बैंकिंग सेवाओं का तेज विकास तकनीक की मदद से ही संभव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तकनीकी वित्तीय क्षेत्र की प्रगति पर जोर देते हुए कहा कि अभी तक फिनटेक को लेकर की गई कोशिशों को क्रांति का रूप देने का समय आ गया है। फिनटेक क्रांति से ही देश के हर नागरिक तक वित्तीय आजादी पहुंच सकती है।
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) के इन्फिनिटी फोरम की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, हमारी सरकार का मकसद कम लागत में विश्वसनीय भुगतान तंत्र मुहैया कराना है। यह सिर्फ तकनीक से संभव है, जो वित्तीय क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला रही है। पिछले साल महामारी के दौर में मोबाइल से भुगतान का आंकड़ा एटीएम निकासी से भी आगे निकल गया। अब हम बिना किसी फिजिकल शाखा वाले डिजिटल बैंक पर काम कर रहे हैं। जल्द ही देश को पहला डिजिटल बैंक मिलेगा, जो अगले एक दशक में आम बात हो जाएगी।
फिनटेक को अब क्रांति का रूप बनाने की जरूरत है, जिससे देश के हर नागरिक को वित्तीय मजबूती और आजादी मिलेगी। वस्तुओं के लेनदेन से शुरू हुआ वित्तीय सफर धातुओं, सिक्कों, नोट, चेक से कार्ड पर आ गया। अब डिजिटल व्यवस्था में इसकी भी जरूरत नहीं होगी।
लोगों में भरोसा कायम करना चुनौती
प्रधानमंत्री ने फिनटेक के विकास में भरोसे को सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि वित्तीय लेनदेन में आम नागरिक के हितों की सुरक्षा सबसे जरूरी है और कोई भी तकनीक तभी कारगर हो सकती है, जब उसका लाभ उठाने वाले को भरोसा हो। यह हमारी जिम्मेदारी है कि उपभोक्ताओं को इसमें पूरी सुरक्षा दी जाएगी। हम हमेशा सीखने और अपना ज्ञान बांटने में विश्वास रखते हैं। भारतीय फिनटेक क्षेत्र दुनियाभर के नागरिकों का जीवन बेहतर बना सकता है।
चार स्तंभों पर खड़ा है फिनटेक बाजार
फिनटेक का भविष्य मुख्य रूप से चार क्षेत्रों पर निर्भर करता है। आय, निवेश, बीमा और संस्थागत कर्ज। मोदी ने कहा, जब आय बढ़ती है तो निवेश की संभावनाएं पैदा होती हैं। बीमा सुरक्षा से निवेश का ज्यादा जोखिम लेने की क्षमता आती है और संस्थागत कर्ज से कारोबार विस्तार में मदद मिलती है। लिहाजा हम इन चारों स्तंभों को मजबूत बनाने पर काम कर रहे हैं। इनके साथ आने से आप देखेंगे कि बड़ी संख्या में लोग वित्तीय क्षेत्र में भागीदार बन गए हैं।
भारत में बढ़ी डिजिटल पहुंच
- 50 फीसदी लोगों के पास ही बैंक खाते थे 2014 में
- 43 करोड़ जनधन खाते खोले गए सात साल में
- 69 करोड़ रूपे कार्ड बनाए, जिनसे पिछले साल 1.2 अरब लेनदेन हुआ
- 4.2 अरब लेनदेन यूपीआई से हुआ पिछले महीने
- 30 करोड़ इनवॉयस हर महीने जनरेट होती है जीएसटी पोर्टल पर
क्रिप्टोकरेंसी जैसी तकनीक पर सभी देश मिलकर नियंत्रण करें : सीतारमण
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बार फिर क्रिप्टोकरेंसी के जोखिमों को लेकर आगाह किया। इन्फिनिटी फोरम में उन्होंने कहा कि इस तरह की भुगतान और लेनदेन वाली तकनीक पर दुनियाभर के देशों को मिलकर नियंत्रण करना चाहिए। क्रिप्टोकरेंसी पर सदन में कानून बनाने का उल्लेख करते हुए सीतारमण ने कहा कि हम राष्ट्रीय स्तर पर इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, लेकिन पूरी तरह नियंत्रण के लिए वैश्विक प्रयास भी साथ होने चाहिए। जब आप कमाई बढ़ाने वाले विकल्पों के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहली जरूरत उनके नियंत्रण को लेकर आती है।
