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What is Hindenburg Know The Dispute Between Adani Group And Hindenburg According to Report Timeline
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Hindenburg: क्या है हिंडनबर्ग, जिसकी रिपोर्ट से अदाणी को हुआ भारी नुकसान, क्यों होता है इसके दावों पर विवाद?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवेंद्र तिवारी
Updated Sat, 04 Feb 2023 11:33 AM IST
सार
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Hindenburg Adani Report Summary: रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 प्रश्नों को शामिल किया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है।
अदाणी ग्रुप को लेकर सड़क से संसद तक तक हंगामा जारी है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से अदाणी के शेयर्स में भारी गिरावट हो रही है। इस बीच, विपक्ष ने भी अदाणी समूह पर जांच की मांग शुरू कर दी है। वहीं, अदाणी समूह ने पहले ही इस मामले में अपना पक्ष रख दिया है। हालांकि, अब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। आरोप है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के पीछे एक बड़ी साजिश है। इसमें बहुत से लोग शामिल हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये हिंडनबर्ग है क्या? हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह को लेकर क्या रिपोर्ट जारी की है? इस पर अदाणी समूह का क्या कहना है? डिंडनबर्ग समूह पहले किन कंपनियों पर इस तरह की रिपोर्ट जारी की है? हिंडनबर्ग समूह की विश्वस्नीयता पर क्यों सवाल किए जा रहे हैं? आइये जानते हैं…
गौतम अदाणी
- फोटो : अमर उजाला
क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च?
हिंडनबर्ग रिसर्च एक वित्तीय शोध करने वाली कंपनी है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट के आंकड़ों का विश्लेषण करती है। इसकी स्थापना साल 2017 में नाथन एंडरसन ने की है। हिंडनबर्ग रिसर्च हेज फंड का कारोबार भी करती है। इसे कॉरपोरेट जगत की गतिविधियों के बारे में खुलासा करने के लिए जाना जाता है। इस कंपनी का नाम हिंडनबर्ग आपदा पर आधारित है जो 1937 में हुई थी, जब एक जर्मन यात्री हवाई पोत में आग लग गई थी, जिसमें 35 लोग मारे गए थे।
कंपनी यह पता लगती है कि क्या शेयर मार्केट में कहीं गलत तरीके से पैसों की हेरा-फेरी तो नहीं हो रही है? क्या कोई कंपनी अकाउंट मिसमैनेजमेंट तो खुद को बड़ा नहीं दिखा रही है? क्या कंपनी अपने फायदे के लिए शेयर मार्केट में गलत तरह से दूसरी कंपनियों के शेयर को बेट लगाकर नुकसान तो नहीं पहुंचा रही?
Share Market
- फोटो : पिक्साबे
हिंडनबर्ग की हालिया रिपोर्ट में क्या है?
25 जनवरी को हिंडनबर्ग ने अदाणी ग्रुप के संबंध में 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 प्रश्नों को शामिल किया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन साल में शेयरों की कीमतें बढ़ने से अदाणी समूह के संस्थापक गौतम अदाणी की संपत्ति एक अरब डॉलर बढ़कर 120 अरब डॉलर हो गई है। इस दौरान समूह की 7 कंपनियों के शेयर औसत 819 फीसदी बढ़े हैं।
कई देशों में हैं मुखौटा कंपनियां होने का आरोप
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक टैक्स हेवन देशों में अदाणी परिवार की कई मुखौटा कंपनियों का विवरण है। आरोपों के मुताबिक, इनका उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लांड्रिंग के लिए किया गया। इन मुखौटा कंपनियों के जरिए फंड की हेराफेरी भी की गई।
कंपनी ने कहा है कि इस शोध रिपोर्ट के लिए अदाणी समूह के पूर्व अधिकारियों सहित दर्जनों लोगों से बात की गई। हजारों दस्तावेजों की समीक्षा हुई और आधा दर्जन देशों में दौरा किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर शेयरों को गिरवी रखकर कर्ज लिया गया। रिपोर्ट जारी करने के बाद हिंडनबर्ग ने कहा कि यदि गौतम अदाणी वास्तव में पारदर्शिता को अपनाते हैं, जैसा कि वे दावा करते हैं, तो उन्हें उत्तर देना चाहिए।
अदाणी समूह का इस रिपोर्ट पर क्या रुख है?
