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एनजीटी ने उत्तराखंड में प्रदूषण को बढ़ने से रोकने और पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य सरकार को पर्यावरण प्रबंधन योजना लागू करने के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने जीबी पंत हिमालय पर्यावरण विकास संस्थान कोसी कटारमल को राज्य के लिए पर्यावरण प्रबंधन योजना तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है। संस्थान के करीब 10 वैज्ञानिकों की टीम इस काम में जुटी है।
सभी 13 जिलों का अलग-अलग और राज्य का एक समग्र प्लान तैयार किया जाएगा। इसे तैयार करने में एक साल का वक्त लगेगा। उसके बाद पर्यावरण प्रबंधन की यह योजना राज्य में लागू हो जाएगी। इसके लिए हर जिले में नगरों, कस्बों और अन्य स्थानों से निकलने वाला कूड़ा, सीवरेज, बायो मेडिकल वेस्ट, प्लास्टिक, भवन निर्माण का मलबा सहित हर तरह के अवशिष्ट के निस्तारण के लिए कार्य योजना तैयार करके हर जिले में संबंधित विभागों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
बता दें कि अभी तक उत्तराखंड राज्य में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनी है। वर्तमान में कूड़े, सीवरेज, बायो मेडिकल आदि को छोड़कर कई अन्य तरह के अवशिष्ट निस्तारण की जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से तय नहीं है और विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने का प्रयास करते हैं। इसे देखते हुए एनजीटी ने प्रदेश सरकार को इस संबंध में आदेश जारी किए।
जीबी पंत पर्यावरण संस्थान के निदेशक डॉ.आरएस रावल ने बताया कि सभी 13 जिलों और प्रदेश की पर्यावरण प्रबंधन योजना को तैयार करने में करीब एक साल का वक्त लगेगा। इसके लिए जीबी पंत संस्थान के निदेशक डॉ.आरएस रावल समन्वयक के तौर पर और संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जेसी कुनियाल मुख्य अन्वेषक बनाए गए हैं। शासन के निर्देश के मुताबिक हर जिले के जिलाधिकारी समिति के अध्यक्ष और डीएफओ पदेन सचिव बनाए गए हैं। इसके अलावा इस योजना से जुड़े विभागों के विभागाध्यक्ष सदस्य होंगे।
जीबी पंत पर्यावरण संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक और इस योजना के मुख्य समन्वयक डॉ. जेसी कुनियाल ने बताया कि पहले चरण में राज्य के सभी 13 जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बैठकें हो चुकी हैं। दूसरे चरण में एक और बैठक होगी। उसके बाद संबंधित विभागीय अधिकारियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि हर जिले में संबंधित विभागों से प्रस्तावित योजना से जुड़ी सभी तरह की जानकारियां प्राप्त करने के लिए एक फार्मेट (प्रपत्र) तैयार किया जा रहा है। इस योजना के तहत हर तरह के अवशिष्ट के निस्तारण के लिए संबंधित विभाग को जिम्मेदारी दी जाएगी। पूरी कार्ययोजना बनने के बाद इसे सरकार को सौंप दिया जाएगा। संवाद
इन 14 बिंदुओं को आधार पर बनेगा पर्यावरण प्रबंधन का प्लान
नगरों का कूड़ा और अन्य अवशिष्ट का निस्तारण, सॉलिड वेस्ट निस्तारण, बायो मेडिकल अवशिष्ट, इलेक्ट्रानिक वेस्ट, प्लास्टिक वेस्ट, मकानों का मलबा, खनन से निकलने वाले मलबे का निस्तारण, सीवेरज प्रबंधन, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल स्रोतों के रिचार्ज की योजना, भू जल की स्थिति।
उत्तराखंड शासन के निर्देश पर पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए पर्यावरण प्रबंधन तैयार करने का काम शुरू हो चुका है। संस्थान के 10 वैज्ञानिकों की टीम इस काम में जुटी है। एक साल के भीतर प्रशासन के सहयोग से राज्य के सभी 13 जिलों के साथ ही प्रदेश का समग्र प्लान तैयार हो जाने की उम्मीद है।
-डॉ. जेसी कुनियाल, मुख्य अन्वेषक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक जीबी पंत पर्यावरण संस्थान, कटारमल अल्मोड़ा
सार
- जीबी पंत पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिकों को एक साल में योजना का खाका तैयार करने की जिम्मेदारी
