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Prayagraj News: संगम क्षेत्र खाली करने की मुनादी, तीर्थ पुरोहितों ने हटाया बहीखाता
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: अमर उजाला लोकल ब्यूरो
Updated Mon, 21 Sep 2020 12:42 PM IST
संगम तट
- फोटो : अमर उजाला
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प्रयागराज। सेना की ओर से संगम क्षेत्र खाली करने मुनादी के बाद तीर्थपुरोहित अपने तख्त और चौकियां हटाने लगे हैं। रविवार को दिन भर तीर्थपुरोहितों ने बही -खाता सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। अक्षयवट मार्ग, त्रिवेणी मार्ग समेत परेड क्षेत्र से सैकड़ों तीर्थपुरोहितों ने अपने तख्त हटा लिए हैं। पूजा-प्रसाद की दुकानों और अस्थाई रूप से टेंट और बांस का घेरा डालने वालों को भी अतिक्रमण हटाने के लिए कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष सेना ने परेड और संगम क्षेत्र से तीर्थपुरोहितों के तख्त हटवा दिए थे। संगम के अलावा घाटों को खाली करने की सेना की चेतावनी के बाद तीर्थपुरोहितों में अफरा तफरी का माहौल है। रविवार को बड़े हनुमान मंदिर के सामने महावीर मार्ग, अक्षयवट मार्ग के अलावा त्रिवेणी रोड और काली रोड पुरोहितों ने तख्त हटाना शुरू कर दिया। खाता-बही हटाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। इस बीच दोपहर करीब 12 बजे अखिल भारतीय तीर्थपुरोहित महासभा के पदाधिकारियों ने प्रभारी मेलाधिकारी रजनीश कुमार मिश्र से मुलाकात कर स्थिति की जानकारी दी।
प्रभारी मेलाधिकारी का कहना था कि सेना के अफसरों से वार्ता की जा रही है, लेकिन जब तक इस मामले के समाधान नहीं निकल जाता, तब तक वह कुछ नहीं कर सकते। प्रभारी मेलाधिकारी ने संगम नोज के पास स्थित स्टेट लैंड पर तीर्थ पुरोहितों को बसाने का सुझाव भी दिया। उनका कहना था कि अगर पुरोहित चाहें तो वह फिलहाल संगम नोज के पास बिजली, पानी व अन्य इंतजाम करा सकते हैं, ताकि उनकेतख्त लगाए जा सकें। इस पर तीर्थपुरोहितों ने संगम नोज पर जाने से इंकार कर दिया। इससे पहले सेना की ओर से 14 नवंबर 2019 को तख्त उजाड़े जाने के बाद तीर्थपुरोहितों ने सांसद केशरी देवी पटेल के साथ दिल्ली जाकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से गुहार लगाई थी। इसके बाद उनके तख्त दोबारा लगाए गए थे।
तीर्थपुरोहितों ने बनाई आंदोलन की रणनीति, सांसद ने मदद का दिया भरोसा प्रयागराज। तीर्थ पुरोहितों को संगम छोड़ देने की चेतावनी देने के बाद अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा की रविवार को हुई आपात बैठक में आंदोलन की रणनीति तैयार की गई। महासभा के राष्ट्रीय महासचिव चंद्रनाथ चकहा मधु ने फूलपुर की सांसद केशरी देवी पटेल को प्रकरण की जानकारी देने के लिए संपर्क किया तो पता चला कि वह दिल्ली में हैं। फोन पर हुई वार्ता के बाद सांसद ने तीर्थपुरोहितों को मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह इस मसले पर रक्षामंत्री से मिलकर स्थाई समाधान निकालेंगी। सेना की ओर से संगम क्षेत्र में मुनादी कराने की बात सुनकर सांसद नाराजगी व्यक्त की।
इस मसले पर हुई बैठक में महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमितराज वैद्य ने कहा कि षड़यंत्र के तहत धर्म पर कुठाराघात करने का प्रयास किया जा रहा है। इसे किसी भी दशा में सफल नहीं होने दिया जाएगा। महामंत्री चंद्रकांत चकहा ने कहा कि संगम क्षेत्र में विराजमान देवी -देवताओं की महिमा वेद, पुराणों व अन्य ग्रंथों में मिलती है। यह थल देश के करोड़ों हिंदूओं की आस्था केंद्र है। प्रयाग मोक्ष की भूमि है। अर्द्धकुंभ, महाकुंभ, माघ मेला इसी तट पर बसाए जाते हैं। महासभा के श्रवण कुमार शर्मा,संरक्षक हरिजगन्नाथ शास्त्री, रामकृष्ण तिवारी, माधवानंद शर्मा, पवन शास्त्री, अनिल मिश्रा, दिनेश तिवारी भय्यो महाराज, राकेश शर्मा, राहुल तिवारी, प्रदीप पाठक, सुरेश शर्मा, पुष्कर तिवारी, राकेश कुमार शर्मा सहित कई तीर्थ पुरोहितों ने सेना के इस कदम की आलोचना की।
