न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 22 Oct 2020 09:21 AM IST
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चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में जारी तनातनी के बीच भारत एक नई एयर-लॉन्च मिसाइल विकसित कर रहा है, जो 10 किमी से अधिक की स्टैंड-ऑफ दूरी से दुश्मन के टैंक को मार गिराने में सक्षम होगी। इसका आने वाले दो महीने में परीक्षण किया जाएगा। इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) विकसित कर रहा है। इसकी जानकारी बुधवार को घटनाक्रम से संबंधित उच्च अधिकारियों ने दी।
हफ्ते की शुरुआत में ही भारत ने स्वदेशी स्टैंड ऑफ एंटी-टैंक मिसाइल (सैंट) का सफल परीक्षण किया है। डीआरडीओ ने इस मिसाइल को भारतीय वायुसेना के लिए विकसित किया है। मीडिया रिपोर्ट के अऩुसार, माना जा रहा है कि विकसित की जाने वाली नई एयर-लॉन्च मिसाइल को रूसी मूल के एमआई-35 हेलिकॉप्टर में जोड़ा जाएगा जिसमें एक बेहतर स्टैंड-ऑफ रेंज से दुश्मन को नष्ट करने की क्षमता होगी। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी।
एमआई-35 पर मौजूदा रूसी मूल की शटर्म (Shturm) मिसाइल पांच किमी की रेंज में टैंकों को निशाना बना सकती है। गनशिप के अन्य हथियारों में अलग-अलग कैलिबर के रॉकेट, 500 किलोग्राम के बम, 12.7 एमएम की बंदूकें और 23 एमएम की तोप शामिल हैं। इसे दिसंबर में पहली बार एमआई-35 हेलीकॉप्टर के गनशिप से लॉन्च किया जाएगा।
यह भी पढ़ें- डीआरडीओ द्वारा तैयार घातक 'नाग' एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का हुआ सफल परीक्षण
एक अधिकारी ने बताया, एमआई-35 गनशिप से मिसाइल के पहले परीक्षण को लेकर तैयारी की जा रही है। अगले साल श्रृंखलाबद्ध तरीके से मिसाइल का एयर-लॉन्च परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद यह इंडक्शन (शामिल किए जाने) के लिए तैयार हो जाएगी। अधिकारी ने बताया कि प्रक्षेपण के बाद मिसाइल में लॉक-ऑन होगा और लॉन्च से पहले भी लॉक-ऑन होने की क्षमता होगी।
लॉक-ऑन का मतलब है लक्ष्य का पता लगाना और लक्ष्य की स्थिति में किसी भी तरह के बदलाव के बावजूद मिसाइल द्वारा उसे निशाना बनाना। एक अधिकारी ने बताया कि 2021 के अंत तक परिचालन से पहले हेलीकॉप्टर से नई मिसाइल का आठ से 10 बार परीक्षण किए जाने की योजना है। डीआरडीओ द्वारा विकसित मौजूदा एंटी-टैंक मिसाइलें- नाग और हेलिना की मारक क्षमता पांच किमी है।
चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में जारी तनातनी के बीच भारत एक नई एयर-लॉन्च मिसाइल विकसित कर रहा है, जो 10 किमी से अधिक की स्टैंड-ऑफ दूरी से दुश्मन के टैंक को मार गिराने में सक्षम होगी। इसका आने वाले दो महीने में परीक्षण किया जाएगा। इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) विकसित कर रहा है। इसकी जानकारी बुधवार को घटनाक्रम से संबंधित उच्च अधिकारियों ने दी।
हफ्ते की शुरुआत में ही भारत ने स्वदेशी स्टैंड ऑफ एंटी-टैंक मिसाइल (सैंट) का सफल परीक्षण किया है। डीआरडीओ ने इस मिसाइल को भारतीय वायुसेना के लिए विकसित किया है। मीडिया रिपोर्ट के अऩुसार, माना जा रहा है कि विकसित की जाने वाली नई एयर-लॉन्च मिसाइल को रूसी मूल के एमआई-35 हेलिकॉप्टर में जोड़ा जाएगा जिसमें एक बेहतर स्टैंड-ऑफ रेंज से दुश्मन को नष्ट करने की क्षमता होगी। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी।
एमआई-35 पर मौजूदा रूसी मूल की शटर्म (Shturm) मिसाइल पांच किमी की रेंज में टैंकों को निशाना बना सकती है। गनशिप के अन्य हथियारों में अलग-अलग कैलिबर के रॉकेट, 500 किलोग्राम के बम, 12.7 एमएम की बंदूकें और 23 एमएम की तोप शामिल हैं। इसे दिसंबर में पहली बार एमआई-35 हेलीकॉप्टर के गनशिप से लॉन्च किया जाएगा।
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एक अधिकारी ने बताया, एमआई-35 गनशिप से मिसाइल के पहले परीक्षण को लेकर तैयारी की जा रही है। अगले साल श्रृंखलाबद्ध तरीके से मिसाइल का एयर-लॉन्च परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद यह इंडक्शन (शामिल किए जाने) के लिए तैयार हो जाएगी। अधिकारी ने बताया कि प्रक्षेपण के बाद मिसाइल में लॉक-ऑन होगा और लॉन्च से पहले भी लॉक-ऑन होने की क्षमता होगी।
लॉक-ऑन का मतलब है लक्ष्य का पता लगाना और लक्ष्य की स्थिति में किसी भी तरह के बदलाव के बावजूद मिसाइल द्वारा उसे निशाना बनाना। एक अधिकारी ने बताया कि 2021 के अंत तक परिचालन से पहले हेलीकॉप्टर से नई मिसाइल का आठ से 10 बार परीक्षण किए जाने की योजना है। डीआरडीओ द्वारा विकसित मौजूदा एंटी-टैंक मिसाइलें- नाग और हेलिना की मारक क्षमता पांच किमी है।