राहुल शुक्ला, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Wed, 06 Feb 2019 04:47 PM IST
कानपुर के ग्रीनपार्क स्टेडियम में विभिन्न खेलों का प्रशिक्षण लेने वाले तीन हजार खिलाड़ियों के लिए खुशखबरी हैं। 31 जनवरी को बंद हो चुके 13 खेलों के प्रशिक्षण अब 31 मार्च तक जारी रहेंगे। इसके लिए सभी 13 प्रशिक्षकों को मानदेय जिला खेल प्रोत्साहन समिति से दिया जाएगा।
बताते चलें कि खेल विभाग की ओर से ग्रीनपार्क स्टेडियम में अप्रैल 2018 से जनवरी 2019 तक 13 खेलों के अंशकालिक प्रशिक्षण शिविर शुरू किए गए थे। इसमें तीन हजार खिलाड़ियों को मात्र डेढ़ सौ रुपये सालाना फीस में सुबह व शाम प्रशिक्षण दिया जा रहा था।
इसके लिए सभी 13 खेलों के अंशकालिक प्रशिक्षकों को नियुक्त किया गया था। इनका मानदेय खेल विभाग की ओर से हर माह दिया जाता था। 31 जनवरी को सभी खेलों के अंशकालिक प्रशिक्षण बंद हो गए थे।
इसकी जानकारी जब क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी अजय कुमार सेठी ने जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत को दी तो तत्काल डीएम ने सभी खेलों के अंशकालिक प्रशिक्षणों को जारी रखने का निर्देश दिया। कहा कि यह प्रशिक्षण तब तक जारी रहेंगे जब तक खेल विभाग की ओर से प्रशिक्षकों की नियुक्ति नहीं की जाती है।
निर्णय से खुश खिलाड़ियाें और अंशकालिक प्रशिक्षकों का कहना है कि आज तक ग्रीनपार्क के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ है। क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी ने बताया कि निर्देश मुझे मंगलवार को मिला है। खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को इससे राहत मिलेगी।
ये हैं प्रशिक्षक
ताइक्वांडो में सुशांत गुप्ता, भारोत्तोलन में राघवेंद्र सिंह, टीटी में अविनाश यादव, कबड्डी में पूनम यादव, क्रिकेट में शिव प्रताप सिंह, एथलेटिक में मदन गोपाल, जूडो में दिलशाद सिद्दीकी, हैंडबाल में नेहा पांडेय, बैडमिंटन में आशीष गौड़, वुशू में संजीव कुमार, हॉकी में शाहिद खान, बॉस्केटबॉल में गौर सुंदर अग्निहोत्री, वॉलीबॉल में सुरभित सिंह।
कानपुर के ग्रीनपार्क स्टेडियम में विभिन्न खेलों का प्रशिक्षण लेने वाले तीन हजार खिलाड़ियों के लिए खुशखबरी हैं। 31 जनवरी को बंद हो चुके 13 खेलों के प्रशिक्षण अब 31 मार्च तक जारी रहेंगे। इसके लिए सभी 13 प्रशिक्षकों को मानदेय जिला खेल प्रोत्साहन समिति से दिया जाएगा।
बताते चलें कि खेल विभाग की ओर से ग्रीनपार्क स्टेडियम में अप्रैल 2018 से जनवरी 2019 तक 13 खेलों के अंशकालिक प्रशिक्षण शिविर शुरू किए गए थे। इसमें तीन हजार खिलाड़ियों को मात्र डेढ़ सौ रुपये सालाना फीस में सुबह व शाम प्रशिक्षण दिया जा रहा था।