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मम्मी-पापा मुझे नहीं पता कि गलत कर रहा हूं या सही। मुझे माफ कर देना कि मैं आपके लिए कुछ नहीं कर सका। शायद मैं उस लायक नहीं हूं, क्योंकि भगवान ने मुझे इतना दिमाग नहीं दिया। मैं रात दो बजे तक पढ़ता हूं। एक चेप्टर की चार-पांच बार रिवीजन करता हूं। एक्स्ट्रा किताब पढ़ता हूं, पर मुझे कुछ नहीं आता। मैं विद्यालय का टॉपर तो बन सकता हूं, लेकिन डॉक्टर नहीं। प्लीज मुझे माफ कर दो... मेरी जिंदगी का चेप्टर आज यहीं खत्म होता है। प्लीज इसका जिम्मेदार सिर्फ मैं हूं....
ये कुछ मार्मिक शब्द उस होनहार छात्र के हैं जिसने सोमवार को मफलर को फांसी का फंदा बनाकर मौत को गले लगा लिया। जान देने से पहले छात्र ने डायरी के चार पन्नों में अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है। छात्र की डायरी में दर्ज ये शब्द केवल अक्षर नहीं बल्कि हमारी शिक्षा प्रणाली की विसंगति और मां-बाप की महत्वकांक्षाओं का दस्तावेज है।
रविवार को नई टिहरी जिले के पौखाल जवाहर नवोदय विद्यालय की नौंवी कक्षा की छात्रा की आत्महत्या के बाद सोमवार को चमोली जिले के पीपलकोटी के जवाहर नवोदय विद्यालय के 11वीं के छात्र सचिन की खुदकुशी से समूचा प्रदेश सन्न और सदमे में है। घटना 27/28 रात्रि की बताई जा रही है। इसकी जानकारी सोमवार सुबह हुई।
सचिन के माता-पिता रुद्रप्रयाग जिले के मयाली कस्बे में रहते हैं। पेशे से दोनों शिक्षक हैं। 16 वर्षीय सचिन ने रविवार को रोजाना की तरह रात साढे़ बारह बजे तक पढ़ाई की। इसके बाद सभी बच्चे सो गए। सोमवार सुबह सौरभ नाम का छात्र बाथरूम गया तो सचिन को रोशनदान से मफलर के सहारे लटके देखा। बदहवास सौरभ ने सभी साथियों को इसकी सूचना दी। जानकारी मिलते ही वार्डन एके रावत मौके पर पहुंचे। उन्होंने सचिन को नीचे उतारकर चारपाई पर लिटा दिया, लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुका था।
बताते हैं सचिन ने 26 जनवरी को स्कूल में आयोजित सांस्कृतिक समारोह की एंकरिंग की थी। इससे वह बहुत खुश था। उसके पिता भी कहते हैं कि वह कला और लेखन में हमेशा आगे रहता था। उसका बड़ा भाई कोटा में इंजीनियरिंग के लिए कोचिंग कर रहा है। सचिन को पिछले साल दसवीं में ए-वन ग्रेड भी मिला था। चमोली के थानाध्यक्ष प्रताप सिंह चौहान बताते हैं कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। शव का पोस्टमार्टम किया जा रहा है। अभी तक किसी प्रकार की संदिग्धता नहीं मिली है। मृतक के सुसाइड नोट से प्रतीत होता है कि उस पर घर से पढ़ाई के लिए दबाव था।
मम्मी-पापा मुझे नहीं पता कि गलत कर रहा हूं या सही। मुझे माफ कर देना कि मैं आपके लिए कुछ नहीं कर सका। शायद मैं उस लायक नहीं हूं, क्योंकि भगवान ने मुझे इतना दिमाग नहीं दिया। मैं रात दो बजे तक पढ़ता हूं। एक चेप्टर की चार-पांच बार रिवीजन करता हूं। एक्स्ट्रा किताब पढ़ता हूं, पर मुझे कुछ नहीं आता। मैं विद्यालय का टॉपर तो बन सकता हूं, लेकिन डॉक्टर नहीं। प्लीज मुझे माफ कर दो... मेरी जिंदगी का चेप्टर आज यहीं खत्म होता है। प्लीज इसका जिम्मेदार सिर्फ मैं हूं....
ये कुछ मार्मिक शब्द उस होनहार छात्र के हैं जिसने सोमवार को मफलर को फांसी का फंदा बनाकर मौत को गले लगा लिया। जान देने से पहले छात्र ने डायरी के चार पन्नों में अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है। छात्र की डायरी में दर्ज ये शब्द केवल अक्षर नहीं बल्कि हमारी शिक्षा प्रणाली की विसंगति और मां-बाप की महत्वकांक्षाओं का दस्तावेज है।
रविवार को नई टिहरी जिले के पौखाल जवाहर नवोदय विद्यालय की नौंवी कक्षा की छात्रा की आत्महत्या के बाद सोमवार को चमोली जिले के पीपलकोटी के जवाहर नवोदय विद्यालय के 11वीं के छात्र सचिन की खुदकुशी से समूचा प्रदेश सन्न और सदमे में है। घटना 27/28 रात्रि की बताई जा रही है। इसकी जानकारी सोमवार सुबह हुई।
सचिन के माता-पिता रुद्रप्रयाग जिले के मयाली कस्बे में रहते हैं। पेशे से दोनों शिक्षक हैं। 16 वर्षीय सचिन ने रविवार को रोजाना की तरह रात साढे़ बारह बजे तक पढ़ाई की। इसके बाद सभी बच्चे सो गए। सोमवार सुबह सौरभ नाम का छात्र बाथरूम गया तो सचिन को रोशनदान से मफलर के सहारे लटके देखा। बदहवास सौरभ ने सभी साथियों को इसकी सूचना दी। जानकारी मिलते ही वार्डन एके रावत मौके पर पहुंचे। उन्होंने सचिन को नीचे उतारकर चारपाई पर लिटा दिया, लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुका था।
बताते हैं सचिन ने 26 जनवरी को स्कूल में आयोजित सांस्कृतिक समारोह की एंकरिंग की थी। इससे वह बहुत खुश था। उसके पिता भी कहते हैं कि वह कला और लेखन में हमेशा आगे रहता था। उसका बड़ा भाई कोटा में इंजीनियरिंग के लिए कोचिंग कर रहा है। सचिन को पिछले साल दसवीं में ए-वन ग्रेड भी मिला था। चमोली के थानाध्यक्ष प्रताप सिंह चौहान बताते हैं कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। शव का पोस्टमार्टम किया जा रहा है। अभी तक किसी प्रकार की संदिग्धता नहीं मिली है। मृतक के सुसाइड नोट से प्रतीत होता है कि उस पर घर से पढ़ाई के लिए दबाव था।