चंपावत। जिला न्यायालय में विशेष सत्र न्यायाधीश प्रेम सिंह खिमाल ने डेढ़ साल पूर्व दर्ज पॉक्सो अधिनियम संबंधी एक मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी महिला को दोष मुक्त करते हुए बरी कर दिया। जबकि आईपीसी के तहत दर्ज मामले में आरोपी को तीस हजार रुपये के बांड पर दो साल की परिवीक्षा अवधि में छोड़ने के निर्देश दिए हैं। इस दौरान महिला जिला प्रोबेशन अधिकारी की परिवीक्षा में रहेगी।
प्राप्त घटनाक्रम के अनुसार जनपद निवासी एक किशोरी ने पाटी थाने में तहरीर देकर अपनी सौतेली मां पर भाई बहनों और उसके साथ मारपीट करने, उसके नाबालिग भाई के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने सहित तमाम आरोप लगाए थे। जिस पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम की धारा 3/4 के अलावा आईपीसी की धारा 504, 506 और 323 के तहत मुकदमा दर्ज कर पत्रावली को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था। मामले में उभय पक्षों के अधिवक्ताओं के दलीलों, साक्ष्यों और पत्रावलियों के अध्ययन के बाद विशेष सत्र न्यायाधीश ने आरोपी महिला को पॉक्सो अधिनियम की धारा 3/4 के साथ ही आईपीसी की धारा 504 और 506 में दोष मुक्त करते हुए बरी करने तथा आईपीसी की धारा 323 के तहत तीस हजार रुपये के बांड और इतनी ही धनराशि के दो जमानती दाखिल करने पर दो साल की परिवीक्षा अवधि में रखने का फैसला सुनाया। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) विद्याधर जोशी ने पैरवी की।