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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरुड़चट्टी को अपनी तपस्थली बताया था। लेकिन यह केदारनाथ आपदा के सात साल बाद भी वीरान पड़ी है। रामबाड़ा से धाम तक का पुराना पैदल मार्ग ध्वस्त होने के बाद से अब तक यह क्षेत्र केदारपुरी से नहीं जुड़ पाया है। वहीं, मंदाकिनी नदी के तेज बहाव से हो रहे कटाव के कारण गरुड़चट्टी पर निरंतर खतरा मंडरा रहा है।
16/17 जून, 2013 की आपदा के बाद से स्थिति यह है कि रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पुराने रास्ते को पुनर्जीवित करने की कोशिश सर्वे से आगे नहीं बढ़ सकी है। मंदाकिनी नदी पर पुल नहीं बनने से गरुड़चट्टी तक आवाजाही बंद पड़ी है। भू-कटाव का दायरा यहां बने भवनों के पास तक पहुंच चुका है। लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कही थी विकसित करने की बात
20 अक्तूबर, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी केदारनाथ भ्रमण के दौरान गरुड़चट्टी में 80 के दशक में बिताए दिनों को याद करते हुए इस स्थान को विकसित करने की बात कही थी।
अक्तूबर, 2013 में जीएसआई (भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण) की टीम ने भी गरुड़चट्टी का सर्वेक्षण कर इसे सुरक्षित बताया था। उन्होंने इसे टाउनशिप के रूप में विकसित करने का सुझाव भी दिया था। लेकिन आज तक योजना नहीं बन पाई है।
मंदाकिनी पर पुल का निर्माण अगले वर्ष मार्च तक पूरा हो जाएगा।
-प्रवीण कर्णवाल, ईई, डीडीएमए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरुड़चट्टी को अपनी तपस्थली बताया था। लेकिन यह केदारनाथ आपदा के सात साल बाद भी वीरान पड़ी है। रामबाड़ा से धाम तक का पुराना पैदल मार्ग ध्वस्त होने के बाद से अब तक यह क्षेत्र केदारपुरी से नहीं जुड़ पाया है। वहीं, मंदाकिनी नदी के तेज बहाव से हो रहे कटाव के कारण गरुड़चट्टी पर निरंतर खतरा मंडरा रहा है।
16/17 जून, 2013 की आपदा के बाद से स्थिति यह है कि रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पुराने रास्ते को पुनर्जीवित करने की कोशिश सर्वे से आगे नहीं बढ़ सकी है। मंदाकिनी नदी पर पुल नहीं बनने से गरुड़चट्टी तक आवाजाही बंद पड़ी है। भू-कटाव का दायरा यहां बने भवनों के पास तक पहुंच चुका है। लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कही थी विकसित करने की बात
20 अक्तूबर, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी केदारनाथ भ्रमण के दौरान गरुड़चट्टी में 80 के दशक में बिताए दिनों को याद करते हुए इस स्थान को विकसित करने की बात कही थी।
भू वैज्ञानिकों ने दिया था टाउनशिप बनाने का सुझाव
अक्तूबर, 2013 में जीएसआई (भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण) की टीम ने भी गरुड़चट्टी का सर्वेक्षण कर इसे सुरक्षित बताया था। उन्होंने इसे टाउनशिप के रूप में विकसित करने का सुझाव भी दिया था। लेकिन आज तक योजना नहीं बन पाई है।
मंदाकिनी पर पुल का निर्माण अगले वर्ष मार्च तक पूरा हो जाएगा।
-प्रवीण कर्णवाल, ईई, डीडीएमए