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Uttarakhand: तेरी फाइल-मेरी फाइल का नतीजा...प्रदेश के 12 हजार से ज्यादा छात्रों के छात्रवृत्ति आवेदन निरस्त

अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Fri, 17 Mar 2023 09:21 AM IST
सार

समाज कल्याण विभाग शासनादेश के आधार पर 2022-23 तक की संबद्धता का प्रमाणपत्र मांग रहा है। इसके न मिलने की वजह से आवेदन निरस्त किए गए हैं।

Uttarakhand News: Scholarship applications of more than 12 thousand students canceled
आवेदन निरस्त - फोटो : प्रतीकात्मक तस्वीर

विस्तार

तेरी फाइल-मेरी फाइल के चक्कर में प्रदेश के कॉलेजों में पढ़ने वाले 12 हजार से ज्यादा छात्रों की छात्रवृत्ति के आवेदन निरस्त हो गए हैं। दरअसल, समाज कल्याण विभाग जो प्रमाणपत्र मांग रहा है, वह राजभवन से जारी होना है।



इसकी प्रक्रिया लंबी होने के कारण मामला लटक रहा है। जबकि विभाग विवि की ओर से जारी होने वाले पत्र को मान्यता नहीं दी जा रही है। प्रदेशभर में कई जगह मजबूरन छात्र आंदोलन कर रहे हैं। 20 मार्च तक कोई निर्णय न हुआ तो इस साल यह छात्र वजीफे से वंचित रह जाएंगे।


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बता दें कि 13 मार्च 2019 को तत्कालीन अपर मुख्य सचिव डॉ.रणबीर सिंह ने निदेशक समाज कल्याण को एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि छात्रवृत्ति का भुगतान करने के लिए कॉलेज की संबद्धता का प्रमाणपत्र अनिवार्य है।

इसके बिना भुगतान नहीं किया जाए। समाज कल्याण विभाग इसी शासनादेश के आधार पर 2022-23 तक की संबद्धता का प्रमाणपत्र मांग रहा है। इसके न मिलने की वजह से आवेदन निरस्त किए गए हैं।

इतने कॉलेजों के इतने छात्र प्रभावित

श्रीदेव सुमन विवि: विवि के दो परिसर हैं। 51 राजकीय महाविद्यालय, 8 राजकीय बीएड कॉलेज, 28 निजी बीएड कॉलेज और 114 निजी कॉलेज संबद्ध हैं। इनमें से 140 कॉलेजों के करीब 10 हजार छात्रों के आवेदन संबद्धता प्रमाणपत्र न होने की वजह से निरस्त कर दिए गए हैं।
कुमाऊं विवि : विवि के दो परिसर और 27 कॉलेज संबद्ध हैं। इन कॉलेजों के करीब 2000 छात्रों के आवेदन निरस्त हो गए हैं।

कॉलेज विशेष का मामला हो सकता है कि किसी ने आवेदन किया हो या फीस जमा न कराई हो या पैनल न गया हो। यह विवि और कॉलेज का मामला है। निदेशालय के स्तर का नहीं है।
- चंद्रदत्त सूंठा, निदेशक, उच्च शिक्षा

पहले से ही नियम है कि बिना संबद्धता प्रमाणपत्र छात्रवृत्ति नहीं दी जा सकती है। ऐसे में हम नियम तोड़कर कैसे काम कर सकते हैं।
-चंदन रामदास, मंत्री, समाज कल्याण
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