मांग को लेकर प्रभावितों ने आपदा प्रबंधन सचिव को भेजा ज्ञापन
कहा-नीती के तहत मिलने वाले मुआवजे से कोई कारोबार शुरू करना संभव नहीं
नगर के होटल व्यवसायियों ने सरकार की ओर जारी पुनर्वास नीति पर असहमति जताते हुए इसमें संशोधन की मांग की। यहां आयोजित बैठक में उन्होंने कहा कि नीति के तहत होटल ढाबों का जो मुआवजा निर्धारित किया जा रहा है वह कम है। इस मुआवजे से कोई कारोबार शुरू करना संभव नहीं है। उन्होंने क्षतिपूर्ति की लागत का पूरा मुआवजा देने समेत कई मांगों को लेकर आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा को ज्ञापन भेजा।
जोशीमठ होटल एसोसिएशन की बृहस्पतिवार को नगर पालिका सभागार में बैठक हुई। इस दौरान सरकार की ओर से जारी पुनर्वास नीति के उस बिंदु पर चर्चा की गई जिसमें व्यावसायिक प्रतिष्ठानों (होटल/ढाबों) के लिए बने भवनों का मुआवजा निर्धारित किया गया है। सभी होटल व्यवसायियों ने इसको लेकर असहमति जताई। इसके बाद एसोसिएशन ने आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में होटल व्यवसायियों ने पुनर्वास नीति के जिस बिंदु पर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों (होटल/ढाबे) के लिए बने भवनों का मुआवजा दिए जाने के लिए स्लैब बनाया गया है उसे हटाने की मांग की। उन्होंने उसकी जगह पर क्षतिपूर्ति की लागत का पूरा मुआवजा देने, आपदा प्रभावित व्यवसायियों को राहत देने के लिए ठोस नीति बनाने और जमीन के मुआवजे के लिए दर शीघ्र निर्धारित करने की मांग की। ज्ञापन भेजने वालों में होटल एसोसिएशन के सचिव देवेश कुंवर, भगवती प्रसाद नंबूरी, सीएम फोनिया, भुवन चंद्र उनियाल, सूरज कपरुवाण आदि शामिल रहे।
प्री फेब्रिकेटेड हट के लिए रुचि नहीं दिखा रहे आपदा प्रभावित
अभी तक किसी भी प्रभावित ने नहीं किया आवेदन
आपदा प्रभावितों के लिए ढाक गांव में बनाए जा रहे प्री-फेब्रिकेटेड हट को लेकर फिलहाल प्रभावित कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं। यहां हटों के निर्माण का काम अंतिम चरण में है लेकिन अभी तक प्रशासन के पास किसी ने आवेदन नहीं किया है। कुछ इसे नगर से दूर और अन्य सुविधाओं का नहीं होना कारण बता रहे हैं जबकि कुछ प्रभावितों का कहना है कि फिलहाल वे मुआवजे को लेकर अपने मकानों के दस्तावेजों को बनाने में व्यस्त हैं।
आपदा प्रभावितों के लिए प्रशासन की ओर से जोशीमठ से 12 किमी की दूरी पर स्थित ढाक गांव में हाईवे से सौ मीटर की दूरी पर 15 प्री-फेब्रिकेटेड हट बनाए जा रहे हैं। 26 जनवरी से इन हट को बनाने का काम शुरू किया गया था। वर्तमान में यहां पर निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। मगर अभी तक इन हट में रहने के लिए किसी ने आवेदन नहीं किया है। आवेदन नहीं करने को लेकर प्रभावितों की अलग-अलग राय है। आपदा प्रभावित दिगंबर बिष्ट का कहना है कि यह हट नगर से काफी दूर हैं और यहां अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं। वहां से बच्चों को विद्यालय लाने ले जाने में दिक्कत हो सकती है। इसलिए वहां रहना संभव नहीं है। वहीं मुकेश कुमार का कहना है कि अभी परिवार अपने घरों के मुआवजे के लिए दस्तावेज बनाने में व्यस्त हैं। इस कारण इस ओर लोगों का ध्यान नहीं जा रहा है। उनका कहना है कि प्रशासन को विकल्पपत्र तैयार करना चाहिए जिसे वहां रहना है वह पत्र भरकर प्रशासन को दे दे।
इस मामले में तहसीलदार रविशाह का कहना है कि अभी तक किसी प्रभावित परिवार ने ढाक में प्री-फेब्रिकेटेड हट को लेकर कोई आवेदन नहीं आया है। अभी प्रशासन की ओर से प्रभावित परिवारों को पुनर्वास नीति के तहत मुआवजे का कार्य किया जा रहा है।
‘महिला दिवस पर अधिक संख्या में जुटी महिलाएं’
पुनर्वास समेत कई मांगों को लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का धरना तहसील परिसर में बृहस्पतिवार को 64वें दिन भी जारी रहा। वहीं आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर भी प्रभावितों ने धरना दिया जिसमें अधिकांश संख्या में महिला शामिल रहीं।
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति की ओर से तहसील परिसर में पुनर्वास, विस्थापन, नुकसान की भरपाई, भू-धंसाव के कारणों की उचित जांच, बड़ी परियोजनाओं को बंद करने की मांग को लेकर धरना दिया जा रहा है। 64 दिनों में कोई भी ऐसा दिन नहीं आया जब लोग धरनास्थल पर एकत्रित न हुए हों। कड़ाके की ठंड, बारिश, बर्फबारी के बीच भी धरना लगातार जारी रहा। वहीं अब होली के दिन भी प्रभावितों का धरना जारी रहा। इस दौरान समिति के संयोजक अतुल सती, प्रवक्ता कमल रतूड़ी, प्रकाश नेगी, विजय सती, संजय उनियाल, दिनेश उनियाल, देवेश्वरी शाह और मीना डिमरी सहित कई लोग मौजूद रहे।