ब्रिटिश सांसदों ने शुक्रवार को तीसरी बार संसद में प्रधानमंत्री टेरीजा मे के ब्रेग्जिट समझौते के खिलाफ मतदान किया। टेरीजा मे को 286 के मुकाबले 344 मतों से पराजय मिली। इसके बाद यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर होने से संबंधित ब्रेग्जिट को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। टेरीजा मे को लगे इस झटके के बाद उन्होंने देश में मध्यावधि चुनाव कराने के संकेत दिए हैं।
यह मतदान ब्रेग्जिट के भविष्य पर नहीं बल्कि समझौते से जुड़े हिस्सों पर किया गया, जिसमें ब्रिटिश सांसदों ने आयरलैंड सीमा पर हुए समझौते, ईयू-ब्रिटेन के अलग होने पर पैसों के लेनदेन और नागरिकों के अधिकारों पर मतदान किया।
ब्रिटेन के लिए यह मतदान बेहद अहम रहा क्योंकि पीएम टेरीजा मे ने जो प्रस्ताव रखा है उस पर यूरोपीय संघ तभी सहमत होता जब शुक्रवार तक ब्रिटिश सांसद उसके साथ हुऐ समझौते को पारित कर देते लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इस कारण टेरीजा मे सरकार पर भरोसे का संकट खड़ा हो गया है।
29 मार्च 2017 को ही ब्रिटेन सरकार ने अनुच्छेद-50 लागू किया था जिसके तहत ठीक दो साल बाद ब्रेग्जिट लागू होना था। हाउस ऑफ कामंस की नेता एंड्रिया लीडसम ने कहा कि अब ब्रिटिश सांसदों की यूरोपीय संघ के साथ हुए समझौते पर नाराजगी बढ़ेगी। लेबर पार्टी और डीयूपी भी इस समझौते के खिलाफ थे, क्योंकि उनके मुताबिक यह समझौता बिना सोचे-समझे किया गया था। अब दोनों पार्टी के सांसद टेरीजा के लिए संसद में संकट खड़ा कर सकते हैं।
सांसदों के एकमत होने पर पहले से था संदेह
टेरीजा मे ने देश के सांसदों से मतदान को दो हिस्सों में बांटकर समझने की अपील की थी ताकि मतदान से पहले के हिस्से में यूरोपीय संघ से अलग होने के महत्व को देखा जा सके और बाद में भविष्य के बारे में सोचा जाए। सदन में मतदान के दौरान सांसदों के यूरोपीय संघ के साथ हुए समझौतों पर एकमत होने पर पहले से ही संदेह था। फिर भी टेरीजा को भरोसा था कि कुछ सांसद समझौते को समर्थन दे देंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
ब्रिटिश सांसदों ने शुक्रवार को तीसरी बार संसद में प्रधानमंत्री टेरीजा मे के ब्रेग्जिट समझौते के खिलाफ मतदान किया। टेरीजा मे को 286 के मुकाबले 344 मतों से पराजय मिली। इसके बाद यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर होने से संबंधित ब्रेग्जिट को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। टेरीजा मे को लगे इस झटके के बाद उन्होंने देश में मध्यावधि चुनाव कराने के संकेत दिए हैं।
यह मतदान ब्रेग्जिट के भविष्य पर नहीं बल्कि समझौते से जुड़े हिस्सों पर किया गया, जिसमें ब्रिटिश सांसदों ने आयरलैंड सीमा पर हुए समझौते, ईयू-ब्रिटेन के अलग होने पर पैसों के लेनदेन और नागरिकों के अधिकारों पर मतदान किया।
ब्रिटेन के लिए यह मतदान बेहद अहम रहा क्योंकि पीएम टेरीजा मे ने जो प्रस्ताव रखा है उस पर यूरोपीय संघ तभी सहमत होता जब शुक्रवार तक ब्रिटिश सांसद उसके साथ हुऐ समझौते को पारित कर देते लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इस कारण टेरीजा मे सरकार पर भरोसे का संकट खड़ा हो गया है।
29 मार्च 2017 को ही ब्रिटेन सरकार ने अनुच्छेद-50 लागू किया था जिसके तहत ठीक दो साल बाद ब्रेग्जिट लागू होना था। हाउस ऑफ कामंस की नेता एंड्रिया लीडसम ने कहा कि अब ब्रिटिश सांसदों की यूरोपीय संघ के साथ हुए समझौते पर नाराजगी बढ़ेगी। लेबर पार्टी और डीयूपी भी इस समझौते के खिलाफ थे, क्योंकि उनके मुताबिक यह समझौता बिना सोचे-समझे किया गया था। अब दोनों पार्टी के सांसद टेरीजा के लिए संसद में संकट खड़ा कर सकते हैं।
सांसदों के एकमत होने पर पहले से था संदेह
टेरीजा मे ने देश के सांसदों से मतदान को दो हिस्सों में बांटकर समझने की अपील की थी ताकि मतदान से पहले के हिस्से में यूरोपीय संघ से अलग होने के महत्व को देखा जा सके और बाद में भविष्य के बारे में सोचा जाए। सदन में मतदान के दौरान सांसदों के यूरोपीय संघ के साथ हुए समझौतों पर एकमत होने पर पहले से ही संदेह था। फिर भी टेरीजा को भरोसा था कि कुछ सांसद समझौते को समर्थन दे देंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका।