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राजधानी देहरादून में सामने आए पिछले मामले साबित करते हैं कि ठगों का सबसे बड़ा हथियार लालच है।
पढ़ें, 'भगत सिंह कोश्यारी पर भारी पड़ेंगे एनडी तिवारी'फर्जी खेल अधिकारी ने भी बेरोजगारों को नौकरी का लालच दिया और बड़ी आसानी से उनकी खून-पसीने की कमाई ऐंठ ली। सवाल यह है कि इन ठगों से बचे कैसे?
जानकारों का कहना है कि ठगी से बचने का सीधा सा फार्मूला यह है कि यदि कोई सामान्य से अधिक मुनाफे का सपना दिखा रहा है तो मान लीजिए गड़बड़ है।
पढ़ें, हिमालय में है औषधीय पौधों की भरमारएसएसपी अजय रौतेला ने बताया अधिकतर मामलों की जांच में यही बात सामने आई है कि पीड़ित यदि जागरूक होता तो ठगी नहीं होती। उन्होंने बताया पुलिस लोगों को वक्त-वक्त में जागरूक करती है, लेकिन लालच में आकर लोग फंस जाते हैं।
सोसाइटी बनाकरसोसाइटी बनाकर लोगों से रुपये एकाउंट में जमा करना। लोगों को 20 से 25 प्रतिशत ब्याज के साथ रकम वापस करने का लालच।
पढ़ें, ...तो क्या पीडीएफ लगाएगी कांग्रेस की नैया पारऐसे मामलों में ठगी करने वाला पहले कई महीनों तक लोगों का भरोसा जीतता है। ऐसे मामलों में ठगी करोड़ों रुपयों की होती है। ऐसे ही एक मामले में एक सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल तक को जेल की हवा खानी पड़ी थी।
ऐसे बचें- सोसाइटी कार्यालय में जाकर देखें कि क्या समिति रजिस्टर्ड है।
- बाजार से ज्यादा ब्याज का ऑफर है तो गड़बड़ हो सकती है।
- पुलिस से संपर्क कर सोसाइटी का वेरिफिकेशन कराया जा सकता है।
इसे कबूतरबाजी भी कहते हैं। ऐसे ठग उन बेरोजगारों की तलाश करते हैं जो अच्छी कमाई वाली नौकरी की तलाश में हैं।
कैसे बचेंरुपए देने से पहले एजेंसी के रजिस्ट्रेशन की जांच कर लें। एजेंसी ने वीजा दिया है तो संबंधित देश के दूतावास से पड़ताल जरूर करें। यदि कोई अंजान व्यक्ति विदेश भेजने की बात कहे तो झांसे में न आएं।
सोना साफ करनापाउडर लगाकर सोना साफ करना या लोहे-पीतल को ही सोने में बदलने का झांसा देकर ठगी करना।
पढ़ें, मंडप में दुल्हन ने किया सुहाग का कत्ल!पिछले वर्ष दून में सबसे अधिक ठगी के ऐसे ही मामले सामने आए। इसमें सोना साफ करने वाले आभूषण का बहुत सा हिस्सा काट लेते हैं या फिर आभूषण ही बदल डालते हैं।
कैसे बचेंगहनों की सफाई विश्वसनीय सर्राफ से ही कराएं। ऐसा कोई पाउडर उपलब्ध नहीं है तो किसी धातु को सोने में बदल सके। कोई ऐसा कहे तो तुरंत पुलिस को सूचना दें।
अक्सर आपके फोन पर मैसेज आता है कि आपको करोड़ों रुपयों को लॉटरी लगी है।
पढ़ें, एक पत्थर उछाला और आसमान में कर दिया 'सुराख'लाटरी की रकम अकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए तीन से पांच लाख रुपए की फीस मांगी जाती है। लालच में आकर लोग ठगों के खातों में पैसा भी जमा करा देते हैं।
ऐसे बचेंऐसा मैसेज आते ही तुरंत डिलीट कर दें और कोई रेस्पांस न दें। क्योंकि ऐसी कोई भी लॉटरी स्कीम कहीं भी आयोजित नहीं की जाती।
नौकरी के नाम पर ठगीशासन का बड़ा अधिकारी बता कर बेरोजगारों को सरकारी प्रतिष्ठानों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी। ऐसे लोग भोले भाले लोगों को फंसाते हैं।
