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अजब-गजब: वैज्ञानिकों ने खोजा धरती का सबसे गहरा भूकंप, सतह से गहराई जानकार हो जाएंगे हैरान

फीचर डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: आशिकी पटेल Updated Thu, 11 Nov 2021 01:50 PM IST
Scientists discovered Earth's deepest earthquake 751 kilometer below earth surface
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हाल ही में वैज्ञानिकों ने अब तक के सबसे गहरे भूंकप का पता लगाया है। ये भूकंप पृथ्वी की सतह से करीब 751 किलोमीटर गहराई पर दर्ज किया गया है। हैरानी की बात ये है कि वैज्ञानिक इसे अभी तक का सबसे गहरा भूकंप मान रहे हैं। सिर्फ यही नहीं, अभी तक तो ये माना जाता रहा है कि इस तरह का भूकंप का धरती पर पैदा होना संभव ही नहीं है।

ये भूकंप धरती के निचले मैंटल पर आया था। इसे देखकर वैज्ञानिक भी हैरान थे क्योंकि इस तरह के भूकंप बेहद ही दुर्लभ स्थिति में आते में आते हैं। भूकंप वैज्ञानिकों का मानना है कि अचानक ऊर्जा के निकलने के कारण पैदा हुए अत्यधिक दबाव की वजह से ऐसा हुआ होगा। लास वेगास की यूनिवर्सिटी ऑफ नेवादा में जियोमटेरियल्स की प्रोफेसर पामेला बर्नले का कहना है कि खनिज हमेशा वैसा बर्ताव नहीं करते जैसा हम उम्मीद करते हैं। पामेला बर्नले ने कहा कि इस भूकंप से पता चलता है कि पृथ्वी की गहराइयों की सीमाएं हमारी सामाझ से ज्यादा अजीब हैं। अब तक का सबसे गहरा भूकंप 400 किलोमीटर नीचे आया था। इससे भी गहरा भूकंप 670 किलोमीटर नीचे जापान में आया था।

 
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कितनी गहराई में पैदा होते हैं भूकंप
यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैलिफोर्निया के सीस्मोलॉजिस्ट जॉन विडेल का कहना है कि भूकंप की गहराई की भी पुष्टि होना बाकी है, लेकिन इस भूंकप ने वैज्ञानिकों को हैरान करके रख दिया है। आमतौर पर सभी भूकंप कम गहराई पर पैदा होते हैं और पृथ्वी की पर्पटी और पृथ्वी के ऊपरी मैंटल के 100 किलोमीटर की गहराई के पहले ही पैदा होते हैं।
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आमतौर पर पृथ्वी के पर्पटी की गहराई 5 किलोमीटर से लेकर 70 किलोमीटर तक है। मगर उसकी औसत गहराई 20 किलोमीटर तक ही निकलती है, जहां चट्टाने ठंडी और कठोर हैं। इन चट्टानों पर दबाव पड़ने पर वे टूटने से पहले थोड़ी सी ही मुड़ पाती हैं। अधिक दबाव में चट्टानें गर्म होती हैं, जिससे उनके टूटने से पहले ऊर्जा निकलती है। लेकिन ज्यादा गहराई पर चट्टानें उच्च दबाव में होती हैं जिससे इनके टूटने की संभावना कम हो जाती है।
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वहीं इन हलातों में भूकंप तब आता है जब उच्च दबाव चट्टानों के छिद्रों में भरे द्रव्य को धक्का देता है, जिससे द्रव्य बाहर निकलता है और चट्टानें भी टूट सकती हैं। लेकिन इस तरह से भूंकप आने की संभावना केवल 400 किलोमीटर तक ही हो सकती है, जो कि ऊपरी मैंटल में आती है। लेकिन इससे पहले भी निचले मैंटल की गहराई में भूंकप आते देखे गए हैं, जो काफी रहस्यमी हैरान करने वाले हैं।
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