दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने अपना इस्तीफा केंद्र सरकार को भेज दिया है। दिल्ली सरकार व जंग के बीच जारी वर्चस्व की जंग के बीच अचानक उनके इस्तीफे देने से राजनैतिक भूचाल आ गया। उपराज्यपाल ने प्रधानमंत्री व दिल्ली के मुख्यमंत्री सहित दिल्ली की जनता का धन्यवाद करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में लौटने की बात की है।
जामिया मिलिया इस्लामिया का कुलपति रहने के बाद 9 जुलाई 2013 में नजीब जंग ने केंद्र व प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के दौरान दिल्ली के उपराज्यपाल का पद ग्रहण किया था। उपराज्यपाल नजीब जंग के इस्तीफ को लेकर उप-राज्यपाल कार्यालय ने बयान जारी कर दिया है।
जिसमें नजीब के फिर से शिक्षा के क्षेत्र में लौटने की बात कही गई है।
नजीब ने प्रधानमंत्री को उनके दिल्ली के उपराज्यपाल के कार्यकाल के रूप में सहयोग पर धन्यवाद दिया। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली की जनता को खासकर एक साल के राष्ट्रपति शासन के समय सहयोग व प्रेम देने के लिए शुक्रिया कहा।
साथ ही जंग ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को भी धन्यवाद दिया। राजभवन से जारी बयान में सबसे अंत में कहा गया है कि वह अपने पहले प्यार की तरफ वापस जा रहे हैं जोकि एकेडमिक्स है।
नजीब जंग के अचानक इस्तीफा देने के साथ ही राजनैतिक दलों में भूचाल आ गया। सबसे पहले आप सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर जंग को भविष्य की शुभकामना दी और सवाल खड़ा किया कि जंग के बाद भी क्या जंग जारी रहेगी?
केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, 'श्री नजीब जंग का इस्तीफा मेरे लिए हैरान करने वाला है। भविष्य की योजनाओं के लिए मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।'
वहीं आप नेता कुमार विश्वास ने इस फैसले पर हैरानी जताते हुए एक ट्वीट किया।
जंग के इस्तीफे को कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच एक डील करार दिया है। अजय माकन ने आरोप लगाया है केजरीवाल और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच में डील हुई है, इसलिए नजीब जंग को इस्तीफा देना पड़ा।
माकन ने ये भी कहा कि अगर सरकार किसी आरएसएस से जुड़े व्यक्ति को उपराज्यपाल बनाएगी तो कांग्रेस उसका विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि समय से पहले जंग के पद छोड़ने के पीछे क्या कारण है, यह केन्द्र सरकार को बताना चाहिए।
एलजी के इस्तीफे पर जब बीजेपी से प्रतिक्रिया मांगी गई तो दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि उन्हें उपराज्यपाल के फैसले से कोई हैरानी नहीं हुई। अगर वो पढ़ाई के लिए जाना चाहते हैं तो हम सबको उनका सम्मान करना चाहिए।
जंग के इस्तीफे के बाद राजनैतिक गलियारों में यह भी चर्चा रही कि क्या अब केंद्र व प्रदेश सरकार के बीच युद्ध विराम होगा। ऐसी स्थिति में उपराज्यपाल की नियुक्ति के लिए कौन सा ऐसा नाम है जोकि आगे आ सकता है?
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार व एलजी के बीच केंद्र शासित राज्य होने के कारण वर्चस्व की जंग जारी थी। तमाम विवादों के बीच केजरीवाल ने कुछ समय पूर्व ट्वीट किया था कि जंग साहब ने अपनी आत्मा मोदी को बेच दी है लेकिन जंग साहब यह ध्यान रखें कि मोदी कभी किसी मुस्लिम को उपराष्ट्रपति नहीं बनाएंगे।
दूसरी ओर अपने इस्तीफा के बाद जंग ने मीडिया को यह भी कहा कि वे उपराष्ट्रपति की दौड़ में शामिल नहीं है। वे विदेश में शिक्षा के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं।
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने अपना इस्तीफा केंद्र सरकार को भेज दिया है। दिल्ली सरकार व जंग के बीच जारी वर्चस्व की जंग के बीच अचानक उनके इस्तीफे देने से राजनैतिक भूचाल आ गया। उपराज्यपाल ने प्रधानमंत्री व दिल्ली के मुख्यमंत्री सहित दिल्ली की जनता का धन्यवाद करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में लौटने की बात की है।
जामिया मिलिया इस्लामिया का कुलपति रहने के बाद 9 जुलाई 2013 में नजीब जंग ने केंद्र व प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के दौरान दिल्ली के उपराज्यपाल का पद ग्रहण किया था। उपराज्यपाल नजीब जंग के इस्तीफ को लेकर उप-राज्यपाल कार्यालय ने बयान जारी कर दिया है।
जिसमें नजीब के फिर से शिक्षा के क्षेत्र में लौटने की बात कही गई है।
नजीब ने प्रधानमंत्री को उनके दिल्ली के उपराज्यपाल के कार्यकाल के रूप में सहयोग पर धन्यवाद दिया। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली की जनता को खासकर एक साल के राष्ट्रपति शासन के समय सहयोग व प्रेम देने के लिए शुक्रिया कहा।
साथ ही जंग ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को भी धन्यवाद दिया। राजभवन से जारी बयान में सबसे अंत में कहा गया है कि वह अपने पहले प्यार की तरफ वापस जा रहे हैं जोकि एकेडमिक्स है।
नजीब जंग के अचानक इस्तीफा देने के साथ ही राजनैतिक दलों में भूचाल आ गया। सबसे पहले आप सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर जंग को भविष्य की शुभकामना दी और सवाल खड़ा किया कि जंग के बाद भी क्या जंग जारी रहेगी?
केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, 'श्री नजीब जंग का इस्तीफा मेरे लिए हैरान करने वाला है। भविष्य की योजनाओं के लिए मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।'
वहीं आप नेता कुमार विश्वास ने इस फैसले पर हैरानी जताते हुए एक ट्वीट किया।