ब्लॉकचेन तकनीक भरोसेमंद, लेनदेन को देगी सुरक्षा : मुकेश
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने ब्लॉकचेन तकनीक को भरोसेमंद बताया है। उन्होंने कहा, यह क्रिप्टोकरेंसी से अलग है और वित्तीय लेनदेन को सुरक्षा प्रदान कर सकता है। उन्होंने गवर्नर के हवाले से कहा कि ब्लॉकचेन तकनीक बिना क्रिप्टोकरेंसी के भी चलती रहेगी और इससे लेनदेन को सुरक्षा, भरोसा और ऑटोमेशन की ऐसी सहूलियम मिलेगी, जो पहले कभी नहीं थी। इस तकनीक से हमारी आपूर्ति शृंखला को बेहतर बनाया जा सकता है। इसकी मदद से जमीन, संपत्ति, सोना या अन्य संपत्तियों के मालिकाना हक वाले दस्तावेजों का डिजिटलीकरण किया जा सकता है।
भारत के युवा उद्यमियों पर भरोसा : सॉफ्टबैंक
जापान के अरबपति निवेशक और सॉफ्टबैंक के मुख्य कार्यकारी मसायोशी सन ने भारत के उज्जवल भविष्य पर भरोसा जताया है। उन्होंने कहा, युवा उद्यमियों का जुनून देखते बनता है। यही कारण है कि देश के सभी यूनिकॉर्न स्टार्टअप में हमारे निवेश की हिस्सेदारी 10 फीसदी है। सॉफ्टबैंक समूह पिछले 10 साल में 14 अरब डॉलर का निवेश कर चुका है, जिसमें से 3 अरब डॉलर इसी साल दिए हैं। हम भारत के युवाओं से कहते हैं कि आप उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ो, हम पूरी मदद करेंगे। सॉफ्टबैंक के निवेश से देश में 10 लाख से भी ज्यादा नौकरियों का सृजन हुआ।
भारत ने साबित किया है कि जब तकनीक अपनाने या नवाचार की बात आती है तो हम किसी से पीछे नहीं हैं। डिजिटल इंडिया के तहत हुई पहल ने दुनियाभर के फिनटेक सॉल्यूशंस के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
विस्तार
बैंकिंग सेवाओं का तेज विकास तकनीक की मदद से ही संभव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तकनीकी वित्तीय क्षेत्र की प्रगति पर जोर देते हुए कहा कि अभी तक फिनटेक को लेकर की गई कोशिशों को क्रांति का रूप देने का समय आ गया है। फिनटेक क्रांति से ही देश के हर नागरिक तक वित्तीय आजादी पहुंच सकती है।
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) के इन्फिनिटी फोरम की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, हमारी सरकार का मकसद कम लागत में विश्वसनीय भुगतान तंत्र मुहैया कराना है। यह सिर्फ तकनीक से संभव है, जो वित्तीय क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला रही है। पिछले साल महामारी के दौर में मोबाइल से भुगतान का आंकड़ा एटीएम निकासी से भी आगे निकल गया। अब हम बिना किसी फिजिकल शाखा वाले डिजिटल बैंक पर काम कर रहे हैं। जल्द ही देश को पहला डिजिटल बैंक मिलेगा, जो अगले एक दशक में आम बात हो जाएगी।
फिनटेक को अब क्रांति का रूप बनाने की जरूरत है, जिससे देश के हर नागरिक को वित्तीय मजबूती और आजादी मिलेगी। वस्तुओं के लेनदेन से शुरू हुआ वित्तीय सफर धातुओं, सिक्कों, नोट, चेक से कार्ड पर आ गया। अब डिजिटल व्यवस्था में इसकी भी जरूरत नहीं होगी।
लोगों में भरोसा कायम करना चुनौती
प्रधानमंत्री ने फिनटेक के विकास में भरोसे को सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि वित्तीय लेनदेन में आम नागरिक के हितों की सुरक्षा सबसे जरूरी है और कोई भी तकनीक तभी कारगर हो सकती है, जब उसका लाभ उठाने वाले को भरोसा हो। यह हमारी जिम्मेदारी है कि उपभोक्ताओं को इसमें पूरी सुरक्षा दी जाएगी। हम हमेशा सीखने और अपना ज्ञान बांटने में विश्वास रखते हैं। भारतीय फिनटेक क्षेत्र दुनियाभर के नागरिकों का जीवन बेहतर बना सकता है।
