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खुलासा : अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने 50 साल तक कराई भारत-पाक की जासूसी

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला Published by: गौरव पाण्डेय Updated Thu, 13 Feb 2020 05:08 AM IST
सार

  • स्विस कोड राइटिंग कंपनी के जरिए भारत-पाक की जासूसी कराती थी सीआईए
  • अमेरिकी एजेंसी के पास था स्विट्जरलैंड की इनक्रिप्टेड कंपनी का मालिकाना हक
  • स्विट्जरलैंड की क्रिप्टो एजी कंपनी के साथ सीआईए ने 1951 में किया था सौदा

America Spied over India and Pakistan for 50 years, says a report
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : पेक्सेल्स

विस्तार
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अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए ने एक स्विस कोड राइटिंग कंपनी के जरिये कई दशक तक भारत और पाकिस्तान समेत दुनिया के उन तमाम देशों की जासूसी की, जिन पर वह नजर रखना चाहती थी। इस कंपनी के उपकरणों का उपयोग पूरे विश्व में विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा अपने जासूसों, सैनिकों और गोपनीय राजनयिकों के साथ संदेशों के आदान-प्रादान के लिए बेहद विश्वसनीय माना जाता रहा, लेकिन किसी को भी इस कंपनी का मालिकाना हक संयुक्त रूप से सीआईए और उसकी सहयोगी पश्चिमी जर्मनी की खुफिया एजेंसी बीएनडी के पास होने की भनक तक नहीं लगी। यह सिलसिला 50 साल तक चलता रहा।



अमेरिका के प्रतिष्ठित समाचार पत्र वाशिंगटन पोस्ट और जर्मनी के सरकारी ब्रॉडकास्टर जेडडीएफ ने मंगलवार को एक रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में कहा गया कि स्विट्जरलैंड की क्रिप्टो एजी कंपनी के साथ सीआईए ने 1951 में एक सौदा किया था, जिसके तहत 1970 में इसका मालिकाना हक सीआईए को मिल गया। रिपोर्ट में सीआईए के गोपनीय दस्तावेजों के हवाले से इस बात का पर्दाफाश किया गया कि अमेरिका और उसके सहयोगी पश्चिमी जर्मनी ने सालों तक दूसरे देशों के भोलेपन का फायदा उठाया। इन्होंने उनका पैसा ले लिया और उनकी गोपनीय जानकारियां भी चुरा लीं। सीआईए और बीएनडी ने इस ऑपरेशन को पहले थेसौरस और फिर रूबीकॉन नाम दिया था।

सहयोगियों की भी की गई जासूसी

सूचना व संचार सुरक्षा विशेषज्ञ कही जाने वाली क्रिप्टो एजी की स्थापना 1940 में एक स्वतंत्र कंपनी के तौर पर हुई थी और 2018 में इसे बंद किया गया। क्रिप्टो मशीन को रूस से अमेरिका और फिर स्वीडन भाग गए बोरिस हेगेलिन ने बनाया था। इस कंपनी के 120 ग्राहकों में ईरान, कई लैटिन अमेरिकी देश, भारत, पाकिस्तान और यहां तक कि वेटिकन सिटी भी शामिल था। इनमें पाकिस्तान आदि तो अमेरिका के खास सहयोगियों में शामिल थे, लेकिन तब भी उनके संदेशों को रिकॉर्ड किया गया। हालांकि इस रिपोर्ट पर नई दिल्ली की तरफ से कोई अधिकृत प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की गई है। यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि भारत का कोई खुफिया ऑपरेशन इस मशीन के जरिये सीआईए ने इंटरसेप्ट किया था या नहीं।   

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