हिन्दू पंचांग में आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली
एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी के मौके पर
भगवान विष्णु की पूजा-आराधना की जाती है। इस बार ये एकादशी मंगलवार यानि 20 जून को है। मंगलवार को एकादशी होने से इसका विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार योगिनी एकादशी को करने से 88 हजार ब्राह्राणों को भोजन करवाने के बराबर का पुण्य-लाभ मिलता है।
योगिनी एकादशी के दिन व्रत का संकल्प करके भगवान नारायण की प्रतिमा को स्नान कराकर उन्हें भोग लगाते हैं। इसके बाद फूल,धूप और दीपक से आरती उतारी जाती है। ऐसा करने से पाप नष्ट हो जाते है।
योगिनी एकादशी के विषय में पुराणों में एक कथा है। जिसमें हेममाली नाम का एक माली था। जो काम भाव में लीन होकर ऐसी गलती कर बैठा कि उसे राजा का श्राप मिला,जिससे उसे कुष्ठ रोग हो गया।
एक ऋषि ने योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा, जिससे उसका कुष्ठ रोग ठीक हो गया और तभी से इस एकादशी का महत्व है।
इस एकादशी के बारें में मान्यता है कि इस व्रत को करने से 88 हजार ब्राह्राणों को भोजन करने के बराबर का फल मिलता है इसलिए इस व्रत का अपना विशेष महत्व होता है।