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बिहार के बोधगया में हुए विस्फोट में मंदिर प्रबंधन समिति के दो पूर्व सचिव संदेह के दायरे में आ गए हैं। हांलाकि इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएम) अब भी प्रमुख संदिग्ध बना हुआ है।
टीओआई की खबर के मुताबिक जांच में मंदिर के निकट एक सांप्रदायिक संगठन का गुप्त शिविर होने की जानकारी मिली है। इसका संबंध दोनों पूर्व सचिवों से भी होने की बात सामने आई है। साथ ही इससे आतंकियों को स्थानीय मदद मिलने की बात मानी जा रही है।
बोधगया के दौरे के बाद गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के बयान में विस्फोट के लिए 'स्थानीय सांप्रदायिक मुद्दों' को कारण बताना भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
दोनों सचिवों पर थे आरोपदोनों पूर्व सचिवों का विवादास्पद कार्यकाल रहा था और इन पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। साथ ही अचानक इन पर लगे आरोप हटा भी दिए गए थे।
एक पूर्व सचिव पर पवित्र बोधिवृक्ष की टहनियां अवैध तरीके से काटकर बेचने का आरोप था। दूसरे पर प्रतिबंधित समय पर भी विदेशी सैलानियों के एक समूह के लिए मंदिर के प्रवेश द्वार खोलने का आरोप लगाया गया था।
15 सीसीटीवी कैमरो से बच निकलेआतंकी विस्फोट की जांच कर रहीं सभी जांच एजेंसियों का मानना है कि अगर आईएम या अन्य आतंकी संगठनों का भी इसमें हाथ है तो भी उन्हें स्थानीय स्तर पर मदद की गई है, जिससे उन्हें अंदरूनी जानकारी मिली है।
इस बात की पुष्टि इससे भी होती है कि विस्फोटक बेहद आसानी से अंदर लाकर लगाए गए। साथ ही 15 सीसीटीवी कैमरे होने के बावजूद भी आरोपी उनकी नजर से बच निकले।
मंदिर के सचिव एन डोरजे के मुताबकि विस्फोटक लगाने वालों ने सीसीटीवी की रेंज से बाहर रहकर विस्फोटक लगाए जिससे वह कैमरे की नजर से बच निकले।
जांचकर्ताओं का ये भी कहना है उन्हें जानकारी थी कि कौन से कैमरे की रेंज कहां तक हैं। मंदिर को सुरक्षा देने वाले एजेंसी की जांच भी की जा रही है। समझौते के मुताबिक सुरक्षाकर्मियों मंदिर में हर वक्त मौजूद होना चाहिए लेकिन जब आतंकी आए तो सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं थे।
बिहार के बोधगया में हुए विस्फोट में मंदिर प्रबंधन समिति के दो पूर्व सचिव संदेह के दायरे में आ गए हैं। हांलाकि इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएम) अब भी प्रमुख संदिग्ध बना हुआ है।
टीओआई की खबर के मुताबिक जांच में मंदिर के निकट एक सांप्रदायिक संगठन का गुप्त शिविर होने की जानकारी मिली है। इसका संबंध दोनों पूर्व सचिवों से भी होने की बात सामने आई है। साथ ही इससे आतंकियों को स्थानीय मदद मिलने की बात मानी जा रही है।
बोधगया के दौरे के बाद गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के बयान में विस्फोट के लिए 'स्थानीय सांप्रदायिक मुद्दों' को कारण बताना भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
दोनों सचिवों पर थे आरोप
दोनों पूर्व सचिवों का विवादास्पद कार्यकाल रहा था और इन पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। साथ ही अचानक इन पर लगे आरोप हटा भी दिए गए थे।
एक पूर्व सचिव पर पवित्र बोधिवृक्ष की टहनियां अवैध तरीके से काटकर बेचने का आरोप था। दूसरे पर प्रतिबंधित समय पर भी विदेशी सैलानियों के एक समूह के लिए मंदिर के प्रवेश द्वार खोलने का आरोप लगाया गया था।
15 सीसीटीवी कैमरो से बच निकले
आतंकी विस्फोट की जांच कर रहीं सभी जांच एजेंसियों का मानना है कि अगर आईएम या अन्य आतंकी संगठनों का भी इसमें हाथ है तो भी उन्हें स्थानीय स्तर पर मदद की गई है, जिससे उन्हें अंदरूनी जानकारी मिली है।
इस बात की पुष्टि इससे भी होती है कि विस्फोटक बेहद आसानी से अंदर लाकर लगाए गए। साथ ही 15 सीसीटीवी कैमरे होने के बावजूद भी आरोपी उनकी नजर से बच निकले।
मंदिर के सचिव एन डोरजे के मुताबकि विस्फोटक लगाने वालों ने सीसीटीवी की रेंज से बाहर रहकर विस्फोटक लगाए जिससे वह कैमरे की नजर से बच निकले।
जांचकर्ताओं का ये भी कहना है उन्हें जानकारी थी कि कौन से कैमरे की रेंज कहां तक हैं। मंदिर को सुरक्षा देने वाले एजेंसी की जांच भी की जा रही है। समझौते के मुताबिक सुरक्षाकर्मियों मंदिर में हर वक्त मौजूद होना चाहिए लेकिन जब आतंकी आए तो सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं थे।