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BJP will go to the polls with the promise of giving full statehood to Jammu and Kashmir after delimitation process completed in march 2022
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परिसीमन के बाद उम्मीद: जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के वादे के साथ चुनाव में जाएगी भाजपा
राहुल संपाल, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 13 Jul 2021 05:34 PM IST
सार
साल 2011 की जनगणना के आधार पर हो रहे परिसीमन के मार्च 2022 तक खत्म होने की उम्मीद जताई जा रही है। अगर नए सिरे से परिसीमन पूरा हो जाता है तो जम्मू और कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या बराबर हो जाएगी...
दिल्ली में जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी
- फोटो : ANI (File)
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कश्मीर मसले पर केंद्र सरकार की पहल के बाद जम्मू-कश्मीर के नेताओं के सुर बदल गए हैं। दिल्ली में हुई बैठक के बाद गुपकार गठबंधन के नेताओं ने यह समझ लिया है कि अब राज्य में अनुच्छेद-370 की वापसी नहीं होगी। लिहाजा उन्होंने अपनी मांगों को व्यावहारिक धरातल पर उतारने और इसे हठ के रूप में पेश करने की ठानी है।
इधर, केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विश्वस्त सूत्रों ने अमर उजाला से कहा कि जम्मू-कश्मीर में भगवा पार्टी केंद्र शासित प्रदेश के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का वादा लेकर चुनाव मैदान में जाएगी। साथ ही, पार्टी पाकिस्तान से लगे इलाकों में संविधान के अनुच्छेद 317 के तहत विशेष अधिकार देने की मांग भी करेगी। फिलहाल केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता परिसीमन का काम पूरा करने की है। इसके बाद ही चुनाव का रास्ता साफ होगा। जितनी जल्दी परिसीमन होगा इसके बाद ही चुनाव को लेकर कुछ कहा जा सकेगा।
हाल ही में अमर उजाला से चर्चा करते हुए जम्मू-कश्मीर के भाजपा के नेता निर्मल सिंह ने कहा था, जम्मू-कश्मीर के चुनाव समय पर होंगे। जल्द ही परिसीमन का काम पूरा हो जाएगा। चुनाव के बाद पूर्ण राज्य का दर्जा भी मिलेगा।
जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावना से जुड़ा मुद्दा
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) के निदेशक संजय कुमार ने अमर उजाला को बताया कि केंद्र सरकार ने जब जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म कर उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया था, उस वक्त ही भाजपा ने कहा था कि परिसीमन और चुनाव के बाद हम फिर से इसे राज्य का दर्जा देंगे। संसद में गृहमंत्री अमित शाह बोल भी चुके जैसे ही राज्य में स्थिति सामान्य हो जाएगी। परिसीमन के बाद चुनाव होंगे। फिर से राज्य का दर्जा बहाल कर दिया दिया जाएगा। इसलिए भाजपा अपने किए पुराने वादे को लेकर जनता के बीच जाने की सोच रही है।
उन्होंने आगे कहा, घाटी की तुलना में जम्मू में भाजपा का अच्छा खासा वोट बैंक है। लेकिन भाजपा अपने इस वादे के साथ विधानसभा चुनाव में उतरती है तो उसे राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे संगठन और लोगों का भी समर्थन हासिल हो जाएगा। पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने का मुद्दा लोगों की भावना से जुड़ गया है।
चुनाव के बाद सरकार में अगर भाजपा आए या फिर गुपकार गठबंधन, जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव दोनों ही लेकर आएंगे। फर्क यह है कि भाजपा सत्ता में आती है तो वह राज्य के दर्जे और अनुच्छेद 371 के तहत कुछ क्षेत्रों को विशेष अधिकार देने की मांग करेगी। अगर गुपकार का बहुमत आता है तो वह राज्य के दर्जे के अलावा अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग को जरूर उठाएंगे।
परिसीमन के बाद बढ़ेंगी विधानसभा सीटें
जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में मोदी सरकार ने तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। राज्य में परिसीमन को लेकर परिसीमन आयोग ने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। साल 2011 की जनगणना के आधार पर हो रहे परिसीमन के मार्च 2022 तक खत्म होने की उम्मीद जताई जा रही है। अगर नए सिरे से परिसीमन पूरा हो जाता है तो जम्मू और कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या बराबर हो जाएगी।
