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समाज सेवा के प्रति समर्पित बसंती बहन ने पेश की मिसाल

आनंद नेगी / अमर उजाला, बागेश्वरI Updated Fri, 23 Jan 2015 11:18 PM IST
Basanti Bahan, social activist
 कौसानी स्थित लक्ष्मी आश्रम की बसंती बहन ने पर्यावरण बचाने और समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किए हैं। उन्होंने सूखती कोसी नदी का अस्तित्व बचाने के लिए महिला समूहों के माध्यम से जंगल बचाने की कारगर मुहिम छेड़ी है। घरेलू हिंसा और महिलाओं पर होने वाली अन्य ज्यादतियों को रोकने के वह लगातार जनजागरण कर रही हैं। पंचायतों के सशक्तिकरण के लिए उनके प्रयास रंग लाने लगे हैं।


मूल रूप से पिथौरागढ़ निवासी बसंती सामंत शिक्षा के नाम पर मात्र साक्षर थीं। 12 साल की आयु में उनका विवाह हो गया था। कुछ ही समय के बाद पति की मृत्यु हो गई, उन्होंने दूसरा विवाह नहीं किया और पिता की प्रेरणा से मायके आकर पढ़ाई में जुट गईं। इंटर पास करने के बाद गांधीवादी समाजसेविका राधा बहन से प्रभावित होकर सदा के लिए कौसानी के लक्ष्मी आश्रम में आ गईं।


बसंती बहन ने समाजसेवा की शुरुआत अल्मोड़ा जिले के धौला देवी ब्लाक मेें बालबाड़ी कार्यक्रमों के माध्यम से की। यहां उन्होंने महिलाओं के भी संगठन बनाए। 2003 में राधा बहन ने उन्हें बुलाया और कोसी घाटी के गांवों में महिलाओं को संगठित करने की सलाह दी।

बसंती बहन के अनुसार वहां सूखती कोसी को देखकर नया संकल्प लिया। बांज, चौड़ी पत्ती प्रजातियों के विनाश के कारण कोसी जलागम क्षेत्र के प्राकृतिक जलस्रोत सूख रहे थे। महिलाएं इससे बेखबर थीं। महिलाओं को वनों के दोहन से रोकने के लिए काफी समय तक मशक्कत करनी पड़ी। कई बार निराशा भी हुई, लेकिन संकल्प नहीं छोड़ा। अंतत: महिलाएं समझ गईं कि जंगल, पानी नहीं बचा तो कोसी घाटी की संपन्न खेती भी खतरे में पड़ जाएगी। एक सिरे से महिलाओं ने इस बात को समझा, आज पूरी घाटी में पेड़ों के कटान पर रोक लगी है। महिलाएं खुद ही अभियान की अगुवाई कर रही हैं।

बसंती बहन के  प्रयासों से कौसानी से लेकर लोद तक पूरी घाटी के 200 गांवों में महिलाओं के सशक्त समूह बन चुके हैं। महिलाओं और पंचायतों के सशक्तिकरण के लिए उन्होंने 2008 मेें काम शुरू किया। पंचायतों में आरक्षण के बाद पुरुषों के चंगुल से महिला प्रतिनिधियों को मुक्त करने की मुहिम छेड़ी। पिछले साल तक घाटी 51 गांवों में 150 महिला प्रतिनिधियों के  साथ निरंतर संपर्क रखकर उन्हेें आत्मनिर्भर बनाया गया। वर्तमान में 242 महिला प्रतिनिधि सशक्तिकरण अभियान से जुड़ी हैं। नतीजतन अब महिलाएं पुरुषों की इच्छा पर नहीं, बल्कि अपने बलबूते चुनाव लड़ने की हिम्मत जुटाने लगी हैं।

 घरेलू हिंसा के खिलाफ महिला जनजागरण के चलते समाज में बदलाव आ रहा है।
 बसंती बहन का कहना कि अभी चार सालों तक वह इन कार्यक्रमों को जारी रखना चाहती हैं, निकट भविष्य मेें ही क्षेत्र में बीयर बार खोलने की कोशिशों के विरोध में महिलाओं के  साथ आंदोलन किया जाएगा। महिला शिक्षा और लैंगिक समानता के लिए काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में जो भी समय और समाज की मांग होगी, उसके लिए काम किया जाएगा।
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 हिमालय के ट्रस्ट के संचालक लक्ष्मी आश्रम से जुड़े वरिष्ठ समाजसेवी सदन मिश्रा का कहना है कि कोसी बचाओ अभियान सहित महिलाओं और पंचायतों के सशक्तिकरण को बसंती बहन द्वारा किए गए काम अभूतपूर्व हैं। अब शासन, प्रशासन के स्तर पर भी उनकी इच्छा का सम्मान किया जाएगा।

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