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Sukhoi-Mirage Crash: एक पायलट की मौत, दो की हालत गंभीर, क्या लड़ाकू विमानों के आपस में टकराने से हुआ हादसा?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुरैना Published by: अरविंद कुमार Updated Sat, 28 Jan 2023 09:12 PM IST
सार

Plane crash in Madhya Pradesh मुरैना विमान हादसे में एक पायलट की मौत हो गई। मुरैना के एसपी आशुतोष बागरी ने बताया, शनिवार सुबह दो विमान मिराज और सुखोई ग्वालियर से उड़े थे। एक विमान में दो पायलट और दूसरे में एक पायलट था। हादसे के बाद दो पायलट को रेस्क्यू किया गया है।

IAF Sukhoi-30 Mirage-2000 Jets Aircraft Crash in Madhya Pradesh Morena News in Hindi
मुरैना में दो लड़ाकू विमान क्रैश - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में एक प्रशिक्षण मिशन के दौरान शनिवार को एक दुर्लभ और दुखद दुर्घटना हो गई। इसमें भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के दो अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गए। इस हादसे में एक विंग कमांडर की मौत हो गई, जबकि दो अन्य पायलट सुरक्षित बाहर निकल आए।

'संभव है कि दोनों विमानों की हवा में टक्कर हुई हो'
रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि यह संभव है कि रूस द्वारा डिजाइन किए गए सुखोई-30एमकेआई जेट और फ्रांसीसी मिराज-2000 के बीच हवा में टक्कर हुई हो। लेकिन भारतीय वायुसेना की ओर से इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है।



अधिकारियों ने बताया कि मिराज विमान के मृत पायलट की पहचान विंग कमांडर हनुमंत राव सारथी के रूप में हुई है। उन्होंने कहा कि हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि सुखोई विमान के दो पायलट बाहर निकलने में कामयाब रहे और उन्हें सैन्य अस्पताल ले जाया गया। मिराज-2000, जो सिंगल-सीटर जेट है, सारथी द्वारा उड़ाया गया था।

दुर्घटना की जांच के दिए गए आदेश
भारतीय वायुसेना ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि भारतीय वायुसेना के दो लड़ाकू विमान आज सुबह ग्वालियर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गए। विमान नियमित परिचालन उड़ान प्रशिक्षण मिशन पर थे। इसमें कहा गया है कि इसमें शामिल तीन पायलटों में से एक को गंभीर चोटें आई हैं। दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

भारतीय वायुसेना की एरोबेटिक टीम सूर्य किरण के दो हॉक विमान, मध्य हवा में टक्कर के बाद बेंगलुरु में दुर्घटनाग्रस्त होने के लगभग चार साल बाद यह दुर्घटना हुई। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को दुर्घटना के बारे में जानकारी दी। 

'हम इस कठिन घड़ी में उनके परिवार के साथ खड़े हैं'
रक्षा मंत्री ने ट्वीट कर कहा कि बहादुर वायु योद्धा, विंग कमांडर हनुमंत राव सारथी के निधन से गहरा दुख हुआ, जो ग्वालियर के पास एक दुर्घटना के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। हम इस कठिन घड़ी में उनके परिवार के साथ खड़े हैं।
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अधिकारियों ने कहा कि दोनों विमानों के फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर की बरामदगी से दुर्घटना के कारणों पर कुछ पता चल सकेगा।

'पहाड़गढ़ इलाके में मिले दूसरे पायलट के शरीर के हिस्से'
मुरैना कलेक्टर अंकित अस्थाना ने कहा कि दोनों विमानों का मलबा जिले के पहाड़गढ़ इलाके में गिरा। उन्होंने कहा कि कुछ मलबा राजस्थान के भरतपुर में भी गिरा, जो मध्य प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है। अस्थाना ने बताया कि हादसे में दो पायलट बाल-बाल बच गए। दूसरे पायलट के शरीर के हिस्से पहाड़गढ़ इलाके में मिले।

इससे पहले दिन में भरतपुर के पुलिस अधीक्षक श्याम सिंह ने कहा था कि एक विमान उच्चैन इलाके में एक खुले मैदान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। भरतपुर में पुलिस ने कहा था कि जहां एक विमान का मलबा गिरा था वहां सबसे पहले स्थानीय लोग पहुंचे थे।

एक उड्डयन विशेषज्ञ के अनुसार, यह पहला मिराज 2000 और साथ ही सुखोई-30MKI था। इन्हें भारतीय वायु सेना ने मध्य-वायु टक्कर में खो दिया था। SU-30MKI एक ट्विन-सीटर कॉम्बैट जेट है, जबकि मिराज 2000, फ्रांसीसी एयरोस्पेस प्रमुख डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित, एक सिंगल-सीटर विमान है। दोनों विमानों ने ग्वालियर वायुसेना स्टेशन से उड़ान भरी थी। बेस में सुखोई-30MKI और मिराज 2000 जेट दोनों के स्क्वाड्रन हैं।

