हाईकोर्ट के सख्त रुख के चलते आखिरकार देर शाम कर्मचारी संगठनों को हड़ताल से वापस आना ही पड़ा। ऐसा करते हुए कर्मचारी संगठन खुद भी बिखराव के मुहाने पर पहुंच गए थे। कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त होने पर अब सरकार भी राहत महसूस करेगी।
नो वर्क, नो पे के हिसाब से हड़ताली कर्मचारियों की हड़ताल अवधि का वेतन कटेगा। ज्यादा संभावना यही है कि कर्मचारियों को इस मामले में राहत दी जा सकती है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी कर्मचारियों द्वारा हड़ताल खत्म करने को बेहतर कदम बताया है।
एस्मा लागू करते हुए सरकार ने कर्मचारियों को तीन दिन का समय दिया था। बुधवार को यह समय सीमा खत्म हो रही थी। शासन का साफ कहना था कि तीन दिन में हड़ताल से कर्मचारी वापस नहीं होते तो एस्मा के तहत हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
मिनिस्ट्रीयल कर्मचारियों ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दाखिल की थी। बुधवार को हाईकोर्ट से भी कर्मचारियों को राहत नहीं मिल पाई।
उधर, हाईकोर्ट ने हड़ताल पर एक बार फिर सख्त रुख अपनाने का आदेश दिया। इस स्थिति को देखते हुए बुधवार को कर्मचारियों को मजबूरन हड़ताल से हटना पड़ा। मिनिस्ट्रीयल कर्मचारी दोपहर तक इस मामले को लेकर संशय में रहे।
हाईकोर्ट का रुख स्पष्ट होने के बाद इनके पास कोई विकल्प नहीं बचा। ऐसे में हड़ताल को समाप्त करने का ऐलान कर दिया गया। दूसरी तरफ संग्रह अमीनों ने भी हालात को भांपते हुए हड़ताल से वापस आने का फैसला किया।
हालांकि संग्रह अमीनों में हड़ताल को लेकर दो धड़ों का रुख अलग-अलग भी था। एक धड़े का कहना था कि हड़ताल को मांग पूरी होने तक जारी रखा जाना चाहिए।
मिनिस्ट्रीयल कर्मियों ने जहां हड़ताल खत्म कर दी है वहीं पर्वतीय पटवारी अब भी राज्स्व उप निरीक्षक के काम को छोड़े हुए हैं। इनका कहना है कि राजस्व पुलिस उप निरीक्षकों को संसाधन दिया जाए तो तुरंत ही काम शुरू कर दिया जाएगा।
पर्वतीय पटवारी महासंघ के संरक्षक बीपी जगूड़ी के मुताबिक यह बात कैबिनेट उप समिति को भी बता दी गई थी। वहीं नो वर्क नो पे के हिसाब से कर्मचारियों की हड़ताल अवधि का वेतन कटना तय है।
पर यह भी संभावना है कि कर्मचारियों को उपार्जित अवकाश का लाभ देकर इस नुकसान से बचा लिया जाए। नायब तहसीलदार पद पर पदोन्नति सहित अन्य मांगों को लेकर मिनिस्ट्रीयल और संग्रह अमीन करीब एक माह से हड़ताल पर थे।
सरकारी कर्मियों की मांगें चाहे कुछ भी हों, वे हड़ताल नहीं कर सकते हैं। जो कर्मचारी काम पर वापस आना चाहते हैं, उन्हें पुलिस सुरक्षा दी जाए। तीन दिन में काम पर लौटने वालों पर कोई कार्रवाई न की जाए। मांगों पर सरकार सहानुभूतिपूर्वक विचार करे।
विपक्ष ने साधा निशाना
नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट हड़ताल के मामले में कर्मचारियों के पक्ष में नजर आए। उन्होंने एस्मा लगाने के राज्य सरकार के कदम की आलोचना की और कहा कि यदि समय रहते समाधान खोज लिया गया होता तो आज यह नौबत नहीं आती।
भट्ट ने विधानसभाध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के उस बयान पर तीखी टिप्पणी की है, जिसमें उन्होंने राज्य बनने के बाद सबसे अधिक फायदा सरकारी मुलाजिमों को हुआ बताया है। उन्होंने कहा कि ये ही कर्मचारी कभी राज्य आंदोलनकारी भी रहे हैं।
