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Uttarakhand elections 2022: BJP won't give tickets to 20 MLAs, list of candidates will be declared by January 21
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उत्तराखंड चुनाव: 20 विधायकों का टिकट काट सकती है भाजपा, 21 जनवरी तक घोषित हो जाएगी उम्मीदवारों की लिस्ट
उत्तराखंड भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पार्टी इस बार विधायकों की छवि पर विशेष ध्यान दे रही है। बेहद साफ-स्वच्छ छवि के उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा जाएगा। जिन विधायकों के प्रति उनके क्षेत्र की जनता में असतोष है, उनका टिकट कटना तय माना जा रहा है...
पुष्कर सिंह धामी
- फोटो : अमर उजाला (फाइल फोटो)
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उत्तर प्रदेश की तरह पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी भाजपा बड़ी संख्या में नए उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है। विधानसभा चुनाव समितियों के माध्यम से वर्तमान विधायकों का मूल्यांकन कराया जा रहा है और क्षेत्र की जनता से उनके बारे में राय ली जा रही है। जिन विधायकों का कामकाज संतोषजनक नहीं पाया जाएगा, पार्टी उन सभी विधायकों के टिकट काटने की तैयारी कर रही है। विधानसभा चुनाव समितियां 14 जनवरी तक पार्टी को अपनी रिपोर्ट सौंप देंगी। इसके बाद राज्य की विधानसभा चुनाव समिति की बैठक होगी, जिसमें उम्मीदवारों के बारे में निर्णय लिया जा सकता है। माना जा रहा है कि भाजपा वर्तमान 57 विधायकों में से लगभग 20 विधायकों का टिकट काट सकती है। मंत्रियों के टिकट बरकरार रह सकता है। 21 जनवरी तक सभी उम्मीदवारों के नाम सामने आ जाने का अनुमान है।
उत्तराखंड भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पार्टी इस बार विधायकों की छवि पर विशेष ध्यान दे रही है। बेहद साफ-स्वच्छ छवि के उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा जाएगा। जिन विधायकों के प्रति उनके क्षेत्र की जनता में असतोष है, उनका टिकट कटना तय माना जा रहा है। सत्ताविरोधी रुझान को कम करने के लिए पार्टी ज्यादा से ज्यादा नए और युवा उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। इस खबर से पहाड़ी राज्य की सियासत में नया तूफान खड़ा हो गया है। राज्य में चुनाव के दूसरे चरण में 14 फरवरी को एक साथ सभी 70 सीटों के लिए मतदान डाले जाएंगे।
ये हैं कड़ी चुनौतियां
उत्तराखंड में लंबे समय से कोई राजनीतिक पार्टी लगातार दो बार सत्ता में आने में सफल नहीं हुई है। इस ट्रेंड को देखते हुए भाजपा के लगातार दोबारा सत्ता में आने को बेहद कठिन लक्ष्य माना जा रहा है। जनता की नाराजगी को दूर करने के लिए ही पार्टी ने अंतिम वर्ष में चार महीने के बीच तीन-तीन मुख्यमंत्री बदले और लोगों को अपने पक्ष में जोड़ने की कोशिश की। वहीं, कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत बेहद सधी चाल से कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाने के लिए कठिन मेहनत कर रहे हैं।
पिछले चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन
भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था। उसने 70 में से 57 सीटों पर कब्जा जमाकर हरीश रावत सरकार को सत्ता से हटाया था। पार्टी को उस चुनाव में रिकॉर्ड 46.5 फीसदी वोट हासिल हुआ था। 2012 के विधानसभा चुनाव में 32 सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस 2017 के विधानसभा चुनाव में केवल 11 सीटों पर सिमट गई थी। 33.5 फीसदी वोट पाने वाली कांग्रेस के वोटर शेयर में केवल 0.29 फीसदी की कमी आई थी, लेकिन भाजपा के वोट शेयरों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने भाजपा को रिकॉर्ड सफलता पर पहुंचा दिया था।
विस्तार
उत्तर प्रदेश की तरह पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी भाजपा बड़ी संख्या में नए उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है। विधानसभा चुनाव समितियों के माध्यम से वर्तमान विधायकों का मूल्यांकन कराया जा रहा है और क्षेत्र की जनता से उनके बारे में राय ली जा रही है। जिन विधायकों का कामकाज संतोषजनक नहीं पाया जाएगा, पार्टी उन सभी विधायकों के टिकट काटने की तैयारी कर रही है। विधानसभा चुनाव समितियां 14 जनवरी तक पार्टी को अपनी रिपोर्ट सौंप देंगी। इसके बाद राज्य की विधानसभा चुनाव समिति की बैठक होगी, जिसमें उम्मीदवारों के बारे में निर्णय लिया जा सकता है। माना जा रहा है कि भाजपा वर्तमान 57 विधायकों में से लगभग 20 विधायकों का टिकट काट सकती है। मंत्रियों के टिकट बरकरार रह सकता है। 21 जनवरी तक सभी उम्मीदवारों के नाम सामने आ जाने का अनुमान है।
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उत्तराखंड भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पार्टी इस बार विधायकों की छवि पर विशेष ध्यान दे रही है। बेहद साफ-स्वच्छ छवि के उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा जाएगा। जिन विधायकों के प्रति उनके क्षेत्र की जनता में असतोष है, उनका टिकट कटना तय माना जा रहा है। सत्ताविरोधी रुझान को कम करने के लिए पार्टी ज्यादा से ज्यादा नए और युवा उम्मीदवारों को मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। इस खबर से पहाड़ी राज्य की सियासत में नया तूफान खड़ा हो गया है। राज्य में चुनाव के दूसरे चरण में 14 फरवरी को एक साथ सभी 70 सीटों के लिए मतदान डाले जाएंगे।
ये हैं कड़ी चुनौतियां
उत्तराखंड में लंबे समय से कोई राजनीतिक पार्टी लगातार दो बार सत्ता में आने में सफल नहीं हुई है। इस ट्रेंड को देखते हुए भाजपा के लगातार दोबारा सत्ता में आने को बेहद कठिन लक्ष्य माना जा रहा है। जनता की नाराजगी को दूर करने के लिए ही पार्टी ने अंतिम वर्ष में चार महीने के बीच तीन-तीन मुख्यमंत्री बदले और लोगों को अपने पक्ष में जोड़ने की कोशिश की। वहीं, कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत बेहद सधी चाल से कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाने के लिए कठिन मेहनत कर रहे हैं।
पिछले चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन
भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था। उसने 70 में से 57 सीटों पर कब्जा जमाकर हरीश रावत सरकार को सत्ता से हटाया था। पार्टी को उस चुनाव में रिकॉर्ड 46.5 फीसदी वोट हासिल हुआ था। 2012 के विधानसभा चुनाव में 32 सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस 2017 के विधानसभा चुनाव में केवल 11 सीटों पर सिमट गई थी। 33.5 फीसदी वोट पाने वाली कांग्रेस के वोटर शेयर में केवल 0.29 फीसदी की कमी आई थी, लेकिन भाजपा के वोट शेयरों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने भाजपा को रिकॉर्ड सफलता पर पहुंचा दिया था।
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