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कयामत की घड़ी: आधी रात होने में सिर्फ 90 सेकंड बाकी, युद्ध-जलवायु परिवर्तन से सर्वनाश के संकेत

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ब्रसेल्स Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Wed, 25 Jan 2023 07:51 AM IST
सार

गौरतलब है कि दो साल पहले भी इस घड़ी ने कांटा बदला था और यह सर्वनाश के समय यानी आधी रात (रात 12 बजे) से महज 100 सेकंड दूर रह गई थी।

Doomsday clock inches closer to midnight Atomic Scientists says closest point to annihilation news in hindi
डूम्सडे क्लॉक में आधी रात होने में अब सिर्फ 90 सेकंड्स बाकी। - फोटो : Social Media

विस्तार

वैश्विक सरकारों की ओर से युद्ध, जलवायु परिवर्तन और महामारी को रोक पाने की अप्रभावी प्रतिक्रिया की वजह से अब 'डूम्सडे क्लॉक' यानी कयामत की घड़ी में आधी रात होने में सिर्फ 90 सेकंड बाकी हैं। द बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स' (बीएएस) के मुताबिक, रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच परमाणु तनाव, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी हमें पहले से और ज्यादा सर्वनाश के करीब ले आई है। 


गौरतलब है कि दो साल पहले भी इस घड़ी ने कांटा बदला था और यह सर्वनाश के समय यानी आधी रात (रात 12 बजे) से महज 100 सेकंड दूर रह गई थी। हालांकि, अब एक बार फिर इस घड़ी के कांटों में बदलाव हुआ है, जो आने वाले खतरों के बारे में बताता है।  

द बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स' (बीएएस) के वैज्ञानिकों के मुताबिक, साल 1949 में जब रूस ने पहला परमाणु बम आरडीएस-1 का परीक्षण किया और दुनिया में तेजी से परमाणु हथियारों की दौड़ शुरू हुई, तब उस वक्त यह घड़ी आधी रात से 180 सेकंड दूर थी। उन्होंने कहा कि चार साल बाद साल 1953 में इसका समय घटकर 120 सेकेंड पर आ गया। यह दुनिया का वह दौर था, जब अमेरिका ने 1952 में पहले थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस का परीक्षण किया था और शीत युद्ध चरम पर था।

कुल मिलाकर इस कयामत की घड़ी के जरिए वैज्ञानिक यह बताने की कोशिश करते हैं कि मानवता के लिए समस्या पैदा करने वाली घटनाओं की वजह से दुनिया तबाह होने में कितने सेकंड का वक्त और बाकी है। डूम्सडे क्लॉक के मुताबिक, आधी रात होने में जितना कम समय रहेगा, दुनिया परमाणु और जलवायु संकट के खतरे के उतने ही करीब होगी। 

यह घड़ी साल 1947 से लगातार काम कर रही है, जो इस बात की जानकारी देती है कि दुनिया पर परमाणु हमले की आशंका कितनी अधिक है। वैज्ञानिकों के अनुसार, 75 साल के इतिहास में सुई का कांटा सबसे अधिक तनावपूर्ण मुकाम पर बताया गया है।
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