हाईकोर्ट के सख्त रुख के चलते आखिरकार देर शाम कर्मचारी संगठनों को हड़ताल से वापस आना ही पड़ा। ऐसा करते हुए कर्मचारी संगठन खुद भी बिखराव के मुहाने पर पहुंच गए थे। कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त होने पर अब सरकार भी राहत महसूस करेगी।
नो वर्क, नो पे के हिसाब से हड़ताली कर्मचारियों की हड़ताल अवधि का वेतन कटेगा। ज्यादा संभावना यही है कि कर्मचारियों को इस मामले में राहत दी जा सकती है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी कर्मचारियों द्वारा हड़ताल खत्म करने को बेहतर कदम बताया है।
एस्मा लागू करते हुए सरकार ने कर्मचारियों को तीन दिन का समय दिया था। बुधवार को यह समय सीमा खत्म हो रही थी। शासन का साफ कहना था कि तीन दिन में हड़ताल से कर्मचारी वापस नहीं होते तो एस्मा के तहत हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
हाईकोर्ट की सख्ती से टूटी हड़ताल
मिनिस्ट्रीयल कर्मचारियों ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दाखिल की थी। बुधवार को हाईकोर्ट से भी कर्मचारियों को राहत नहीं मिल पाई।
उधर, हाईकोर्ट ने हड़ताल पर एक बार फिर सख्त रुख अपनाने का आदेश दिया। इस स्थिति को देखते हुए बुधवार को कर्मचारियों को मजबूरन हड़ताल से हटना पड़ा। मिनिस्ट्रीयल कर्मचारी दोपहर तक इस मामले को लेकर संशय में रहे।
हाईकोर्ट का रुख स्पष्ट होने के बाद इनके पास कोई विकल्प नहीं बचा। ऐसे में हड़ताल को समाप्त करने का ऐलान कर दिया गया। दूसरी तरफ संग्रह अमीनों ने भी हालात को भांपते हुए हड़ताल से वापस आने का फैसला किया।
हालांकि संग्रह अमीनों में हड़ताल को लेकर दो धड़ों का रुख अलग-अलग भी था। एक धड़े का कहना था कि हड़ताल को मांग पूरी होने तक जारी रखा जाना चाहिए।
कर्मचारी अभी भी काम पर नहीं लौटे
मिनिस्ट्रीयल कर्मियों ने जहां हड़ताल खत्म कर दी है वहीं पर्वतीय पटवारी अब भी राज्स्व उप निरीक्षक के काम को छोड़े हुए हैं। इनका कहना है कि राजस्व पुलिस उप निरीक्षकों को संसाधन दिया जाए तो तुरंत ही काम शुरू कर दिया जाएगा।
पर्वतीय पटवारी महासंघ के संरक्षक बीपी जगूड़ी के मुताबिक यह बात कैबिनेट उप समिति को भी बता दी गई थी। वहीं नो वर्क नो पे के हिसाब से कर्मचारियों की हड़ताल अवधि का वेतन कटना तय है।
पर यह भी संभावना है कि कर्मचारियों को उपार्जित अवकाश का लाभ देकर इस नुकसान से बचा लिया जाए। नायब तहसीलदार पद पर पदोन्नति सहित अन्य मांगों को लेकर मिनिस्ट्रीयल और संग्रह अमीन करीब एक माह से हड़ताल पर थे।
हड़ताल नहीं कर सकते कर्मचारीः हाईकोर्ट
सरकारी कर्मियों की मांगें चाहे कुछ भी हों, वे हड़ताल नहीं कर सकते हैं। जो कर्मचारी काम पर वापस आना चाहते हैं, उन्हें पुलिस सुरक्षा दी जाए। तीन दिन में काम पर लौटने वालों पर कोई कार्रवाई न की जाए। मांगों पर सरकार सहानुभूतिपूर्वक विचार करे।
विपक्ष ने साधा निशाना
नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट हड़ताल के मामले में कर्मचारियों के पक्ष में नजर आए। उन्होंने एस्मा लगाने के राज्य सरकार के कदम की आलोचना की और कहा कि यदि समय रहते समाधान खोज लिया गया होता तो आज यह नौबत नहीं आती।
भट्ट ने विधानसभाध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के उस बयान पर तीखी टिप्पणी की है, जिसमें उन्होंने राज्य बनने के बाद सबसे अधिक फायदा सरकारी मुलाजिमों को हुआ बताया है। उन्होंने कहा कि ये ही कर्मचारी कभी राज्य आंदोलनकारी भी रहे हैं।