ऐसे बचेंनौकरी के बदले कोई रुपए मांगे तो समझिए गड़बड़ है। वैसे भी यह पूरी तरह गैरकानूनी है।
राजधानी में ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। बीते साल थानों में दर्ज हुए 94 मामले इस बात की तस्दीक करते हैं।
पढ़ें, 'भगत सिंह कोश्यारी पर भारी पड़ेंगे एनडी तिवारी'करीब इतनी ही मामले एसएसपी कार्यालय के शिकायत प्रकोष्ठ में दर्ज हैं। यह सिर्फ वह मामले हैं जो पुलिस तक पहुंचते हैं। तमाम लोग अपने स्टेटस को देखते हुए पुलिस के पास जाते ही नहीं।
जैसी जरूरत वैसी स्कीमठगों का फंडा साफ है-जैसी जरूरत वैसा लालच दो तो शिकार खुद-ब-खुद जाल में फंस जाता है। बेरोजगारों को नौकरी का झांसा दो और अमीर बनने का सपना देखने वालों को रातोंरात लाखों की कमाई का।
विशेषज्ञों के अनुसार, शहर में लोगों का ‘लिविंग स्टेंडर्ड’ बढ़ने के साथ ही ठगी का ग्राफ भी बढ़ा है। पुलिस अधिकारी भी मानते हैं किं राज्य गठन के बाद राजधानी में कबूतरबाजी और सोसाइटी खोलकर ठगी करने के मामले बड़े हैं।
राजधानी देहरादून में सामने आए पिछले मामले साबित करते हैं कि ठगों का सबसे बड़ा हथियार लालच है।
पढ़ें, 'भगत सिंह कोश्यारी पर भारी पड़ेंगे एनडी तिवारी'
फर्जी खेल अधिकारी ने भी बेरोजगारों को नौकरी का लालच दिया और बड़ी आसानी से उनकी खून-पसीने की कमाई ऐंठ ली। सवाल यह है कि इन ठगों से बचे कैसे?
जानकारों का कहना है कि ठगी से बचने का सीधा सा फार्मूला यह है कि यदि कोई सामान्य से अधिक मुनाफे का सपना दिखा रहा है तो मान लीजिए गड़बड़ है।
पढ़ें, हिमालय में है औषधीय पौधों की भरमार
एसएसपी अजय रौतेला ने बताया अधिकतर मामलों की जांच में यही बात सामने आई है कि पीड़ित यदि जागरूक होता तो ठगी नहीं होती। उन्होंने बताया पुलिस लोगों को वक्त-वक्त में जागरूक करती है, लेकिन लालच में आकर लोग फंस जाते हैं।
ये हैं ठगी के टॉप फाइव तरीके
सोसाइटी बनाकर
सोसाइटी बनाकर लोगों से रुपये एकाउंट में जमा करना। लोगों को 20 से 25 प्रतिशत ब्याज के साथ रकम वापस करने का लालच।
पढ़ें, ...तो क्या पीडीएफ लगाएगी कांग्रेस की नैया पार
ऐसे मामलों में ठगी करने वाला पहले कई महीनों तक लोगों का भरोसा जीतता है। ऐसे मामलों में ठगी करोड़ों रुपयों की होती है। ऐसे ही एक मामले में एक सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल तक को जेल की हवा खानी पड़ी थी।
ऐसे बचें
- सोसाइटी कार्यालय में जाकर देखें कि क्या समिति रजिस्टर्ड है।
- बाजार से ज्यादा ब्याज का ऑफर है तो गड़बड़ हो सकती है।
- पुलिस से संपर्क कर सोसाइटी का वेरिफिकेशन कराया जा सकता है।
विदेश में नौकरी
इसे कबूतरबाजी भी कहते हैं। ऐसे ठग उन बेरोजगारों की तलाश करते हैं जो अच्छी कमाई वाली नौकरी की तलाश में हैं।
कैसे बचें
रुपए देने से पहले एजेंसी के रजिस्ट्रेशन की जांच कर लें। एजेंसी ने वीजा दिया है तो संबंधित देश के दूतावास से पड़ताल जरूर करें। यदि कोई अंजान व्यक्ति विदेश भेजने की बात कहे तो झांसे में न आएं।
सोना साफ करना
पाउडर लगाकर सोना साफ करना या लोहे-पीतल को ही सोने में बदलने का झांसा देकर ठगी करना।
पढ़ें, मंडप में दुल्हन ने किया सुहाग का कत्ल!