उड्डयन इतिहासकार अंचित गुप्ता ने ट्वीट किया कि मध्य-वायु टकराव (मैक) असामान्य नहीं हैं। भारत में पिछले 70 से अधिक वर्षों में मैक में कम से कम 64 विमान और 39 पायलट खो गए हैं। उन्होंने कहा कि देश ने एमएसी में 11 मिग-21 विमान गंवाए, जबकि हंटर और जगुआर विमानों की संख्या क्रमश: आठ और पांच है।

प्रशासन ने पूरा इलाका घेरा...
घटना की सूचना मिलते ही मुरैना के कलेक्टर और एसपी मौके पर पहुंचे और बड़ी संख्या में डॉक्टर और पुलिस के दल भी वहां पहुंच गए। घटना के बाद ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस सेंटर से आधा दर्जन से ज्यादा हेलीकॉप्टर रवाना हुए। इसमें रेस्क्यू दल के सदस्य थे। दिल्ली और इलाहवाद से भी वायुसेना के वरिष्ठ अफसर मौके के लिए रवाना हुए।



जानकारी के मुताबिक, दुर्घटना के दौरान सुखोई 30 में दो पायलट थे। जबकि मिराज 2000 में एक पायलट था। बता दें कि मिराज 2000 फाइटर जेट्स को उड़ाने के लिए सिर्फ एक पायलट की जरूरत होती है। इस जेट की लंबाई 47.1 फीट होती है। विंगस्पैन 29.11 फीट होती है, ऊंचाई 17.1 फीट होती है। हथियारों और ईधन के साथ इसका वजन 13,800 किलोग्राम हो जाता है। वैसे यह 7500 किलोग्राम वजन का है। 26 फरवरी 2019 को 12 मिराज 2000 फाइटर जेट्स ने ही पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर जैश-ए-मोहम्मद की आतंकी ट्रेनिंग कैंप को ध्वस्त किया था।



वहीं, सुखोई 30 की बात करें तो इसकी लंबाई 72 फीट है। विंगस्पैन 48.3 फीट है, ऊंचाई 20.10 फीट है। इसका वजन 18,400 KG है। इसमें लीयुल्का एल-31एफपी आफ्टरबर्निंग टर्बोफैन इंजन लगे हैं, जो उसे 123 किलोन्यूटन की ताकत देता है। इस इंजन और अपनी एयरोडायनेमिक बनावट की बदौलत फाइटर जेट 2120 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से उड़ता है। इसकी रेंज भी 3000 किलोमीटर है। बीच रास्ते में ईंधन मिल जाए तो यह 8000 किलोमीटर तक जा सकता है। यह करीब 57 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।



क्रैश पर CM शिवराज ने किया ट्वीट...
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हादसे पर ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, मुरैना के कोलारस के पास वायुसेना के सुखोई-30 और मिराज-2000 विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर अत्यंत दुखद है। मैंने स्थानीय प्रशासन को त्वरित बचाव एवं राहत कार्य में वायुसेना के सहयोग के निर्देश दिए हैं। विमानों के पायलट के सुरक्षित होने की ईश्वर से कामना करता हूं।


पहले हुए विमान हादसों पर एक नजर...
भारतीय वायुसेना के दो पायलट पिछले साल जुलाई में मारे गए थे, जब उनका जुड़वां सीटों वाला मिग -21 ट्रेनर विमान राजस्थान के बाड़मेर के पास एक प्रशिक्षण उड़ान के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। पिछले साल मार्च में, रक्षा राज्य मंत्री अजय भट ने राज्यसभा को बताया था कि पिछले पांच वर्षों में तीनों सेनाओं के विमानों और हेलीकाप्टरों से जुड़े हादसों में 42 रक्षाकर्मी मारे गए। पिछले साल अक्टूबर में भारतीय सेना के एक उन्नत हल्के हेलीकाप्टर (एएलएच) का एक हथियार प्रणाली एकीकृत संस्करण अरुणाचल प्रदेश में तूतिंग के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

एक अन्य ALH-WSI तीन अगस्त 2021 को पठानकोट के पास विशाल रंजीत सागर जलाशय में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें सेना के दो पायलट मारे गए थे। अक्टूबर 2019 में उत्तरी कमान के तत्कालीन प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को ले जा रहा भारतीय सेना का एक ध्रुव हेलीकॉप्टर जम्मू-कश्मीर के पुंछ में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, मार्च 2017 और दिसंबर 2021 के बीच, 15 सैन्य हेलीकॉप्टरों से जुड़े हादसों में 31 लोगों की जान चली गई थी। उनमें चार ALH, चार चीता, दो ALH (WSI), तीन Mi-17V5, एक Mi-17 और एक चेतक शामिल थे।

15 दुर्घटनाओं में मृतकों में आठ दिसंबर, 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर के पास एक दुर्घटना में 14 लोग शामिल थे। दुर्घटना में तत्कालीन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका और 12 सशस्त्र बल के जवान मारे गए थे। सेना और भारतीय वायुसेना के सात-सात हेलीकॉप्टर उस समय दुर्घटनाओं में शामिल थे, जबकि नौसेना की संख्या जारी थी।

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