बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब भाजपा के खिलाफ कोई मोर्चा नहीं, बल्कि माहौल बनाएंगे। जदयू अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी पदाधिकारियों की बृहस्पतिवार को पटना में हुई पहली बैठक में तय हुआ कि जदयू अब ना तो किसी मोर्चे की बात करेगा और ना ही नीतीश को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताएगा।
माना जा रहा है कि मोर्चे और विलय को लेकर विवादों के चलते जदयू ने मिशन 2019 की योजना में बदलाव किया है। बैठक में पार्टी नेताओं को सचेत किया कि आगे से किसी दल के साथ विलय या गठबंधन की बात नहीं होगी और अगर होगी भी तो मीडिया में तब तक न लाया जाए, जब तक बात किसी ठोस मुकाम पर न पहुंच जाये।
बैैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार देश में ऐसा महौल बनाएंगे, जो सारी ताकतें जो भाजपा को हराना चाहती है, उन्हें एक मोर्चे पर आना पड़ेगा।
त्यागी ने कहा कि कांग्रेस अगर असम चुनाव में नीतीश के फार्मूले को मान लेती तो आज वहां सत्ता में कांग्रेस होती। उन्होंने कांग्रेस का नाम लिये बगैर कहा कि अब यह साफ हो गया है कि पूरे देश में अब भाजपा का मुकाबला करने में कोई अकेला दल सक्षम नहीं है।
संगठन को नया तेवर देने के लिए पार्टी के सभी राष्ट्रीय प्रकोष्ठ को भंग कर दिया है। अब इन प्रकोष्ठों का गठन नये सिरे से किया जायेगा। पांच जून से राष्ट्रीय स्तर पर शुरु हो रहे सदस्यता अभियान को लेकर सबसे अधिक मंथन हुआ।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब भाजपा के खिलाफ कोई मोर्चा नहीं, बल्कि माहौल बनाएंगे। जदयू अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी पदाधिकारियों की बृहस्पतिवार को पटना में हुई पहली बैठक में तय हुआ कि जदयू अब ना तो किसी मोर्चे की बात करेगा और ना ही नीतीश को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताएगा।
माना जा रहा है कि मोर्चे और विलय को लेकर विवादों के चलते जदयू ने मिशन 2019 की योजना में बदलाव किया है। बैठक में पार्टी नेताओं को सचेत किया कि आगे से किसी दल के साथ विलय या गठबंधन की बात नहीं होगी और अगर होगी भी तो मीडिया में तब तक न लाया जाए, जब तक बात किसी ठोस मुकाम पर न पहुंच जाये।
बैैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार देश में ऐसा महौल बनाएंगे, जो सारी ताकतें जो भाजपा को हराना चाहती है, उन्हें एक मोर्चे पर आना पड़ेगा।
त्यागी ने कहा कि कांग्रेस अगर असम चुनाव में नीतीश के फार्मूले को मान लेती तो आज वहां सत्ता में कांग्रेस होती। उन्होंने कांग्रेस का नाम लिये बगैर कहा कि अब यह साफ हो गया है कि पूरे देश में अब भाजपा का मुकाबला करने में कोई अकेला दल सक्षम नहीं है।
संगठन को नया तेवर देने के लिए पार्टी के सभी राष्ट्रीय प्रकोष्ठ को भंग कर दिया है। अब इन प्रकोष्ठों का गठन नये सिरे से किया जायेगा। पांच जून से राष्ट्रीय स्तर पर शुरु हो रहे सदस्यता अभियान को लेकर सबसे अधिक मंथन हुआ।