पिछले वर्ष दून में सबसे अधिक ठगी के ऐसे ही मामले सामने आए। इसमें सोना साफ करने वाले आभूषण का बहुत सा हिस्सा काट लेते हैं या फिर आभूषण ही बदल डालते हैं।
कैसे बचें
गहनों की सफाई विश्वसनीय सर्राफ से ही कराएं। ऐसा कोई पाउडर उपलब्ध नहीं है तो किसी धातु को सोने में बदल सके। कोई ऐसा कहे तो तुरंत पुलिस को सूचना दें।
करोड़ों रुपयों की लॉटरी लगना
अक्सर आपके फोन पर मैसेज आता है कि आपको करोड़ों रुपयों को लॉटरी लगी है।
पढ़ें, एक पत्थर उछाला और आसमान में कर दिया 'सुराख'
लाटरी की रकम अकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए तीन से पांच लाख रुपए की फीस मांगी जाती है। लालच में आकर लोग ठगों के खातों में पैसा भी जमा करा देते हैं।
ऐसे बचें
ऐसा मैसेज आते ही तुरंत डिलीट कर दें और कोई रेस्पांस न दें। क्योंकि ऐसी कोई भी लॉटरी स्कीम कहीं भी आयोजित नहीं की जाती।
नौकरी के नाम पर ठगी
शासन का बड़ा अधिकारी बता कर बेरोजगारों को सरकारी प्रतिष्ठानों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी। ऐसे लोग भोले भाले लोगों को फंसाते हैं।
ऐसे बचें
नौकरी के बदले कोई रुपए मांगे तो समझिए गड़बड़ है। वैसे भी यह पूरी तरह गैरकानूनी है।
गली-गली घूम रहे ठग
राजधानी में ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। बीते साल थानों में दर्ज हुए 94 मामले इस बात की तस्दीक करते हैं।
पढ़ें, 'भगत सिंह कोश्यारी पर भारी पड़ेंगे एनडी तिवारी'
करीब इतनी ही मामले एसएसपी कार्यालय के शिकायत प्रकोष्ठ में दर्ज हैं। यह सिर्फ वह मामले हैं जो पुलिस तक पहुंचते हैं। तमाम लोग अपने स्टेटस को देखते हुए पुलिस के पास जाते ही नहीं।
जैसी जरूरत वैसी स्कीम
ठगों का फंडा साफ है-जैसी जरूरत वैसा लालच दो तो शिकार खुद-ब-खुद जाल में फंस जाता है। बेरोजगारों को नौकरी का झांसा दो और अमीर बनने का सपना देखने वालों को रातोंरात लाखों की कमाई का।
विशेषज्ञों के अनुसार, शहर में लोगों का ‘लिविंग स्टेंडर्ड’ बढ़ने के साथ ही ठगी का ग्राफ भी बढ़ा है। पुलिस अधिकारी भी मानते हैं किं राज्य गठन के बाद राजधानी में कबूतरबाजी और सोसाइटी खोलकर ठगी करने के मामले बड़े हैं।