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हरिद्वार कुंभ मेला 2021: पांच महिला संत समेत 23 संतों की होगी महामंडलेश्वर पद पर ताजपोशी
निशांत खनी, अमर उजाला, हरिद्वार
Published by: अलका त्यागी
Updated Wed, 24 Feb 2021 02:45 AM IST
सार
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अनुसूचित जाति के संतों के लिए खुलेंगे जूना अखाड़ा के दरवाजे
सनातन धर्म के प्रचार के लिए विख्यात श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा सामाजिक सद्भाव के साथ सोशल अनूठी मिसाल पेश करने जा रहा है। कुंभ में पांच महिला समेत 23 संतों की महामंडलेश्वर पद पर ताजपोशी होगी। अखाड़ा ने अनुसूचित जाति समाज के संतों के लिए दरवाजे पूरी तरह खोल दिए हैं। अनुसूचित जाति के संतों से सर्वाधिक दस महामंडलेश्वर बनाए जाएंगे।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री एवं जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि ने अमर उजाला से बातचीत में बताया कि सामाजिक संतुलन के लिए हर वर्ग की भागीदारी जरूरी है। अखाड़ों पर भी यही नियम लागू होता है। आमतौर पर अखाड़ा के सर्वोच्च पदों पर ब्राह्मण या राजपूत जातियों के संत ही काबिज होते आए हैं। यही परंपरा रही है। बदलते सामाजिक परिवेश में जूना अखाड़ा ने इस परंपरा को तोड़ा है।
प्रयागराज कुंभ में अनुसूचित जाति समाज के संत को महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी। इसे हरिद्वार कुंभ में भी कायम रखा जाएगा। श्रीमहंत हरिगिरि ने बताया कि 2021 के हरिद्वार कुंभ के लिए देशभर से 1450 संतों ने महामंडलेश्वर की पदवी की इच्छा जताई है। इसके लिए आवेदन भी किए हैं। आवेदनों पर समीक्षा और चर्चा चल रही है। श्रीमहंत ने बताया कि 23 महामंडलेश्वर बनाएं जाएंगे। इनमें सर्वाधिक दस महामंडलेश्वर अनुसूचित जाति के संत होंगे। 23 महामंडलेश्वरों में पांच महिलाएं भी होंगी। महामंडलेश्वर की दीक्षा से पहले गुण-दोष के अधार पर उनका मूल्यांकन होगा।
अखाड़ा के अभी आठ सौ महामंडलेश्वर
अखाड़ा का सर्वोच्च पद आचार्य महामंडलेश्वर का है, जो अभी स्वामी अवधेशानंद गिरि हैं। जूना अखाड़े के देशभर में आठ सौ महामंडलेश्वर हैं। छह हजार श्रीमहंत और लाखों महंत हैं। जबकि देश और विदेशों में बड़ी संख्या में संत जुड़े हैं।
अनुसूचित जाति के महामंडलेश्वरों के जरिए अखाड़ों की सोशल इंजीनियरिंग
अखाड़े हिंदू धर्म की रक्षा और सनातन धर्म के प्रचार के लिए स्थापित किए गए थे। मौजूदा समय में 13 प्रमुख अखाड़े विद्यमान हैं। इनका अपने अलग ध्वज, परंपरा और कुल गुरु हैं। सदियों से अखाड़ों के प्रमुख ब्राह्मण-क्षत्रिय जाति के सवर्ण संत बनते रहे हैं। लेकिन वक्त की जरूरत और संवैधानिक निर्देशों को देखते हुए अखाड़ों ने भी सोशल इंजीनियरिंग की कवायद शुरू कर दी है।
हालांकि संन्यासी बनते ही किसी भी व्यक्ति का जाति, वर्ण सबकुछ गौण हो जाता है। अपनी अंत्येष्टि करके व्यक्ति संन्यासी होता है। लेकिन बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति के संतों को महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान करना सनातन संस्कृति के विकासगामी सोच का परिचायक है। उल्लेखनीय यह भी है कि एक स्वर से अनुसूचित जाति के संतों को महामंडलेश्वर बनाने का स्वागत भी किया जा रहा है।
आवेदन और इतने बनेंगे महामंडलेश्वर
- अनुसूचित समाज से 250 आवेदन, 10 बनेंगे
- वैश्य समाज से 100 आवेदन, तीन बनेंगे
- ब्राह्मण समाज से 700 आवेदन और पांच बनेंगे
- राजपूत समाज से 400 आवेदन, पांच बनेंगे
इनको मिलेगी प्रमुखता
- जो सुबह तीन बजे बिस्तर छोड़ता हो
- जो सनातन धर्म का पालन और मूर्ति उपासक हो
- जो संन्यास की अवधि नहीं गुण-दोष का आधार बनेगा
- जो अनाथ बच्चों को गोद लेकर उनका भरण पोषण करता हो
देशभर से 1450 संतों के महामंडलेश्वर पद के लिए आवेदन हुए हैं। महामंडलेश्वर अखाड़े का सबसे गरिमापूर्ण पद है। आवेदकों के गुण-दोष के आधार पर मूल्यांकन होगा। 23 महामंडलेश्वर बनाए जाने हैं। ताजपोशी के बाद उनकी सक्रियता के आधार पर जूना अखाड़े की ओर से वाहन के अलावा जरूरी सुविधाएं दी जाएंगी। सनातन धर्म के प्रचार प्रसार करने वाले महामंडलेश्वरों के क्षेत्र में वहां की जनता के लिए सड़क, पानी, स्कूल और अस्पताल जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। - श्रीमहंत हरिगिरी, अंतरराष्ट्रीय संरक्षक, जूना अखाड़ा
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