संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र के बाद से भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्री अमेरिका में हैं। इस बीच अमेरिका ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान दोनों अलग-अलग बिंदुओं पर अमेरिका के साझेदार हैं। बाइडन प्रशासन की ओर से यह बयान तब आया है जब एक दिन पहले विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने पाकिस्तान को एफ-16 के लिए दिए जा रहे मेंटनेंस पैकेज पर सवाल उठाए थे।
विदेश मंत्री ने कही थी ये बात
बता दें कि हाल ही में बाइडन प्रशासन ने एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर (45 करोड़ रुपये) के मेंटनेंस पैकेज को मंजूरी दी है। इस पर पहले विदेश मंत्रालय ने आपत्ति जताई थी। रविवार को विदेश मंत्री ने भी कहा था कि यह (मेंटनेंस पैकेज) कहने के लिए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए है, लेकिन हर कोई जानता है कि एफ-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कहां और किसके खिलाफ किया जाता है। आप ये बातें कहकर किसी को बेवकूफ नहीं बना सकते हैं। जयशंकर ने यह बात भारतीय-अमेरिकी समुदाय के साथ बातचीत के दौरान कही थी।
अमेरिकी विदेश विभाग ने जवाब में क्या कहा?
अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस से सोमवार को जब जयशंकर की टिप्पणी को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, हम पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को दूसरों से जोड़कर नहीं देखते हैं और भारत के साथ के अपने संबंधों दूसरे देशों से संबंधों के रूप में नहीं देखते हैं। ये दोनों हमारे अलग-अलग बिंदुओं पर साझेदार हैं।
दोनों देशों के बीच रचनात्मक बनाने का करेंगे हरसंभव प्रयास: अमेरिका
विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, हम दोनों को साझेदार के रूप में देखते हैं क्योंकि हमारे कई मामलों में साझा मूल्य हैं। हमारे कई मामलों में साझा हित हैं। भारत के साथ जो हमारा संबंध है वह अपनी जगह है, इसी तरह पाकिस्तान से साथ भी संबंध अपनी जगह हैं। प्राइस ने आगे एक सवाल के जवाब में कहा, हम यह सुनिश्चित करने का हरसंभव प्रयास करेंगे कि इन पड़ोसियों में संबंध रचनात्मक हों।
पुलवामा हमले के बाद बिगड़े दोनों देशों के बीच संबंध
दोनों देशों के बीच कश्मीर मुद्दा और पाकिस्तान से आने वाले आतंकवाद को लेकर तनावपूर्ण रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के संबंध पूरी तरह से पटरी से उतर गए। इसके बाद भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को 5 अगस्त 2019 निरस्त कर दिया था। राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया। इसके बाद दोनों देशों के बीच व्यापार भी बंद हो गया।