा मंत्रालय ने इस मिसाइल सिस्टम को भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना के लिए 2971 करोड़ की लागत से खरीदने का समझौता किया है। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर एस्ट्रा एमके-1 मिसाइल सिस्टम है क्या और इसे इतना खतरनाक क्यों कहा जा रहा है?
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए, रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए 2,971 करोड़ रुपये की लागत से 31 मई को एस्ट्रा एमके-आई बीवीआर हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल की आपूर्ति के लिए भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।
अभी तक इस श्रेणी की मिसाइल को स्वदेशी रूप से बनाने की तकनीक उपलब्ध नहीं थी। एस्ट्रा एमके-आई बीवीआर एएएम को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। बीवीआर क्षमता वाली हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स को बड़ी स्टैंड-ऑफ रेंज प्रदान करती है।
रक्षा क्षेत्र में विदेशी स्रोतों पर निर्भरता होगी कम
विदेशी स्रोतों पर निर्भरता कम करते हुए बियॉन्ड विजुअल रेंज के साथ-साथ क्लोज कॉम्बैट एंगेजमेंट के लिए भारतीय वायु सेना द्वारा जारी की गई स्टाफ आवश्यकताओं पर आधारित है। ऐसी मिसाइलें दुश्मन के वायु रक्षा उपायों के सामने खुद को उजागर किए बिना शत्रु दल के विमानों को बेअसर कर सकती है। इससे हवाई क्षेत्र में श्रेष्ठता प्राप्त होती है और यह बनी रहती है। यह मिसाइल तकनीकी और आर्थिक रूप से ऐसी कई आयातित मिसाइल प्रणालियों से बेहतर है।
बयान में कहा गया है कि एस्ट्रा एमके-आई मिसाइल और इसके प्रक्षेपण, जमीनी तैयारी तथा परीक्षण के लिए सभी संबद्ध प्रणालियों को डीआरडीओ ने भारतीय वायुसेना के समन्वय से विकसित किया है। इस मिसाइल के लिए भारतीय वायुसेना द्वारा पहले ही सफल परीक्षण किए जा चुके हैं, यह पूरी तरह से सुखोई 30 MK-I लड़ाकू विमान में एकीकृत है और हल्के लड़ाकू विमान (तेजस) सहित चरणबद्ध तरीके से अन्य लड़ाकू विमानों के साथ इसे जोड़ा जाएगा। जबकि भारतीय नौसेना इस मिसाइल को मिग 29K लड़ाकू विमान में जोड़ेगी।
भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) करेगा उत्पादन
एस्ट्रा एमके-आई मिसाइल और सभी संबद्ध प्रणालियों के उत्पादन के लिए डीआरडीओ से बीडीएल को प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण पूरा कर लिया गया है और बीडीएल में उत्पादन प्रगति पर है। यह परियोजना बीडीएल में बुनियादी ढांचे और परीक्षण सुविधाओं के विकास के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी। यह एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में कम से कम 25 वर्षों की अवधि के लिए कई एमएसएमई के लिए अवसर भी पैदा करेगी।"
विस्तार
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत डायनेमिक्स लिमिटेड को एस्ट्रा एमके-आई (Astra MK-I) मिसाइल सिस्टम के निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट दिया है। इस तकनीक की मिसाइलों को भारतीय वायुसेना और नौसेना के लिए काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि इन एयर-टू-एयर मिसाइलों को लड़ाकू विमानों के जरिए बिना दुश्मन के क्षेत्र में जाए ही उस पर दागा जा सकता है। यानी इनकी बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) क्षमता इन्हें दुश्मन सेना के लिए काफी खतरनाक बनाती हैं।
रक्षा मंत्रालय ने इस मिसाइल सिस्टम को भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना के लिए 2971 करोड़ की लागत से खरीदने का समझौता किया है। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर एस्ट्रा एमके-1 मिसाइल सिस्टम है क्या और इसे इतना खतरनाक क्यों कहा जा रहा है?
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए, रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए 2,971 करोड़ रुपये की लागत से 31 मई को एस्ट्रा एमके-आई बीवीआर हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल की आपूर्ति के लिए भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।
अभी तक इस श्रेणी की मिसाइल को स्वदेशी रूप से बनाने की तकनीक उपलब्ध नहीं थी। एस्ट्रा एमके-आई बीवीआर एएएम को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। बीवीआर क्षमता वाली हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स को बड़ी स्टैंड-ऑफ रेंज प्रदान करती है।
रक्षा क्षेत्र में विदेशी स्रोतों पर निर्भरता होगी कम
विदेशी स्रोतों पर निर्भरता कम करते हुए बियॉन्ड विजुअल रेंज के साथ-साथ क्लोज कॉम्बैट एंगेजमेंट के लिए भारतीय वायु सेना द्वारा जारी की गई स्टाफ आवश्यकताओं पर आधारित है। ऐसी मिसाइलें दुश्मन के वायु रक्षा उपायों के सामने खुद को उजागर किए बिना शत्रु दल के विमानों को बेअसर कर सकती है। इससे हवाई क्षेत्र में श्रेष्ठता प्राप्त होती है और यह बनी रहती है। यह मिसाइल तकनीकी और आर्थिक रूप से ऐसी कई आयातित मिसाइल प्रणालियों से बेहतर है।
बयान में कहा गया है कि एस्ट्रा एमके-आई मिसाइल और इसके प्रक्षेपण, जमीनी तैयारी तथा परीक्षण के लिए सभी संबद्ध प्रणालियों को डीआरडीओ ने भारतीय वायुसेना के समन्वय से विकसित किया है। इस मिसाइल के लिए भारतीय वायुसेना द्वारा पहले ही सफल परीक्षण किए जा चुके हैं, यह पूरी तरह से सुखोई 30 MK-I लड़ाकू विमान में एकीकृत है और हल्के लड़ाकू विमान (तेजस) सहित चरणबद्ध तरीके से अन्य लड़ाकू विमानों के साथ इसे जोड़ा जाएगा। जबकि भारतीय नौसेना इस मिसाइल को मिग 29K लड़ाकू विमान में जोड़ेगी।
भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) करेगा उत्पादन
एस्ट्रा एमके-आई मिसाइल और सभी संबद्ध प्रणालियों के उत्पादन के लिए डीआरडीओ से बीडीएल को प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण पूरा कर लिया गया है और बीडीएल में उत्पादन प्रगति पर है। यह परियोजना बीडीएल में बुनियादी ढांचे और परीक्षण सुविधाओं के विकास के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी। यह एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में कम से कम 25 वर्षों की अवधि के लिए कई एमएसएमई के लिए अवसर भी पैदा करेगी।"