चार स्तंभों पर खड़ा है फिनटेक बाजार
फिनटेक का भविष्य मुख्य रूप से चार क्षेत्रों पर निर्भर करता है। आय, निवेश, बीमा और संस्थागत कर्ज। मोदी ने कहा, जब आय बढ़ती है तो निवेश की संभावनाएं पैदा होती हैं। बीमा सुरक्षा से निवेश का ज्यादा जोखिम लेने की क्षमता आती है और संस्थागत कर्ज से कारोबार विस्तार में मदद मिलती है। लिहाजा हम इन चारों स्तंभों को मजबूत बनाने पर काम कर रहे हैं। इनके साथ आने से आप देखेंगे कि बड़ी संख्या में लोग वित्तीय क्षेत्र में भागीदार बन गए हैं।
भारत में बढ़ी डिजिटल पहुंच
- 50 फीसदी लोगों के पास ही बैंक खाते थे 2014 में
- 43 करोड़ जनधन खाते खोले गए सात साल में
- 69 करोड़ रूपे कार्ड बनाए, जिनसे पिछले साल 1.2 अरब लेनदेन हुआ
- 4.2 अरब लेनदेन यूपीआई से हुआ पिछले महीने
- 30 करोड़ इनवॉयस हर महीने जनरेट होती है जीएसटी पोर्टल पर
क्रिप्टोकरेंसी जैसी तकनीक पर सभी देश मिलकर नियंत्रण करें : सीतारमण
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बार फिर क्रिप्टोकरेंसी के जोखिमों को लेकर आगाह किया। इन्फिनिटी फोरम में उन्होंने कहा कि इस तरह की भुगतान और लेनदेन वाली तकनीक पर दुनियाभर के देशों को मिलकर नियंत्रण करना चाहिए। क्रिप्टोकरेंसी पर सदन में कानून बनाने का उल्लेख करते हुए सीतारमण ने कहा कि हम राष्ट्रीय स्तर पर इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं, लेकिन पूरी तरह नियंत्रण के लिए वैश्विक प्रयास भी साथ होने चाहिए। जब आप कमाई बढ़ाने वाले विकल्पों के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहली जरूरत उनके नियंत्रण को लेकर आती है।
ब्लॉकचेन तकनीक भरोसेमंद, लेनदेन को देगी सुरक्षा : मुकेश
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने ब्लॉकचेन तकनीक को भरोसेमंद बताया है। उन्होंने कहा, यह क्रिप्टोकरेंसी से अलग है और वित्तीय लेनदेन को सुरक्षा प्रदान कर सकता है। उन्होंने गवर्नर के हवाले से कहा कि ब्लॉकचेन तकनीक बिना क्रिप्टोकरेंसी के भी चलती रहेगी और इससे लेनदेन को सुरक्षा, भरोसा और ऑटोमेशन की ऐसी सहूलियम मिलेगी, जो पहले कभी नहीं थी। इस तकनीक से हमारी आपूर्ति शृंखला को बेहतर बनाया जा सकता है। इसकी मदद से जमीन, संपत्ति, सोना या अन्य संपत्तियों के मालिकाना हक वाले दस्तावेजों का डिजिटलीकरण किया जा सकता है।
भारत के युवा उद्यमियों पर भरोसा : सॉफ्टबैंक
जापान के अरबपति निवेशक और सॉफ्टबैंक के मुख्य कार्यकारी मसायोशी सन ने भारत के उज्जवल भविष्य पर भरोसा जताया है। उन्होंने कहा, युवा उद्यमियों का जुनून देखते बनता है। यही कारण है कि देश के सभी यूनिकॉर्न स्टार्टअप में हमारे निवेश की हिस्सेदारी 10 फीसदी है। सॉफ्टबैंक समूह पिछले 10 साल में 14 अरब डॉलर का निवेश कर चुका है, जिसमें से 3 अरब डॉलर इसी साल दिए हैं। हम भारत के युवाओं से कहते हैं कि आप उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ो, हम पूरी मदद करेंगे। सॉफ्टबैंक के निवेश से देश में 10 लाख से भी ज्यादा नौकरियों का सृजन हुआ।
भारत ने साबित किया है कि जब तकनीक अपनाने या नवाचार की बात आती है तो हम किसी से पीछे नहीं हैं। डिजिटल इंडिया के तहत हुई पहल ने दुनियाभर के फिनटेक सॉल्यूशंस के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री