पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता व विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कोलकाता नगर निगम चुनाव में हिंसा व धांधली का आरोप लगाया है। सुवेंदु अधिकारी अपने भाजपा प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्य चुनाव आयुक्त कार्यालय के अंदर धरने पर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है। उन्होंने इन चुनाव को निरस्त करने की मांग की और सीएम ममता बनर्जी की तुलना उत्तर कोरिया के निरंकुश शासक किम जोंग से कर दी।
राज्यपाल से मुलाकात के पूर्व अधिकारी ने कहा कि हमारे पास फर्जी मतदान के सबूत हैं। इन चुनावों को निरस्त करना चाहिए। सुवेंदु के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधि मंडल कोलकाता में राजभवन पहुंचा और राज्यपाल जगदीप धनखड़ से चुनाव में हिंसा व धांधली की शिकायत की।
जेपी नड्डा ने उठाए सवाल
यह निराशाजनक है कि ममता बनर्जी वरिष्ठ भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के साथ हाथापाई करने के लिए पुलिस का इस्तेमाल कर रही हैं। केएमसी में व्यापक चुनावी कदाचार की खबरें और अब प्रशासन का यह दुरुपयोग लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।
बंगाल की भाजपा विधायक अग्निमित्रा पाल ने आरोप लगाया गया रविवार को हुए कोलकाता नगर निगम चुनाव के दौरान देसी बम फेंके गए। हमारे बूथ एजेंटों को पीटा गया। मतदान केंद्रों पर लगे सीसीटीवी कैमरों को फोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि कोलकाता पुलिस के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने वोट की लूट की, भाजपा की मांग है कि चुनाव रद्द करके फिर से चुनाव हो। सड़क पर भी लड़ाई होगी और कानूनी लड़ाई भी।
रूपा गांगुली ने भाजपा को ही घेरा
भाजपा से राज्यसभा सांसद रूपा गांगुली ने पश्चिम बंगाल भाजपा के एक वर्ग पर हमला बोला। उन्होंने रविवार को दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस के इस आरोप के पीछे कुछ सच्चाई हो सकती है कि कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के लिए उम्मीदवारों का चयन करते समय पैसों का लेनदेन किया गया। दक्षिण कोलकाता के एक बूथ पर वोट डालने के बाद पत्रकारों से बात कर रहीं अभिनेत्री से नेता बनीं रूपा ने यह भी दावा किया कि पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख सुकांत मजूमदार को शायद सब कुछ पता नहीं है क्योंकि वह नवनियुक्त हैं, जबकि दिलीप घोष की पूरी टीम अभी भी वहीं है। उन्हें गलत कामों को रोकना चाहिए।
वाम दल, कांग्रेस, भाजपा ने लगाए धांधली के आरोप
अपने राजनीतिक मतभेदों को परे रखते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के सदस्यों ने कोलकाता नगर निगम चुनाव के दौरान क्षेत्र के दो बूथ पर तृणमूल कांग्रेस द्वारा कथित धांधली के विरोध में रविवार को शहर के एक थाने के बाहर प्रदर्शन किया।
उत्तरी कोलकाता के हाथीबागान इलाके में बर्टोला थाने के बाहर तीनों पार्टियों के कार्यकर्ता अपनी-अपनी पार्टी के झंडे लेकर विरोध प्रदर्शन करने आए। उन्होंने मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी के खिलाफ नारेबाजी की और दोनों बूथ पर दोबारा मतदान कराने की मांग की।
कोलकाता नगर निगम (केएमसी) का चुनाव रविवार को हुआ। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि केएमसी चुनाव में टीएमसी ने डराने धमकाने की रणनीति अपनाकर और धांधली कर सभी विपक्षी दलों-भाजपा के साथ-साथ वाम मोर्चा और कांग्रेस के लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिए। भाजपा नेता अधिकारी ने कहा, ‘‘इसलिए, वे सभी लोकतंत्र की हत्या का विरोध करने के लिए एक साथ आए।’’
