महाराष्ट्र के नागपुर से एक घोर लापरवाही का मामला सामने आया है। जिसके तहत एक अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित चार बच्चों को HIV संक्रमण वाला खून चढ़ा दिया गया जिससे सभी संक्रमित हो गए और एक की मौत भी हो गई। वहीं इस घटना की जानकारी मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। आनन फानन में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक डॉ. आरके धाकाटे ने बयान जारी कर कठोर कार्रवाई की बात कही है। उन्होंने कहा कि जांच बिठा दी गई है जल्द ही आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
ब्लड बैंक में सुविधा नहीं होने के कारण हुई बड़ी गलती
डॉ. आरके धाकाटे ने कहा कि खाद्य एवं औषधि विभाग (एफडीए) ने भी मामले की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। थैलेसीमिया के रोगियों को दिए गए रक्त का न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (एनएटी) परीक्षण जल्द ही किया जाएगा। इन मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर ने कहा कि मरीजों को संक्रमित खून दिया गया। खून देने के बाद इलाज के दौरान उनका परीक्षण किया गया और उन्हें एचआईवी संक्रमित पाया गया। थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को दिए गए रक्त का एनएटी परीक्षण होना आवश्यक है। लेकिन ब्लड बैंक में यह सुविधा नहीं होने के कारण बच्चे एचआईवी संक्रमण के शिकार हो गए। इससे पहले, पांच थैलेसीमिक बच्चे हेपेटाइटिस सी से संक्रमित थे, जबकि दो बच्चे कथित तौर पर हेपेटाइटिस बी से संक्रमित थे।
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महाराष्ट्र के नागपुर से एक घोर लापरवाही का मामला सामने आया है। जिसके तहत एक अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित चार बच्चों को HIV संक्रमण वाला खून चढ़ा दिया गया जिससे सभी संक्रमित हो गए और एक की मौत भी हो गई। वहीं इस घटना की जानकारी मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। आनन फानन में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के उप निदेशक डॉ. आरके धाकाटे ने बयान जारी कर कठोर कार्रवाई की बात कही है। उन्होंने कहा कि जांच बिठा दी गई है जल्द ही आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
ब्लड बैंक में सुविधा नहीं होने के कारण हुई बड़ी गलती
डॉ. आरके धाकाटे ने कहा कि खाद्य एवं औषधि विभाग (एफडीए) ने भी मामले की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। थैलेसीमिया के रोगियों को दिए गए रक्त का न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (एनएटी) परीक्षण जल्द ही किया जाएगा। इन मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर ने कहा कि मरीजों को संक्रमित खून दिया गया। खून देने के बाद इलाज के दौरान उनका परीक्षण किया गया और उन्हें एचआईवी संक्रमित पाया गया। थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को दिए गए रक्त का एनएटी परीक्षण होना आवश्यक है। लेकिन ब्लड बैंक में यह सुविधा नहीं होने के कारण बच्चे एचआईवी संक्रमण के शिकार हो गए। इससे पहले, पांच थैलेसीमिक बच्चे हेपेटाइटिस सी से संक्रमित थे, जबकि दो बच्चे कथित तौर पर हेपेटाइटिस बी से संक्रमित थे।