- हर तरह के अवशिष्ट के निस्तारण के लिए विभागों की जिम्मेदारी होगी तय
विस्तार
एनजीटी ने उत्तराखंड में प्रदूषण को बढ़ने से रोकने और पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य सरकार को पर्यावरण प्रबंधन योजना लागू करने के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने जीबी पंत हिमालय पर्यावरण विकास संस्थान कोसी कटारमल को राज्य के लिए पर्यावरण प्रबंधन योजना तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है। संस्थान के करीब 10 वैज्ञानिकों की टीम इस काम में जुटी है।
सभी 13 जिलों का अलग-अलग और राज्य का एक समग्र प्लान तैयार किया जाएगा। इसे तैयार करने में एक साल का वक्त लगेगा। उसके बाद पर्यावरण प्रबंधन की यह योजना राज्य में लागू हो जाएगी। इसके लिए हर जिले में नगरों, कस्बों और अन्य स्थानों से निकलने वाला कूड़ा, सीवरेज, बायो मेडिकल वेस्ट, प्लास्टिक, भवन निर्माण का मलबा सहित हर तरह के अवशिष्ट के निस्तारण के लिए कार्य योजना तैयार करके हर जिले में संबंधित विभागों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
बता दें कि अभी तक उत्तराखंड राज्य में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई ठोस नीति नहीं बनी है। वर्तमान में कूड़े, सीवरेज, बायो मेडिकल आदि को छोड़कर कई अन्य तरह के अवशिष्ट निस्तारण की जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से तय नहीं है और विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने का प्रयास करते हैं। इसे देखते हुए एनजीटी ने प्रदेश सरकार को इस संबंध में आदेश जारी किए।
जीबी पंत पर्यावरण संस्थान के निदेशक डॉ.आरएस रावल ने बताया कि सभी 13 जिलों और प्रदेश की पर्यावरण प्रबंधन योजना को तैयार करने में करीब एक साल का वक्त लगेगा। इसके लिए जीबी पंत संस्थान के निदेशक डॉ.आरएस रावल समन्वयक के तौर पर और संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जेसी कुनियाल मुख्य अन्वेषक बनाए गए हैं। शासन के निर्देश के मुताबिक हर जिले के जिलाधिकारी समिति के अध्यक्ष और डीएफओ पदेन सचिव बनाए गए हैं। इसके अलावा इस योजना से जुड़े विभागों के विभागाध्यक्ष सदस्य होंगे।
14 बिंदुओं को आधार पर बनेगा पर्यावरण प्रबंधन का प्लान
जीबी पंत पर्यावरण संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक और इस योजना के मुख्य समन्वयक डॉ. जेसी कुनियाल ने बताया कि पहले चरण में राज्य के सभी 13 जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बैठकें हो चुकी हैं। दूसरे चरण में एक और बैठक होगी। उसके बाद संबंधित विभागीय अधिकारियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि हर जिले में संबंधित विभागों से प्रस्तावित योजना से जुड़ी सभी तरह की जानकारियां प्राप्त करने के लिए एक फार्मेट (प्रपत्र) तैयार किया जा रहा है। इस योजना के तहत हर तरह के अवशिष्ट के निस्तारण के लिए संबंधित विभाग को जिम्मेदारी दी जाएगी। पूरी कार्ययोजना बनने के बाद इसे सरकार को सौंप दिया जाएगा। संवाद
इन 14 बिंदुओं को आधार पर बनेगा पर्यावरण प्रबंधन का प्लान
नगरों का कूड़ा और अन्य अवशिष्ट का निस्तारण, सॉलिड वेस्ट निस्तारण, बायो मेडिकल अवशिष्ट, इलेक्ट्रानिक वेस्ट, प्लास्टिक वेस्ट, मकानों का मलबा, खनन से निकलने वाले मलबे का निस्तारण, सीवेरज प्रबंधन, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल स्रोतों के रिचार्ज की योजना, भू जल की स्थिति।
उत्तराखंड शासन के निर्देश पर पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए पर्यावरण प्रबंधन तैयार करने का काम शुरू हो चुका है। संस्थान के 10 वैज्ञानिकों की टीम इस काम में जुटी है। एक साल के भीतर प्रशासन के सहयोग से राज्य के सभी 13 जिलों के साथ ही प्रदेश का समग्र प्लान तैयार हो जाने की उम्मीद है।
-डॉ. जेसी कुनियाल, मुख्य अन्वेषक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक जीबी पंत पर्यावरण संस्थान, कटारमल अल्मोड़ा