Digital Review: छपाक (ट्रेलर)
कलाकार: दीपिका पादुकोण, विक्रांत मैसी आदि।
निर्देशक: मेघना गुलजार
निर्माता: फॉक्स स्टार स्टूडियोज, दीपिका पादुकोण, गोविंद सिंह संधू, मेघना गुलजार
रेटिंग: ****
साल 2005 से लेकर अब तक दिल्ली कितनी सरकारें देख चुकी है, सियासतदां अच्छी तरह जानते हैं। लेकिन, सिस्टम बनाने वाले ये सियासतदां नहीं स्वीकारते हैं तो बस एक बात कि तेजाब अब भी देश में खुलेआम बिक रहा है। 19 जुलाई 2013 को देश के सर्वोच्च न्यायालय ने लक्ष्मी नाम की एक युवती की जनहित याचिका पर देश में तेजाब की बिक्री के कायदे कानून बनाने का निर्देश देते हुए इसकी खुलेआम बिक्री पर प्रतिबंध लगाने को कहा था और ये भी कहा था कि तेजाब हमला गैरजमानती अपराध माना जाएगा। इन्हीं लक्ष्मी अग्रवाल की जीवनी पर बनी है दीपिका पादुकोण की नई फिल्म, छपाक।
लेकिन, तब से अब तक हालात ज्यादा बदले नहीं हैं। दुनिया में तेजाब के सबसे ज्यादा हमले भारत में ही होते रहे हैं। दो साल पहले ही लखनऊ जाने वाली एक ट्रेन में दो लड़कों ने एक युवती के हलक के नीचे जबरदस्ती तेजाब उतार दिया था। तेजाब से होने वाला हमला कैसे एक किशोरी या युवती के तन को तो झुलसाता ही है, उसका मन भी खरोंच देता है, यही दिखाने की कोशिश की है, निर्देशक मेघना गुलजार ने अपनी फिल्म छपाक के इस ट्रेलर में।
दीपिका ने एक बार फिर अपने अभिनय की एक बड़ी लकीर खींची हैं। वह दूसरों की बनाई लाइनें ऐसे ही छोटी करती रही हैं। फिल्म पीकू में सर्वश्रेष्ठ अभिनय का राष्ट्रीय पुरस्कार अमिताभ बच्चन की बजाय दीपिका पादुकोण को ही मिलना चाहिए था। लेकिन जूरी ने नहीं दिया। जूरी की इसी अनदेखी को दीपिका का जवाब है, छपाक!
“उन्होंने मेरी सूरत बदली है, मेरा मन नहीं!” संवाद पर आकर ठहरने वाला दो मिनट 19 सेकंड का फिल्म छपाक का ट्रेलर सीधे सिस्टम पर चोट करता है। लक्ष्मी को पढ़ना भी था, आगे भी बढ़ना था लेकिन गली कूंचों में बिकने वाले तेजाब ने उसके सपने जला दिए। लक्ष्मी भी जिद की पक्की दिखती है, वह राख सी निकली फीनिक्स है। मालती के किरदार में दीपिका एक बार फिर दैदीप्यमान हैं। आलोक दीक्षित से प्रेरित किरदार में विक्रांत मैसी के अलावा दूसरे साथी कलाकारों का साथ भी दमदार दिखता है। ट्रेलर देखने वालों को अभी से 10 जनवरी का इंतजार शुरू हो जाए तो बड़ी बात नहीं।