पिछले विधानसभा चुनाव में राज्य में कुल 87 विधानसभा सीटें थीं। लेकिन पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा हासिल हुआ। जिससे चार सीटें लद्दाख के खाते में चली गईं। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में कुल 83 सीटें ही रह गईं। इनमें कश्मीर में 46 और जम्मू में 37 सीटें हैं। अब नए परिसीमन के बाद राज्य में 90 विधानसभा सीटें हो सकती हैं। हाल ही में पीएम के साथ हुई बैठक में राज्य के सभी राजनैतिक दलों से भी जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया को लेकर चर्चा हुई थी। इसके बाद ही राज्य विधानसभा के चुनाव होंगे। चुनाव के बाद ही राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा भी दिया जा सकता है।
विस्तार
कश्मीर मसले पर केंद्र सरकार की पहल के बाद जम्मू-कश्मीर के नेताओं के सुर बदल गए हैं। दिल्ली में हुई बैठक के बाद गुपकार गठबंधन के नेताओं ने यह समझ लिया है कि अब राज्य में अनुच्छेद-370 की वापसी नहीं होगी। लिहाजा उन्होंने अपनी मांगों को व्यावहारिक धरातल पर उतारने और इसे हठ के रूप में पेश करने की ठानी है।
इधर, केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विश्वस्त सूत्रों ने अमर उजाला से कहा कि जम्मू-कश्मीर में भगवा पार्टी केंद्र शासित प्रदेश के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का वादा लेकर चुनाव मैदान में जाएगी। साथ ही, पार्टी पाकिस्तान से लगे इलाकों में संविधान के अनुच्छेद 317 के तहत विशेष अधिकार देने की मांग भी करेगी। फिलहाल केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता परिसीमन का काम पूरा करने की है। इसके बाद ही चुनाव का रास्ता साफ होगा। जितनी जल्दी परिसीमन होगा इसके बाद ही चुनाव को लेकर कुछ कहा जा सकेगा।
हाल ही में अमर उजाला से चर्चा करते हुए जम्मू-कश्मीर के भाजपा के नेता निर्मल सिंह ने कहा था, जम्मू-कश्मीर के चुनाव समय पर होंगे। जल्द ही परिसीमन का काम पूरा हो जाएगा। चुनाव के बाद पूर्ण राज्य का दर्जा भी मिलेगा।
जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावना से जुड़ा मुद्दा
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) के निदेशक संजय कुमार ने अमर उजाला को बताया कि केंद्र सरकार ने जब जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म कर उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया था, उस वक्त ही भाजपा ने कहा था कि परिसीमन और चुनाव के बाद हम फिर से इसे राज्य का दर्जा देंगे। संसद में गृहमंत्री अमित शाह बोल भी चुके जैसे ही राज्य में स्थिति सामान्य हो जाएगी। परिसीमन के बाद चुनाव होंगे। फिर से राज्य का दर्जा बहाल कर दिया दिया जाएगा। इसलिए भाजपा अपने किए पुराने वादे को लेकर जनता के बीच जाने की सोच रही है।
उन्होंने आगे कहा, घाटी की तुलना में जम्मू में भाजपा का अच्छा खासा वोट बैंक है। लेकिन भाजपा अपने इस वादे के साथ विधानसभा चुनाव में उतरती है तो उसे राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे संगठन और लोगों का भी समर्थन हासिल हो जाएगा। पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने का मुद्दा लोगों की भावना से जुड़ गया है।
चुनाव के बाद सरकार में अगर भाजपा आए या फिर गुपकार गठबंधन, जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव दोनों ही लेकर आएंगे। फर्क यह है कि भाजपा सत्ता में आती है तो वह राज्य के दर्जे और अनुच्छेद 371 के तहत कुछ क्षेत्रों को विशेष अधिकार देने की मांग करेगी। अगर गुपकार का बहुमत आता है तो वह राज्य के दर्जे के अलावा अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग को जरूर उठाएंगे।
परिसीमन के बाद बढ़ेंगी विधानसभा सीटें
जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में मोदी सरकार ने तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। राज्य में परिसीमन को लेकर परिसीमन आयोग ने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। साल 2011 की जनगणना के आधार पर हो रहे परिसीमन के मार्च 2022 तक खत्म होने की उम्मीद जताई जा रही है। अगर नए सिरे से परिसीमन पूरा हो जाता है तो जम्मू और कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या बराबर हो जाएगी।
पिछले विधानसभा चुनाव में राज्य में कुल 87 विधानसभा सीटें थीं। लेकिन पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा हासिल हुआ। जिससे चार सीटें लद्दाख के खाते में चली गईं। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में कुल 83 सीटें ही रह गईं। इनमें कश्मीर में 46 और जम्मू में 37 सीटें हैं। अब नए परिसीमन के बाद राज्य में 90 विधानसभा सीटें हो सकती हैं। हाल ही में पीएम के साथ हुई बैठक में राज्य के सभी राजनैतिक दलों से भी जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया को लेकर चर्चा हुई थी। इसके बाद ही राज्य विधानसभा के चुनाव होंगे। चुनाव के बाद ही राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा भी दिया जा सकता है।
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