रिपोर्ट आने के बाद अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी। अदाणी समूह ने इसे निराधार और बदनाम करने वाला बताया। समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) जुगेशिंदर सिंह ने कहा, रिपोर्ट में इस्तेमाल तथ्यात्मक आंकड़े प्राप्त करने के लिए समूह से कोई संपर्क नहीं किया गया। यह रिपोर्ट चुनिंदा गलत व बासी सूचनाओं, निराधार और बदनाम करने की मंशा से किया गया एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन है। अदाणी समूह के लीगल हेड जतिन जलुंढ़वाला ने कहा कि शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग को अदाणी समूह के शेयरों में आने वाली गिरावट से फायदा होगा। अदाणी समूह ने कहा कि हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी।
अदाणी समूह की कानूनी कर्रवाई की चेतावनी पर हिंडनबर्ग का क्या जवाब?
अदाणी समूह की कानूनी चेतावनी के बाद हिंडनबर्ग ने कहा कि वह कानूनी कार्रवाई की कंपनी की धमकियों का स्वागत करेगा। हिंडनबर्ग ने कहा कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह से कायम है। हिंडनबर्ग ने कहा कि अगर अदाणी गंभीर हैं, तो उन्हें अमरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए, जहां हम काम करते हैं। हमारे पास कानूनी जांच प्रक्रिया में मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी सूची है।
पहले किन रिपोर्ट्स को लेकर चर्चा में रहा हिंडनबर्ग?
अदाणी समूह कोई पहला नहीं है जिसपर अमेरिकी फर्म ने रिपोर्ट जारी की है। इससे पहले इसने अमेरिका, कनाडा और चीन की करीब 18 कंपनियों को लेकर अलग अलग रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसके बाद काफी घमसान मचा। ज्यादातर कंपनियां अमेरिका की ही थीं, जिनपर अलग-अलग आरोप लगे।
हिंडनबर्ग की सबसे चर्चित रिपोर्ट अमेरिका की ऑटो सेक्टर की बड़ी कंपनी निकोला को लेकर रही। इस रिपोर्ट के बाद निकोला के शेयर 80 फीसदी तक टूट गए थे। निकोला को लेकर जारी रिपोर्ट में व्हिसलब्लोअर और पूर्व कर्मचारियों की मदद से कथित फर्जीवाड़े को उजागर किया गया था। निकोला के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष ट्रेवर मिल्टन ने तुरंत कंपनी से इस्तीफा दे दिया। रिपोर्ट के बाद कंपनी जांच के दायरे में है।
इन कंपनियों को लेकर हुए हैं खुलासे:
वर्ष
कंपनी
देश
2020
Nikola
अमेरिका
2020
WINS Finance
चीन
2020
Genius Brands
अमेरिका
2020
China Metal Resources Utilization
चीन
2020
SC Worx
अमेरिका
2020
Predictive Technology Group
अमेरिका
2020
HF Foods
अमेरिका
2019
SmileDirectClub
अमेरिका
2019
Bloom Energy
अमेरिका
2018
Yangtze River Port & Logistics
अमेरिका
2018
Liberty Health Sciences
अमेरिका
2018
Aphria
कनाडा
2018
Riot Blockchain
अमेरिका
2017
PolarityTE
अमेरिका
2017
Opko Health
अमेरिका
2017
Pershing Gold
अमेरिका
2017
RD Legal
अमेरिका
हिंडनबर्ग समूह की विश्वस्नीयता पर क्यों सवाल किए जा रहे हैं?
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद खुद उसकी विश्वसनीयता को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक, अमेरिकी न्याय विभाग दर्जनों बड़े शॉर्ट-सेलिंग निवेश और शोध फर्मों की जांच कर रहा है। इनमें मेल्विन कैपिटल और संस्थापक गेबे प्लॉटकिन, रिसर्चर नैट एंडरसन और हिंडनबर्ग रिसर्च सोफोस कैपिटल मैनेजमेंट और जिम कारुथर्स भी शामिल हैं। विभाग ने साल 2021 के अंत में लगभग 30 शॉर्ट-सेलिंग फर्मों के साथ-साथ उनसे जुड़े तीन दर्जन व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाई थी। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, संघीय अभियोजक इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या शॉर्ट-सेलर्स ने समय से पहले हानिकारक शोध रिपोर्ट साझा करके और अवैध व्यापार रणनीति में शामिल होकर शेयर की कीमतों को कम करने की साजिश रची थी।
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