प्रयागराज। सेना की ओर से संगम क्षेत्र खाली करने मुनादी के बाद तीर्थपुरोहित अपने तख्त और चौकियां हटाने लगे हैं। रविवार को दिन भर तीर्थपुरोहितों ने बही -खाता सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। अक्षयवट मार्ग, त्रिवेणी मार्ग समेत परेड क्षेत्र से सैकड़ों तीर्थपुरोहितों ने अपने तख्त हटा लिए हैं। पूजा-प्रसाद की दुकानों और अस्थाई रूप से टेंट और बांस का घेरा डालने वालों को भी अतिक्रमण हटाने के लिए कहा गया है।
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उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष सेना ने परेड और संगम क्षेत्र से तीर्थपुरोहितों के तख्त हटवा दिए थे। संगम के अलावा घाटों को खाली करने की सेना की चेतावनी के बाद तीर्थपुरोहितों में अफरा तफरी का माहौल है। रविवार को बड़े हनुमान मंदिर के सामने महावीर मार्ग, अक्षयवट मार्ग के अलावा त्रिवेणी रोड और काली रोड पुरोहितों ने तख्त हटाना शुरू कर दिया। खाता-बही हटाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। इस बीच दोपहर करीब 12 बजे अखिल भारतीय तीर्थपुरोहित महासभा के पदाधिकारियों ने प्रभारी मेलाधिकारी रजनीश कुमार मिश्र से मुलाकात कर स्थिति की जानकारी दी।
प्रभारी मेलाधिकारी का कहना था कि सेना के अफसरों से वार्ता की जा रही है, लेकिन जब तक इस मामले के समाधान नहीं निकल जाता, तब तक वह कुछ नहीं कर सकते। प्रभारी मेलाधिकारी ने संगम नोज के पास स्थित स्टेट लैंड पर तीर्थ पुरोहितों को बसाने का सुझाव भी दिया। उनका कहना था कि अगर पुरोहित चाहें तो वह फिलहाल संगम नोज के पास बिजली, पानी व अन्य इंतजाम करा सकते हैं, ताकि उनकेतख्त लगाए जा सकें। इस पर तीर्थपुरोहितों ने संगम नोज पर जाने से इंकार कर दिया। इससे पहले सेना की ओर से 14 नवंबर 2019 को तख्त उजाड़े जाने के बाद तीर्थपुरोहितों ने सांसद केशरी देवी पटेल के साथ दिल्ली जाकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से गुहार लगाई थी। इसके बाद उनके तख्त दोबारा लगाए गए थे।
तीर्थपुरोहितों ने बनाई आंदोलन की रणनीति, सांसद ने मदद का दिया भरोसा प्रयागराज। तीर्थ पुरोहितों को संगम छोड़ देने की चेतावनी देने के बाद अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा की रविवार को हुई आपात बैठक में आंदोलन की रणनीति तैयार की गई। महासभा के राष्ट्रीय महासचिव चंद्रनाथ चकहा मधु ने फूलपुर की सांसद केशरी देवी पटेल को प्रकरण की जानकारी देने के लिए संपर्क किया तो पता चला कि वह दिल्ली में हैं। फोन पर हुई वार्ता के बाद सांसद ने तीर्थपुरोहितों को मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह इस मसले पर रक्षामंत्री से मिलकर स्थाई समाधान निकालेंगी। सेना की ओर से संगम क्षेत्र में मुनादी कराने की बात सुनकर सांसद नाराजगी व्यक्त की।
इस मसले पर हुई बैठक में महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमितराज वैद्य ने कहा कि षड़यंत्र के तहत धर्म पर कुठाराघात करने का प्रयास किया जा रहा है। इसे किसी भी दशा में सफल नहीं होने दिया जाएगा। महामंत्री चंद्रकांत चकहा ने कहा कि संगम क्षेत्र में विराजमान देवी -देवताओं की महिमा वेद, पुराणों व अन्य ग्रंथों में मिलती है। यह थल देश के करोड़ों हिंदूओं की आस्था केंद्र है। प्रयाग मोक्ष की भूमि है। अर्द्धकुंभ, महाकुंभ, माघ मेला इसी तट पर बसाए जाते हैं। महासभा के श्रवण कुमार शर्मा,संरक्षक हरिजगन्नाथ शास्त्री, रामकृष्ण तिवारी, माधवानंद शर्मा, पवन शास्त्री, अनिल मिश्रा, दिनेश तिवारी भय्यो महाराज, राकेश शर्मा, राहुल तिवारी, प्रदीप पाठक, सुरेश शर्मा, पुष्कर तिवारी, राकेश कुमार शर्मा सहित कई तीर्थ पुरोहितों ने सेना के इस कदम की आलोचना की।
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