परिजनों की ओर से तमाम मशक्कत के बाद भी आपदा के दौरान प्रसव पीड़िता को उपचार नहीं मिल सका। तड़प-तड़पकर उसने दम तोड़ दिया। वहीं रास्ता खराब होने से राशन लेकर आ रही एक युवती फिसलकर असीगंगा में समा गई।
लेकिन इन्हें सरकार आपदा पीड़ित मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में लोग भी इन मौतों के लिए जिम्मेदारों को चिह्नित करने की मांग उठा रहे हैं। प्रशासन इस बार की आपदा में सिर्फ आठ लोगों की मौत के आंकड़े पेश कर रहा है।
सुविधाओं के अभाव में तोड रहे गामीण दम
अस्पताल पहुंचने के रास्ते न होने पर गांव में प्रसव के दौरान ढासड़ा गांव की एक महिला तथा संगमचट्टी में जुगाड़ का पुल पार करते समय हुई छात्रा की मौत को आपदा के मानकों में नहीं माना जा रहा है। बीते माह ढासड़ा गांव की नगीना देवी की प्रसव के दौरान मौत हो गई।
कारण कि आपदा के कारण रास्ते ठप हो गए थे। परिजनों व जनप्रतिनिधियों ने आपदा राहत में उड़ रहे हेलीकॉप्टर से उसे अस्पताल पहुंचाने की गुजारिश की, लेकिन उपलब्ध नहीं हो सका। मजबूरी में गांव की महिलाओं ने छानी में उसके प्रसव का प्रयास किया, जिसमें महिला और उसकी नवजात बेटी की मौत हो गई।
असीगंगा में फिसलकर गिर गई महिला
बाढ़ में असी गंगा घाटी के रास्ते तबाह होने पर ग्रामीण नदी पर पेड़ डालकर तैयार किए गए जुगाड़ से आवाजाही को मजबूर हैं। कुछ दिन पूर्व डीएम के निरीक्षण में ग्रामीणों ने खतरे को लेकर आगाह कर दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। नौ जुलाई को राशन लेकर लौट रही भंकोली गांव की 19 वर्षीय अंजना यहां फिसलकर असी गंगा में बह गई।
अभी तक उसका शव भी बरामद नहीं हो पाया। इनके अलावा अगोड़ा, उडरी आदि गांवों में डायरिया होने पर समय पर उपचार न मिलने से भी कुछ मौतें हुईं। लोगों का कहना है कि आपदा नहीं होती तो ये मौतें भी नहीं होती। वहीं प्रशासन इन मौतों को आपदा में नहीं गिन रहा है।
प्रशासन की सूची में दर्ज मृतक
जिला प्रशासन ने बीते 18 जून को उडरी गांव में एक मकान गिरने पर मलबे में दबने से मृत रामरति देवी, लक्ष्मी देवी, चुटकी व आशीष, उपला टकनौर में सिर पर चोट लगने से मृत प्रेम सिंह की मौत को आपदा में गिना है।
इसके अलावा आपदा के दौरान सड़कें अवरुद्ध होने से फंसकर मृत मुरैना मध्यप्रदेश के अखिलेश गुप्ता, चंदौली उत्तरप्रदेश की सुधा देवी तथा नागौर राजस्थान के मुकंद लाल की मौत को भी आपदा में गिना गया है।
'ढासड़ा गांव की नगीना देवी व भंकोली की कु.अंजना की मौत आपदा के कारण ही हुई है। सरकार इनके आश्रितों को मानकों के अनुसार राहत सहायता दे। यदि ऐसा नहीं है तो फिर इन मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।'
कमल सिंह रावत, जिला पंचायत सदस्य बाड़ाहाट।
परिजनों की ओर से तमाम मशक्कत के बाद भी आपदा के दौरान प्रसव पीड़िता को उपचार नहीं मिल सका। तड़प-तड़पकर उसने दम तोड़ दिया। वहीं रास्ता खराब होने से राशन लेकर आ रही एक युवती फिसलकर असीगंगा में समा गई।
लेकिन इन्हें सरकार आपदा पीड़ित मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में लोग भी इन मौतों के लिए जिम्मेदारों को चिह्नित करने की मांग उठा रहे हैं। प्रशासन इस बार की आपदा में सिर्फ आठ लोगों की मौत के आंकड़े पेश कर रहा है।
सुविधाओं के अभाव में तोड रहे गामीण दम
अस्पताल पहुंचने के रास्ते न होने पर गांव में प्रसव के दौरान ढासड़ा गांव की एक महिला तथा संगमचट्टी में जुगाड़ का पुल पार करते समय हुई छात्रा की मौत को आपदा के मानकों में नहीं माना जा रहा है। बीते माह ढासड़ा गांव की नगीना देवी की प्रसव के दौरान मौत हो गई।
कारण कि आपदा के कारण रास्ते ठप हो गए थे। परिजनों व जनप्रतिनिधियों ने आपदा राहत में उड़ रहे हेलीकॉप्टर से उसे अस्पताल पहुंचाने की गुजारिश की, लेकिन उपलब्ध नहीं हो सका। मजबूरी में गांव की महिलाओं ने छानी में उसके प्रसव का प्रयास किया, जिसमें महिला और उसकी नवजात बेटी की मौत हो गई।
असीगंगा में फिसलकर गिर गई महिला
बाढ़ में असी गंगा घाटी के रास्ते तबाह होने पर ग्रामीण नदी पर पेड़ डालकर तैयार किए गए जुगाड़ से आवाजाही को मजबूर हैं। कुछ दिन पूर्व डीएम के निरीक्षण में ग्रामीणों ने खतरे को लेकर आगाह कर दिया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। नौ जुलाई को राशन लेकर लौट रही भंकोली गांव की 19 वर्षीय अंजना यहां फिसलकर असी गंगा में बह गई।
अभी तक उसका शव भी बरामद नहीं हो पाया। इनके अलावा अगोड़ा, उडरी आदि गांवों में डायरिया होने पर समय पर उपचार न मिलने से भी कुछ मौतें हुईं। लोगों का कहना है कि आपदा नहीं होती तो ये मौतें भी नहीं होती। वहीं प्रशासन इन मौतों को आपदा में नहीं गिन रहा है।
प्रशासन की सूची में दर्ज मृतक
जिला प्रशासन ने बीते 18 जून को उडरी गांव में एक मकान गिरने पर मलबे में दबने से मृत रामरति देवी, लक्ष्मी देवी, चुटकी व आशीष, उपला टकनौर में सिर पर चोट लगने से मृत प्रेम सिंह की मौत को आपदा में गिना है।
इसके अलावा आपदा के दौरान सड़कें अवरुद्ध होने से फंसकर मृत मुरैना मध्यप्रदेश के अखिलेश गुप्ता, चंदौली उत्तरप्रदेश की सुधा देवी तथा नागौर राजस्थान के मुकंद लाल की मौत को भी आपदा में गिना गया है।
'ढासड़ा गांव की नगीना देवी व भंकोली की कु.अंजना की मौत आपदा के कारण ही हुई है। सरकार इनके आश्रितों को मानकों के अनुसार राहत सहायता दे। यदि ऐसा नहीं है तो फिर इन मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।'
कमल सिंह रावत, जिला पंचायत सदस्य बाड़ाहाट।