आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को आरक्षण देने की कवायद शुरू हो चुकी है। गुजरात, झारखंड, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश ने राज्य में इसे लागू कर दिया है। इसके तहत देश के सरकारी शैक्षणिक संस्थानों तथा सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी सीटें गरीब सवर्णों के लिए आरक्षित की गई हैं।
बता दें कि गरीब तबकों को 10 फीसदी आरक्षण देने वाला यह बिल पहले ही लोकसभा और राज्यसभा से पास हो चुका है। कुछ पार्टियों को छोड़कर अमूमन विपक्ष के तमाम पार्टियों ने इसे समर्थन दिया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इसे मंजूरी दे दी है। केंद्र के नोटिफिकेशन जारी करते ही इसे लागू कर दिया जाएगा।
आरक्षण के लागू होने के बाद देश में कोटा 49.5 प्रतिशत से बढ़कर 59.5 फीसदी तक हो जाएगा। कहा जा रहा है कि इसके तहत देश के 95 फीसदी सवर्ण वर्ग के गरीब लोगों को आरक्षण मिलेगा।
मौजूदा स्थिति
जाति |
आबादी में हिस्सेदारी |
आरक्षण |
अनुसूचित जाति |
16.6% |
15% |
अनुसूचित जनजाति |
8.6% |
7.5% |
अन्य पिछड़ा वर्ग |
52% |
27% |
कुल |
77.2% |
49.5% |
मंडल कमीशन और 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 77.2 फीसदी एससी, एसटी व ओबीसी जबकि 22.8 फीसदी सवर्ण वर्ग के लोगों की आबादी है। शर्तों के मुताबिक केंद्र के नए कानून के दायरे में केवल 22.8 फीसदी में से 18 फीसदी गरीब सवर्ण आते दिख रहे हैं। इसके मुताबिक सिर्फ पांच फीसदी ही ऐसे सवर्ण है जो इसके दायरे के बाहर है।
मंडल कमीशन के मुताबिक अन्य पिछड़ा वर्ग 52% है जबकि नेशनल सेम्पल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) की मानें तो यह आंकड़ा 41 फीसदी है। एनएसएसओ के आंकड़े में एससी-एसटी की 25.2 फीसदी आबादी जोड़ दें तो 66.2 फीसदी होता है। जिस लिहाज से यह कहा जा सकता है कि 49.5 फीसदी आरक्षण के दायरे में 66.2 फीसदी आती है।
वैसे मंडल कमीशन की 1980 की रिपोर्ट से अलग नेशनल सेम्पल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) के 2011 के आंकड़ों मुताबिक देश में अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग (ओबीसी) 41 फीसदी हैं। इस 41 फीसदी में एससी-एसटी की 25.2 फीसदी आबादी जोड़ दें तो 66.2 फीसदी होता है। मतलब इस लिहाज से 49.5 फीसदी कोटे के दायरे में देश की 66.2 फीसदी आबादी है। आरक्षण के दायरे से बाहर अगर इस श्रेणी का प्रतिस्पर्धी मैरिट लिस्ट में जगह बना लेता है तो वह सामान्य प्रतिस्पर्धी के रूप में पद पा सकता है। हालांंकि इसको लेेकर एक अलग ही विवाद है।
इन राज्यों में है 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण
6 नवंबर 1992 को इंदिरा साहनी केस में कोर्ट ने साफ कर दिया था कि अनुच्छेद 16(4) के तहत आरक्षण की सीमा 50% से ज्यादा नहीं हो सकती। मगर इसके बावजूद देश के कुछ राज्यों में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा है। तमिलनाडु में इस वक्त 69% आरक्षण लागू है।
- हरियाणा : 2016 में हरियाणा की भाजपा सरकार ने जाट सहित छह समुदायों को शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में अलग से 10 फीसदी आरक्षण देने का बिल पास किया मगर हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। यह मामला फिलहाल राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में अटका हुआ है।
- गुजरात : आनंदीबेन की सरकार ने पाटीदार आंदोलन में हुई हिंसा के बाद आर्थिक रूप से पिछड़े ताबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का अध्यादेश जारी किया। मगर गुजरात हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया।
- महाराष्ट्र : देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने राज्य में पहले से 52 फीसदी आरक्षण को बढ़ाते हुए पिछले साल नवंबर में मराठों के लिए 16 फीसदी आरक्षण लागू कर दिया।
- तमिलनाडु : प्रदेश में इस वक्त 69 फीसदी आरक्षण लागू है। राज्य इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल कर चुका है। 2018 में इसके खिलाफ आई याचिका के बावजूद डिवीजन बेंच ने कोटे पर रोक नहीं लगाई। अब इसे लेकर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में हैं।
- तेलंगाना : केसीआर की तेलंगाना राष्ट्र समिति ने 2017 में आरक्षण का कोटा बढ़ाकर 62 फीसदी करने का बिल पास किया। एससी व मुस्लिम ओबीसी वर्ग के लिए कोटा कोटे को बढ़ाया गया था। फिलहाल यह प्रस्ताव केंद्र के पास लंबित है।
- आंध्रप्रदेश : 2017 में तेलुगु देशम पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने कापू समुदाय के लोगों को 5 फीसदी कोटा देने के लिए बिल पास किया। तमिलनाडु की तरह इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किए जाने का इंतजार है, ताकि कानूनी तौर पर इसे चुनौती न दी जा सके।
- राजस्थान : वसुंधरा की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने 2017 में ओबीसी का कोटा बढ़ाकर 21 से 26 फीसदी करना चाहती थी। मगर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोटा 50% से ज्यादा नहीं हो सकता।
सुप्रीम कोर्ट में 124वें संविधान संसोधन को चुनौती दी गई है। यह याचिका यूथ फॉर इक्वॉलिटी और वकील कौशलकांत मिश्रा की ओर से दाखिल की गई है। इनके मुताबिक आरक्षण का आधार आर्थिक नहीं हो सकता। याचिका के मुताबिक विधयेक संविधान के आरक्षण देने के मूल सिद्धांत के खिलाफ है, यह सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण देने के साथ-साथ 50% के सीमा का भी उल्लंघन करता है। गौरतलब है कि यह विधेयक सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देता है।
आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को आरक्षण देने की कवायद शुरू हो चुकी है। गुजरात, झारखंड, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश ने राज्य में इसे लागू कर दिया है। इसके तहत देश के सरकारी शैक्षणिक संस्थानों तथा सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी सीटें गरीब सवर्णों के लिए आरक्षित की गई हैं।
बता दें कि गरीब तबकों को 10 फीसदी आरक्षण देने वाला यह बिल पहले ही लोकसभा और राज्यसभा से पास हो चुका है। कुछ पार्टियों को छोड़कर अमूमन विपक्ष के तमाम पार्टियों ने इसे समर्थन दिया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इसे मंजूरी दे दी है। केंद्र के नोटिफिकेशन जारी करते ही इसे लागू कर दिया जाएगा।
आरक्षण के लागू होने के बाद देश में कोटा 49.5 प्रतिशत से बढ़कर 59.5 फीसदी तक हो जाएगा। कहा जा रहा है कि इसके तहत देश के 95 फीसदी सवर्ण वर्ग के गरीब लोगों को आरक्षण मिलेगा।
मौजूदा स्थिति
जाति |
आबादी में हिस्सेदारी |
आरक्षण |
अनुसूचित जाति |
16.6% |
15% |
अनुसूचित जनजाति |
8.6% |
7.5% |
अन्य पिछड़ा वर्ग |
52% |
27% |
कुल |
77.2% |
49.5% |