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पंचेश्वर बांध की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) आने के बाद महाकाली नदी के किनारे बसे गांवों के लोगों ने बांध का विरोध करना शुरू कर दिया है। महाकाली के किनारे स्थित दो दर्जन से अधिक गांवों के लोगों ने बृहस्पतिवार को सरकार पर जबर्दस्ती बांध बनाने का आरोप लगाते हुए कलक्ट्रेट के सामने डीपीआर की प्रतियां जलाईं। कहा कि क्षेत्र के लोगों को विश्वास में लेेकर काम नहीं किया गया तो सरकार को इसके अंजाम भुगतने पड़ेंगे।
आरोप लगाया कि पंचेश्वर बांध की डीपीआर में भूमिहीनों और मजदूरों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है। 1962 से मिश्रित खाते की जमीन वाले लोगों के हितों को भी ध्यान नहीं दिया गया है। साथ ही वर्ग-4 एवं 5 की भूमि पर खेती और पशुपालन कर आजीविका चलाने वालों का भी ख्याल नहीं रखा गया है। 100 वर्षों से झूलाघाट और जौलजीबी की सीमा पर व्यापार कर रहेे हजारों लोगों को ग्रामीण मानकर उनके हितों की पूरी तरीके से अनदेखी की गई है। महाकाली नदी के किनारे सड़क सुविधा वाले क्षेत्रों में बैंकों से कर्ज लेकर होटल और टैक्सी चलाने वाले लोगों का भी डीपीआर में कोई जिक्र नहीं है और नदी घाटी वाले क्षेत्रों में नदी से मत्स्य पालन और लकड़ी उतारकर आजीविका चलाने वाले के बारे में कुछ भी जिक्र नहीं किया गया है।
‘महाकाली की आवाज’ संगठन से जुड़े लोगों ने जिलाधिकारी सी रविशंकर के माध्यम से केंद्र सरकार को ज्ञापन भेजकर कहा कि संगठन इस तरह की डीपीआर का विरोध करता है। आक्रोशित लोगों ने बाद में डीपीआर की प्रति को आग के हवाले कर दिया। प्रदर्शन में संगठन के संयोजक शंकर खड़ायत, भटेड़ी के कुंडल महर, बगड़ीहाट से प्रदीप पाल, ललित पाल और धर्मेंद्र सिंह, स्पालतड़ा से त्रिलोक सिंह, गौरव महर, तल्लीसार से तुला सिंह, झूलाघाट से संजय पंगरिया, राजेश भट्ट, खड़कूभल्या के ग्राम प्रधान भूपाल चंद, सीमांत यूथ मोर्चा के सुशील खत्री आदि शामिल थे।
अगले साल सितंबर में शुरू होगा काम
पंचेश्वर बांध की डीपीआर 3000 पृष्ठ की है। डीपीआर में उल्लेख है कि पंचेश्वर बांध का निर्माण कार्य 16 सितंबर 2018 से शुरू हो जाएगा और 15 सितंबर 2026 तक पंचेश्वर बांध का निर्माण होकर भारत सरकार को हस्तांतरित हो जाएगी। डीपीआर में झूलाघाट और जौलजीबी का नाम नहीं है। सिर्फ ग्राम सभाओं का नाम है। झूलाघाट कस्बा माजिरकांडा ग्राम पंचायत में और जौलजीबी कस्बा दूतीबगड़ ग्राम पंचायत में है। दोनों कस्बों में 400 दुकानें हैं।
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