राजेश देउपा, अमर उजाला, टनकपुर
Published by: अमर उजाला लोकल ब्यूरो
Updated Fri, 17 Apr 2020 08:27 AM IST
14 दिन की क्वारंटीन अवधि पूरी करने के बाद ऊधमसिंह नगर जिले के पंतनगर से रिहा किए गए नेपाली परिवार को भारतीय प्रशासन ने तो सीमा पार जाने की इजाजत दे दी, लेकिन नेपाल ने इस परिवार को अपने ही देश की सीमा में घुसने नहीं दिया।
सीमा से मायूस लौटे इस परिवार के लिए अब भारतीय प्रशासन ने भारत-नेपाल सीमा खुलने तक एक होटल में रहने और खाने की व्यवस्था की है। नेपाल के कंचनपुर जिले के सीमांत मटैना गांव का निवासी अमर सिंह भतरौंजखान में परिवार के साथ मजदूरी करता था। कोरोना के खतरे से बचने को 22 मार्च से लॉकडाउन हुआ, तो उसकी मजदूरी भी बंद हो गई।
परिवार के पालन-पोषण में समस्या आने लगी तो अमर सिंह अपनी पत्नी और ढाई साल की बेटी के साथ अपने घर नेपाल लौटने को जैसे-तैसे खटीमा पहुंचा। वहां प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने पंतनगर क्वारंटीन सेंटर भेज दिया।
क्वारंटीन का समय पूरा होने के बाद प्रमाणपत्र देकर अमर सिंह और उसके परिवार को रिहा किया गया, तो वह 80 किमी. पैदल चलकर बुधवार शाम नेपाल से लगी टनकपुर सीमा पर पहुंचा। जहां प्रमाणपत्र देख एसएसबी ने उन्हें नेपाल जाने की इजाजत दे दी, लेकिन नेपाल की ब्रह्मदेव सीमा पर तैनात नेपाली सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें देश की सीमा में घुसने नहीं दिया।
जिस पर यह परिवार वापस टनकपुर लौटकर सड़कों पर भटकता रहा। परेशान हाल इस नेपाली परिवार को टनकपुर पुलिस ने सहारा दिया। कोतवाल धीरेंद्र सिंह ने बताया कि इस नेपाली परिवार को नेपाल सीमा खुलने तक नगर के एक होटल में रूकने और खाने की व्यवस्था की गई है।
जिस नेपाली परिवार को नेपाल प्रशासन ने देश की सीमा में घुसने की इजाजत नहीं दी, वह किसी दूरस्थ जिले का नहीं बल्कि सीमा से लगे नेपाल के कंचनपुर जिले के सीमांत मटैना गांव का ही निवासी है। टनकपुर बैराज से मटैना गांव की दूरी केवल चार किलोमीटर है।
14 दिन की क्वारंटीन अवधि पूरी करने के बाद ऊधमसिंह नगर जिले के पंतनगर से रिहा किए गए नेपाली परिवार को भारतीय प्रशासन ने तो सीमा पार जाने की इजाजत दे दी, लेकिन नेपाल ने इस परिवार को अपने ही देश की सीमा में घुसने नहीं दिया।
सीमा से मायूस लौटे इस परिवार के लिए अब भारतीय प्रशासन ने भारत-नेपाल सीमा खुलने तक एक होटल में रहने और खाने की व्यवस्था की है। नेपाल के कंचनपुर जिले के सीमांत मटैना गांव का निवासी अमर सिंह भतरौंजखान में परिवार के साथ मजदूरी करता था। कोरोना के खतरे से बचने को 22 मार्च से लॉकडाउन हुआ, तो उसकी मजदूरी भी बंद हो गई।