वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Updated Sun, 07 Jun 2020 08:06 PM IST
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ट्रंप ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए वाशिंगटन डीसी में तैनात नेशनल गार्ड्स को वापस भेजने का आदेश जारी किया है। ट्रंप ने कहा, अब जब स्थितियां पूरी तरह से नियंत्रण में हैं, मैंने अभी आदेश दिया है कि हमारे नेशनल गार्ड्स वाशिंगटन से जाने की तैयारियां करें। ये अपने घर जा रहे हैं, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो इन्हें तुरंत वापस बुलाया जा सकता है।
बता दें कि बीते दिनों मिनीपोलिस में अश्वेत अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की श्वेत पुलिसकर्मी के हाथों हुई मौत के बाद अमेरिका एक बार फिर रंगभेद की लपटों से घिर गया है। इसके विरोध में शुरू हुई विरोध प्रदर्शनों की श्रंखला अब दूसरे देशों में भी पहुंच गई है। वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रदर्शनकारियों को शांत न होने पर सेना बुलाने तक की धमकी दे डाली और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ विद्रोही कानून का प्रयोग करने की बात कह दी।
अब इस मामले में व्हाइट हाउस और पेंटागन के बीच तनाव होने की खबरें आ रही हैं। ट्रंप के इस बयान के खिलाफ पेंटागन के सलाहकार जेम्स जूनियर मिलर इस्तीफा दे चुके हैं वहीं रक्षा मंत्री मार्क एस्पर भी अब ट्रंप के विरोध में आ गए हैं। एस्पर ने पेंटागन में प्रेस वार्ता के दौरान प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ विद्रोही कानून लागू करने से असहमति जताई। यह कानून लागू होने पर ट्रंप को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सेना का इस्तेमाल करने का अधिकार मिल जाता।
हाल ही में ट्रंप की दमनकारी नीति को दर्शाता एक वाकया सामने आया था जब व्हाइट हाउस के बाहर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले छोड़े गए थे। यह कार्रवाई केवल इसलिए की गई थी कि ट्रंप चर्च पर जाकर तस्वीरें खिंचवा सकें। इस बात से दुखी जूनियर मिलर ने इस्तीफा दे दिया था और एक पत्र लिख कर ट्रंप और मार्क एस्पर का विरोध किया था। इसके बाद से शीर्ष अमेरिकी प्रशासन में ट्रंप के खिलाफ सुर उठने लगे हैं।
अपने ही नागरिकों के खिलाफ सेना का इस्तेमाल करने की धमकी देने के बाद ट्रंप की चारों ओर आलोचना हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि देश की सेना का देश के नागरिकों के बगैर कोई अस्तित्व नहीं है। लोग सेना के प्रति बहुत पवित्र भावना रखते हैं इसलिए सेना का जनता के ही खिलाफ इस्तेमाल राजनीतिक होगा और ऐसा नहीं होना चाहिए। वहीं कुछ सैन्य अधिकारी कह रहे हैं कि अगर ऐसा होता है तो लोगों का सेना पर से भरोसा उठ जाएगा।
सार
दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश माना जाने वाला संयुक्त राज्य अमेरिका इस समय दोहरी समस्याओं से जकड़ा हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर पहले ही देश में कोरोना वायरस के प्रबंधन को लेकर सवाल उठते आए हैं तो दूसरी ओर एक अश्वेत नागरिक की पुलिस के हाथों मौत के बाद शुरू हुए प्रदर्शनों ने उन्हें और संकट में ला दिया है। वहीं, ट्रंप ने अब वाशिंगटन में तैनात नेशनल गार्ड्स को वापस जाने का आदेश दे दिया है।
विस्तार
ट्रंप ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए वाशिंगटन डीसी में तैनात नेशनल गार्ड्स को वापस भेजने का आदेश जारी किया है। ट्रंप ने कहा, अब जब स्थितियां पूरी तरह से नियंत्रण में हैं, मैंने अभी आदेश दिया है कि हमारे नेशनल गार्ड्स वाशिंगटन से जाने की तैयारियां करें। ये अपने घर जा रहे हैं, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो इन्हें तुरंत वापस बुलाया जा सकता है।
बता दें कि बीते दिनों मिनीपोलिस में अश्वेत अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की श्वेत पुलिसकर्मी के हाथों हुई मौत के बाद अमेरिका एक बार फिर रंगभेद की लपटों से घिर गया है। इसके विरोध में शुरू हुई विरोध प्रदर्शनों की श्रंखला अब दूसरे देशों में भी पहुंच गई है। वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रदर्शनकारियों को शांत न होने पर सेना बुलाने तक की धमकी दे डाली और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ विद्रोही कानून का प्रयोग करने की बात कह दी।
अब इस मामले में व्हाइट हाउस और पेंटागन के बीच तनाव होने की खबरें आ रही हैं। ट्रंप के इस बयान के खिलाफ पेंटागन के सलाहकार जेम्स जूनियर मिलर इस्तीफा दे चुके हैं वहीं रक्षा मंत्री मार्क एस्पर भी अब ट्रंप के विरोध में आ गए हैं। एस्पर ने पेंटागन में प्रेस वार्ता के दौरान प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ विद्रोही कानून लागू करने से असहमति जताई। यह कानून लागू होने पर ट्रंप को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सेना का इस्तेमाल करने का अधिकार मिल जाता।
फोटो खिंचवाने के लिए ट्रंप ने चलवा दी थीं प्रदर्शनकारियों पर रबर की गोलियां
हाल ही में ट्रंप की दमनकारी नीति को दर्शाता एक वाकया सामने आया था जब व्हाइट हाउस के बाहर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले छोड़े गए थे। यह कार्रवाई केवल इसलिए की गई थी कि ट्रंप चर्च पर जाकर तस्वीरें खिंचवा सकें। इस बात से दुखी जूनियर मिलर ने इस्तीफा दे दिया था और एक पत्र लिख कर ट्रंप और मार्क एस्पर का विरोध किया था। इसके बाद से शीर्ष अमेरिकी प्रशासन में ट्रंप के खिलाफ सुर उठने लगे हैं।
अपने ही नागरिकों के खिलाफ सेना का इस्तेमाल करने की धमकी देने के बाद ट्रंप की चारों ओर आलोचना हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि देश की सेना का देश के नागरिकों के बगैर कोई अस्तित्व नहीं है। लोग सेना के प्रति बहुत पवित्र भावना रखते हैं इसलिए सेना का जनता के ही खिलाफ इस्तेमाल राजनीतिक होगा और ऐसा नहीं होना चाहिए। वहीं कुछ सैन्य अधिकारी कह रहे हैं कि अगर ऐसा होता है तो लोगों का सेना पर से भरोसा उठ जाएगा।