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बांग्लादेश में मुक्तियुद्ध के 50 साल और 26 जनवरी का ऐतिहासिक दिन

प्रशांत दीक्षित Published by: प्रशांत दीक्षित Updated Fri, 29 Jan 2021 03:38 AM IST

इस बार 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड के दौरान बांग्लादेश के सशस्त्र बलों के एक दल ने मार्च पास्ट का नेतृत्व किया। गणतंत्र दिवस के परेड में उनकी मौजूदगी बांग्लादेश की आजादी के 50वें वर्ष और उस ऐतिहासिक लक्ष्य को प्राप्त करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका का स्मरण करने के लिए थी। इसने मुझे कई स्मृतियों से भर दिया, जो अगर उदास करने वाली थीं, तो उस राष्ट्रीय अभियान का हिस्सा बनने के कारण मुझे संतोष का भी अनुभव हुआ। 25 मार्च, 1971 की रात पाक सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में अपने ही देश के नागरिकों पर दमन की कार्रवाई शुरू की थी। अकेले ढाका में हजारों लोगों को गोलियों और बमों से तथा जलाकर मार डाला गया था। वही ढाका अब बांग्लादेश की राजधानी है। उस दमन चक्र के कारण जुलाई, 1971 तक 65 लाख लोग वहां से भागकर भारत में शरणार्थी के रूप में आए। उनमें से 50 लाख से भी ज्यादा लोगों को पश्चिम बंगाल में शरण मिली। देश में बांग्लादेशी शरणार्थियों के करीब 600 शिविर थे, जिनमें से लगभग 400 शिविर पश्चिम बंगाल में थे। पूर्वी पाकिस्तान में पाक सैनिकों की वह क्रूरता बोस्निया और रवांडा के नरसंहार से भी भीषण थी। 


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