राज्यपाल धनखड़ ने सरकार के अड़ियल रुख पर जताई चिंता
इस बीच बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी) के अध्यक्ष की नियुक्ति पर ममता बनर्जी सरकार के अड़ियल रुख को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने सरकार से वह समय-सीमा बताने को कहा है जिसके तहत आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए सिफारिश की जाएगी।
राज्यपाल ने ट्वीट किया, इस बात को जरूर संज्ञान में लिया जाए कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का निष्कर्ष है कि राज्य में ‘कानून का राज नहीं, बल्कि शासक का कानून’ है। इसलिए स्थिति को संभालने की कोशिश की जाए। राज्य में चुनाव बाद हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा नियुक्त तथ्यान्वेषी समिति ने जुलाई में कहा था कि पश्चिम बंगाल में स्थिति ‘कानून के राज के बजाय शासक के कानून का परिचायक’ है।
सरकार को भेजे पत्र में राज्यपाल ने कहा कि मानवाधिकार सुरक्षा अधिनियम, 1993 के तहत राज्य आयोग में एक अध्यक्ष होगा जो किसी हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश रहा हो तथा एक सदस्य हाईकोर्ट का पूर्व न्यायाधीश या राज्य में जिला न्यायाधीश रहा हो तथा एक अन्य सदस्य ऐसा व्यक्ति हो, जिसे मानवाधिकार से जुड़े मामलों का ज्ञान हो।
धनखड़ ने कहा कि इन सभी तीनों सदस्यों में अध्यक्ष समेत दो सदस्य न्यायपालिका या न्यायिक पृष्ठभूमि से हों। उन्होंने कहा, स्थिति जो सामने आई है, वह यह है कि वर्तमान अध्यक्ष 20 दिसंबर, 2021 को अपना पद छोड़ेंगे तथा उसके बाद आयोग में एकमात्र सदस्य श्री नपराजित रह जाएंगे। उसके बाद आयोग में न्यायपालिका या न्यायिक पृष्ठभूमि का कोई भी सदस्य नहीं होगा।
विस्तार
पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता व विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कोलकाता नगर निगम चुनाव में हिंसा व धांधली का आरोप लगाया है। सुवेंदु अधिकारी अपने भाजपा प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्य चुनाव आयुक्त कार्यालय के अंदर धरने पर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र की हत्या है। उन्होंने इन चुनाव को निरस्त करने की मांग की और सीएम ममता बनर्जी की तुलना उत्तर कोरिया के निरंकुश शासक किम जोंग से कर दी।
राज्यपाल से मुलाकात के पूर्व अधिकारी ने कहा कि हमारे पास फर्जी मतदान के सबूत हैं। इन चुनावों को निरस्त करना चाहिए। सुवेंदु के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधि मंडल कोलकाता में राजभवन पहुंचा और राज्यपाल जगदीप धनखड़ से चुनाव में हिंसा व धांधली की शिकायत की।
जेपी नड्डा ने उठाए सवाल
यह निराशाजनक है कि ममता बनर्जी वरिष्ठ भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के साथ हाथापाई करने के लिए पुलिस का इस्तेमाल कर रही हैं। केएमसी में व्यापक चुनावी कदाचार की खबरें और अब प्रशासन का यह दुरुपयोग लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।
बंगाल की भाजपा विधायक अग्निमित्रा पाल ने आरोप लगाया गया रविवार को हुए कोलकाता नगर निगम चुनाव के दौरान देसी बम फेंके गए। हमारे बूथ एजेंटों को पीटा गया। मतदान केंद्रों पर लगे सीसीटीवी कैमरों को फोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि कोलकाता पुलिस के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस ने वोट की लूट की, भाजपा की मांग है कि चुनाव रद्द करके फिर से चुनाव हो। सड़क पर भी लड़ाई होगी और कानूनी लड़ाई भी।
रूपा गांगुली ने भाजपा को ही घेरा
