ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे अपनी कंजरवेटिव पार्टी से इस्तीफा देंगी। हालांकि वह प्रधानंमत्री पद का कार्यभार तब तक संभालेंगी जब तक इसके लिए किसी नए नेता का चयन नहीं हो जाता। उन्होंने इस्तीफा देने के लिए 7 जून की तारीख चुनी है।
ये बात उन्होंने शुक्रवार को कही। टेरीजा करीब तीन साल से ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग करने के लिए प्रयास कर रही हैं। कई बार इसके लिए समय सीमा भी बढ़ाई गई लेकिन उनकी पार्टी के नेता ही उनके खिलाफ नजर आए।
टेरीजा मे ने ये बात भी स्वीकार की है कि उन्होंने ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग करने के समझौते के लिए सांसदों को मनाने की काफी कोशिश की लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाईं।
उन्होंने कहा, "मैं विश्वास करती हूं कि मुझे दृढ़ रहने का अधिकार है, यहां तक कि जब सफलताओं के खिलाफ बाधाएं हों। लेकिन अब मुझे ये सपष्ट हो गया है कि यह देश के लिए बेहतर होगा कि उन्हें एक नया प्रधानमंत्री मिले।"
दूसरे समझौते के असफल होने पर उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गहरे खेद का विषय रहेगा। उन्होंने रुंधी हुई आवाज में कहा कि वह दूसरी महिला प्रधानमंत्री हैं लेकिन आखिरी नहीं हैं। कंजरवेटिव पार्टी के नेता भी मे के ब्रक्जिट समझौते पर सफल नहीं होने को लेकर निराश हैं।
पहला जनमत संग्रह
ब्रिटेन में ब्रेक्जिट के आने से सबसे बड़े राजनीतिक संकट की शुरुआत हुई। आज भी ये संकट जारी है। इस मुद्दे पर ब्रिटेन में पहला जनमत संग्रह 23 जून, 2016 को हुआ था। इसमें 52 फीसदी लोगों ने यूरोपीय संघ से अलग होने के पक्ष में मतदान किया था। इस वोटिंग के अगले ही दिन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इस्तीफा दे दिया।
टेरीजा मे 13 जुलाई, 2016 को ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री बनीं। उन्होंने 2 साल में ब्रेक्जिट का दावा किया था। मे ने 2 साल में ब्रेग्जिट प्रक्रिया को पूरा करने के वादे के साथ शपथ ली थी। लेकिन वो भी इसमें सफल नहीं हो पाईं।
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे अपनी कंजरवेटिव पार्टी से इस्तीफा देंगी। हालांकि वह प्रधानंमत्री पद का कार्यभार तब तक संभालेंगी जब तक इसके लिए किसी नए नेता का चयन नहीं हो जाता। उन्होंने इस्तीफा देने के लिए 7 जून की तारीख चुनी है।
ये बात उन्होंने शुक्रवार को कही। टेरीजा करीब तीन साल से ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग करने के लिए प्रयास कर रही हैं। कई बार इसके लिए समय सीमा भी बढ़ाई गई लेकिन उनकी पार्टी के नेता ही उनके खिलाफ नजर आए।
टेरीजा मे ने ये बात भी स्वीकार की है कि उन्होंने ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग करने के समझौते के लिए सांसदों को मनाने की काफी कोशिश की लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाईं।
उन्होंने कहा, "मैं विश्वास करती हूं कि मुझे दृढ़ रहने का अधिकार है, यहां तक कि जब सफलताओं के खिलाफ बाधाएं हों। लेकिन अब मुझे ये सपष्ट हो गया है कि यह देश के लिए बेहतर होगा कि उन्हें एक नया प्रधानमंत्री मिले।"
दूसरे समझौते के असफल होने पर उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गहरे खेद का विषय रहेगा। उन्होंने रुंधी हुई आवाज में कहा कि वह दूसरी महिला प्रधानमंत्री हैं लेकिन आखिरी नहीं हैं। कंजरवेटिव पार्टी के नेता भी मे के ब्रक्जिट समझौते पर सफल नहीं होने को लेकर निराश हैं।
पहला जनमत संग्रह
ब्रिटेन में ब्रेक्जिट के आने से सबसे बड़े राजनीतिक संकट की शुरुआत हुई। आज भी ये संकट जारी है। इस मुद्दे पर ब्रिटेन में पहला जनमत संग्रह 23 जून, 2016 को हुआ था। इसमें 52 फीसदी लोगों ने यूरोपीय संघ से अलग होने के पक्ष में मतदान किया था। इस वोटिंग के अगले ही दिन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इस्तीफा दे दिया।
टेरीजा मे 13 जुलाई, 2016 को ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री बनीं। उन्होंने 2 साल में ब्रेक्जिट का दावा किया था। मे ने 2 साल में ब्रेग्जिट प्रक्रिया को पूरा करने के वादे के साथ शपथ ली थी। लेकिन वो भी इसमें सफल नहीं हो पाईं।