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Uttarakhand Chamoli : आपदा में मृतकों के आश्रितों को 20 लाख का मुआवजा मिलना शुरू

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जोशीमठ Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal Updated Wed, 17 Feb 2021 12:15 AM IST
Uttarakhand Chamoli news: tenth day of disaster, removing debris work continues in tapovan tunnel
चमोली आपदाः जिलाधिकारी स्वाती भदौरिया ने किया निरीक्षण - फोटो : ANI

ऋषिगंगा में आई आपदा के दस दिन बाद तपोवन टनल से दो और शव मिले। दोनों देहरादून के रहने वाले थे। अभी तक कुल 58 शव और 24 मानव अंग बरामद हो चुके हैं। कुल 30 शवों और एक मानव अंक की शिनाख्त हुई है। अभी भी आपदा में 146 लोग लापता हैं। मंगलवार को सुरंग से मलबा हटाने के दौरान अंदर से पानी आने लगा जिसके चलते काम रोक दिया गया। अब पंप मशीन लगाकर सुरंग से पानी निकाला जा रहा है।



सात फरवरी को ऋषिगंगा में आई आपदा में 206 लोग लापता हो गए थे, जिनको तलाशने का काम लगातार जारी है। मंगलवार को तपोवन जल विद्युत परियोजना की सुरंग से दो शव बरामद हुए, जिनकी शिनाख्त अनील पुत्र थेपा सिंह निवासी कालसी देहरादून और राहुल पुत्र कृष्ण किशोर निवासी बड़कोट रानीपोखरी डोईवाला देहरादून के रूप में हुई है। वहीं सुरंग से अब तक 11 शव बरामद हो चुके हैं।


वहीं तपोवन जल विद्युत परियोजना की सुरंग से मलबा हटाने के दौरान मंगलवार दोपहर करीब दो बजे अंदर से पानी आने लगा, जिसके बाद पाइप बिछाकर और हैवी पंप लगाकर अंदर से पानी खींचने का काम शुरू किया गया। देर शाम तक पानी निकालने का काम जारी था। ऐसे में मलबा हटाने का काम दो बजे से बंद रहा।  पानी भरने से अंदर दलदल बनने की भी आशंका जताई जा रही है।

रैणी में सिल्ट हटाने में जुटी एनडीआरएफ की टीम
रैणी के पास ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और उसके आसपास मलबे के ढेर लगे हैं। यहां से सिल्ट और मलबा हटाने के लिए एनडीआरएफ के करीब 40 जवान लगे हुए हैं। एनडीआरएफ के कमांडेंट विकास ने बताया कि मलबे से संभावित जगह पर शव तलाशने का काम जारी है।

91 के लिए जा चुके डीएनए सैंपल
प्रशासन की ओर से लापता लोगों के परिजनों के सैंपल लिए जा रहे हैं। अब तक 91 लोगों के डीएनए सैंपल लिए जा चुके हैं। वहीं जोशीमठ थाने में 179 लोगों की गुमशुदगी दर्ज है। जिन शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है उनके भी डीएनए सैंपल लिए जा रहे हैं।

ऋषिगंगा पर बनाए अस्थायी पुल से रोज 300 लोग कर रहे आवाजाही

रैणी गांव में ऋषिगंगा पर बीआरओ की तरफ से बनाए गए अस्थायी पुल से सीमा पर तैनात सेना और आईटीबीपी के जवानों के लिए भी आवागमन कुछ आसान हो गया है। हालांकि वैली ब्रिज नहीं बनने से फिलहाल वाहनों की आवाजाही नहीं हो पा रही है, लेकिन जरूरी सामान लाने और ले जाने में कुछ आसानी हो गई है। इस पुल से हर दिन 300 से 400 लोग आवाजाही कर रहे हैं।

मलारी हाईवे को जोड़ने के लिए बीआरओ ऋषिगंगा पर वैली ब्रिज बना रहा है। इसके लिए एक तरफ से सपोर्ट दीवार बनाई जा चुकी है, जबकि दूसरी तरफ दीवार बनाने का काम चल रहा है। वैली ब्रिज बनने में अभी कुछ समय लग जाएगा और इसको देखते हुए बीआरओ ने अस्थायी पैदल पुल बना दिया है।

अस्थायी पुल बनने से लाता, सुखी, भल्लागांव, तोलमा, फागती, तमक, सुराईटोटा आदि गांवों के साथ ही मलारी में रह रहे सेना और आईटीबीपी के जवानों को भी आवागमन में सुविधा हो गई है। बीआरओ के मजदूरों को भी दूसरी तरफ जाने में अब परेशानी नहीं उठानी पड़ रही है। सेना के मेजर उत्कर्ष शुक्ला का कहना है कि इस पुल से हर दिन 300 से 400 लोग आवाजाही कर रहे हैं। साथ ही गांवों में रोजमर्रा की वस्तुओं को भी इसी पुल से ले जा रहे हैं।

चमोली जैसी आपदा से निपटने पर गहन मंथन होगा

पिछले दिनों चमोली में नीती घाटी में आई आपदा पर वाडिया इंस्टीट्यूट समेत कई संस्थानों के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीमें मंथन करेंगी। इसके बाद इस तरह की आपदा से निपटने के लिए जरूरी कवायद की जाएगी। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने मंगलवार को देश के तमाम संस्थानों के वैज्ञानिकों के साथ बैठक कर आपदा से जुड़े तमाम पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने वैज्ञानिकों की दो संयुक्त टीमें गठित की हैं। ये टीमें 60 दिनों में रिपोर्ट सौंपेंगी।

वैज्ञानिकों की टीमें ऐसी आपदाओं से निपटने को लेकर भी सुझाव देंगी। एनडीएमए की ओर से आयोजित ऑनलाइन बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि उत्तराखंड सरकार इन टीमों को वैज्ञानिक शोधों के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया कराएगी। बैठक में वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक डॉ कालाचांद साईं व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके राय के अलावा राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की, आईआईटी रुड़की, एनजीआरई, केंद्रीय जल आयोग, नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन इसरो समेत दर्जन भर संस्थानों के वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। 

 बता दें कि पिछले दिनों चमोली के नीती घाटी में आई आपदा में भारी जनहानि हुई थी। साथ ही ऋषि गंगा और धौली गंगा नदियों पर बने हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट भी तहस-नहस हो गए थे। इससे करोड़ों का नुकसान हुआ है। आपदा के बाद केंद्र और राज्य सरकार की तमाम एजेंसियां लगातार राहत कार्यों में जुटी हुई हैं।
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