आज के बाइस्कोप की फिल्म ‘दिल से’ तक आने से पहले दो कदम पीछे चलना जरूरी है। पता नहीं कितने लोगों ने सिस लेविन का नाम भी सुना होगा। सीएनएन संवाददाता जेरी लेविन की पत्नी सिस ने अपने पति को लेबनॉन में उग्रवादियों के चंगुल से छुड़ाने के लिए साल 1984 में जो मेहनत की उस पर एक फिल्म बनी, ‘हेल्ड हॉस्टेज’। सीधे टेलीविजन पर रिलीज होने के लिए बनी इस फिल्म के ठीक अगले साल एक दक्षिण भारतीय भाषा में एक फिल्म रिलीज हुई, ‘रोजा’। कहानी दोनों की एक सी है, बस फर्क ये है कि ‘रोजा’ की कहानी को देसी फिल्म समीक्षकों ने तब सत्यवान और सावित्री की पौराणिक कहानी का चोला पहना दिया। फिल्म में लेबनान के उग्रपंथियों की जगह कश्मीर में तबाही मचाने वाले पाकिस्तान पोषिष उग्रवादियों ने ली और फिल्म से शुरू हुए एक ऐसी सिनेत्रयी जिसने भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा और दशा दी।
बाइस्कोप: फिर चमक उठा था राहुल रवैल और सनी देओल का करियर, इन वजहों से कल्ट फिल्म बनी ‘अर्जुन पंडित’
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