भाजपा से राज्यसभा सांसद रूपा गांगुली ने पश्चिम बंगाल भाजपा के एक वर्ग पर हमला बोला। उन्होंने रविवार को दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस के इस आरोप के पीछे कुछ सच्चाई हो सकती है कि कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के लिए उम्मीदवारों का चयन करते समय पैसों का लेनदेन किया गया। दक्षिण कोलकाता के एक बूथ पर वोट डालने के बाद पत्रकारों से बात कर रहीं अभिनेत्री से नेता बनीं रूपा ने यह भी दावा किया कि पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख सुकांत मजूमदार को शायद सब कुछ पता नहीं है क्योंकि वह नवनियुक्त हैं, जबकि दिलीप घोष की पूरी टीम अभी भी वहीं है। उन्हें गलत कामों को रोकना चाहिए।
वाम दल, कांग्रेस, भाजपा ने लगाए धांधली के आरोप
अपने राजनीतिक मतभेदों को परे रखते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के सदस्यों ने कोलकाता नगर निगम चुनाव के दौरान क्षेत्र के दो बूथ पर तृणमूल कांग्रेस द्वारा कथित धांधली के विरोध में रविवार को शहर के एक थाने के बाहर प्रदर्शन किया।
उत्तरी कोलकाता के हाथीबागान इलाके में बर्टोला थाने के बाहर तीनों पार्टियों के कार्यकर्ता अपनी-अपनी पार्टी के झंडे लेकर विरोध प्रदर्शन करने आए। उन्होंने मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी के खिलाफ नारेबाजी की और दोनों बूथ पर दोबारा मतदान कराने की मांग की।
कोलकाता नगर निगम (केएमसी) का चुनाव रविवार को हुआ। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि केएमसी चुनाव में टीएमसी ने डराने धमकाने की रणनीति अपनाकर और धांधली कर सभी विपक्षी दलों-भाजपा के साथ-साथ वाम मोर्चा और कांग्रेस के लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिए। भाजपा नेता अधिकारी ने कहा, ‘‘इसलिए, वे सभी लोकतंत्र की हत्या का विरोध करने के लिए एक साथ आए।’’
राज्यपाल धनखड़ ने सरकार के अड़ियल रुख पर जताई चिंता
इस बीच बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी) के अध्यक्ष की नियुक्ति पर ममता बनर्जी सरकार के अड़ियल रुख को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने सरकार से वह समय-सीमा बताने को कहा है जिसके तहत आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए सिफारिश की जाएगी।
राज्यपाल ने ट्वीट किया, इस बात को जरूर संज्ञान में लिया जाए कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का निष्कर्ष है कि राज्य में ‘कानून का राज नहीं, बल्कि शासक का कानून’ है। इसलिए स्थिति को संभालने की कोशिश की जाए। राज्य में चुनाव बाद हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा नियुक्त तथ्यान्वेषी समिति ने जुलाई में कहा था कि पश्चिम बंगाल में स्थिति ‘कानून के राज के बजाय शासक के कानून का परिचायक’ है।
सरकार को भेजे पत्र में राज्यपाल ने कहा कि मानवाधिकार सुरक्षा अधिनियम, 1993 के तहत राज्य आयोग में एक अध्यक्ष होगा जो किसी हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश रहा हो तथा एक सदस्य हाईकोर्ट का पूर्व न्यायाधीश या राज्य में जिला न्यायाधीश रहा हो तथा एक अन्य सदस्य ऐसा व्यक्ति हो, जिसे मानवाधिकार से जुड़े मामलों का ज्ञान हो।
धनखड़ ने कहा कि इन सभी तीनों सदस्यों में अध्यक्ष समेत दो सदस्य न्यायपालिका या न्यायिक पृष्ठभूमि से हों। उन्होंने कहा, स्थिति जो सामने आई है, वह यह है कि वर्तमान अध्यक्ष 20 दिसंबर, 2021 को अपना पद छोड़ेंगे तथा उसके बाद आयोग में एकमात्र सदस्य श्री नपराजित रह जाएंगे। उसके बाद आयोग में न्यायपालिका या न्यायिक पृष्ठभूमि का कोई भी सदस्य नहीं होगा।