नवसृजित तहसीलें शासन की उपेक्षा का दंश झेल रही हैं। काफलीगैर और दुग नाकुरी तहसीलों का कामकाज बागेश्वर के एसडीएम देख रहे हैं जबकि तीन तहसीलें प्रभारी तहसीलदारों के हवाले हैं।
दुग नाकुरी तहसील कार्यालय बनलेख के अस्पताल भवन में चल रही है, तो शामा उपतहसील का कामकाज वहां के पंचायत घर में चल रहा है। पूर्णकालिक एसडीएम की तैनाती न होने के कारण क्षेत्र के लोगों को कई परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं।
शासन ने काफलीगैर उप तहसील को 19 फरवरी 2014 को पूर्ण तहसील बनाया था। दुग नाकुरी तहसील की स्थापना 11 नवंबर 2004 में हुई थी जबकि शामा उप तहसील की स्थापना 23 नवंबर 2016 को हुई थी। तीनों को प्रभारी तहसीलदारों के हवाले छोड़ा गया है।
हालांकि जिला प्रशासन द्वारा तीनों नायब तहसीलदारों को प्रभारी के अधिकार सौंपने से क्षेत्र के लोगों को कुछ राहत भी मिल रही है।
काफलीगैर और दुग नाकुरी तहसील में पूर्णकालिक एसडीएम तैनात नहीं हैं। बागेश्वर के एसडीएम के पास इन तहसीलों की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पूर्णकालिक एसडीएम न होने से क्षेत्र के लोगों को कई परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। कई बार लोगों को एसडीएम स्तर के काम के लिए वहां से 24 से 65 किमी की दौड़ लगानी पड़ती है। इसमें उनका काफी समय, पैसा बर्बाद हो रहा है।
शामा उप तहसील का कार्यभार नायब तहसीलदार को सौंपा गया है जबकि कपकोट के एसडीएम को उप तहसील का अतिरिक्त काम सौंपा गया है। एसडीएम और तहसीलदार की तैनाती न होने से क्षेत्र के लोगों को छोटी प्रशासनिक इकाई का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
दुग नाकुरी तहसील का कार्यालय बनलेख स्थित राजकीय अस्पताल के भवन में चल रहा है जबकि शामा उप तहसील वहां के पंचायत भवन में चल रही है। भवन में जगह कम होने से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
नवसृजित तहसीलें शासन की उपेक्षा का दंश झेल रही हैं। काफलीगैर और दुग नाकुरी तहसीलों का कामकाज बागेश्वर के एसडीएम देख रहे हैं जबकि तीन तहसीलें प्रभारी तहसीलदारों के हवाले हैं।
दुग नाकुरी तहसील कार्यालय बनलेख के अस्पताल भवन में चल रही है, तो शामा उपतहसील का कामकाज वहां के पंचायत घर में चल रहा है। पूर्णकालिक एसडीएम की तैनाती न होने के कारण क्षेत्र के लोगों को कई परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं।
शासन ने काफलीगैर उप तहसील को 19 फरवरी 2014 को पूर्ण तहसील बनाया था। दुग नाकुरी तहसील की स्थापना 11 नवंबर 2004 में हुई थी जबकि शामा उप तहसील की स्थापना 23 नवंबर 2016 को हुई थी। तीनों को प्रभारी तहसीलदारों के हवाले छोड़ा गया है।
हालांकि जिला प्रशासन द्वारा तीनों नायब तहसीलदारों को प्रभारी के अधिकार सौंपने से क्षेत्र के लोगों को कुछ राहत भी मिल रही है।
काफलीगैर और दुग नाकुरी तहसील में पूर्णकालिक एसडीएम तैनात नहीं हैं। बागेश्वर के एसडीएम के पास इन तहसीलों की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पूर्णकालिक एसडीएम न होने से क्षेत्र के लोगों को कई परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। कई बार लोगों को एसडीएम स्तर के काम के लिए वहां से 24 से 65 किमी की दौड़ लगानी पड़ती है। इसमें उनका काफी समय, पैसा बर्बाद हो रहा है।
शामा उप तहसील का कार्यभार नायब तहसीलदार को सौंपा गया है जबकि कपकोट के एसडीएम को उप तहसील का अतिरिक्त काम सौंपा गया है। एसडीएम और तहसीलदार की तैनाती न होने से क्षेत्र के लोगों को छोटी प्रशासनिक इकाई का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
दुग नाकुरी तहसील का कार्यालय बनलेख स्थित राजकीय अस्पताल के भवन में चल रहा है जबकि शामा उप तहसील वहां के पंचायत भवन में चल रही है। भवन में जगह कम होने से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।