त्याग के बिना कुछ भी पाना संभव नहीं, यह बात तो आपने कई बार सुनी होगी। लेकिन झारखंड के बिशुनपुर रोड के शास्त्री नगर की रहने वाली साक्षी श्रीवास्तव ने इसे सच कर दिखाया है। अपने पिता की जलती चिता को छोड़कर वह आईबीपीएस पीओ की परीक्षा देने गईं थीं। पहले ही प्रयास में उन्होंने परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ली है और अब उनका चयन केनरा बैंक में पीओ पद पर हुआ है।
एक ने निभाया फर्ज, दूसरी ने कायम की मिसाल
साक्षी ने डीएवी से बारहवीं की पढ़ाई और सेंट जेवियर कॉलेज रांची से मैथ्स ऑनर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर पर ही रहकर आईबीपीएस प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। 27 फरवरी को आईबीपीएस पीओ की परीक्षा वाले दिन ही पिता शैलेंद्र लाल की मृत्यु हो गई थी। पिता के सपने काे साकार करने के लिए साक्षी ने पिता की जलती चिता को छोड़कर परीक्षा देने का निर्णय किया और सफलता भी प्राप्त की। वहीं छोटी बहन ने फर्ज निभाते हुए अपने पिता को मुखाग्नि दी। इन दोनों बहनों ने समाज के लिए एक नई मिसाल कायम की है। बता दें उनकी बड़ी बहन स्नेहा श्रीवास्तव का चयन वर्ष 2015 में बैंक ऑफ बड़ौदा में पीओ के पद पर हुआ था।
मुझे नाज है अपनी तीनों बेटियों पर
साक्षी की माता शशि सिन्हा कहती हैं कि मुझे अपनी तीनों बेटियों पर नाज है। उन्होंने कभी भी बेटे की कमी महसूस होने नहीं दी। बेटी और बेटे दोनों का फर्ज निभाया। वहीं साक्षी अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं और इसे अपने पिता को श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित करती हैं।
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त्याग के बिना कुछ भी पाना संभव नहीं, यह बात तो आपने कई बार सुनी होगी। लेकिन झारखंड के बिशुनपुर रोड के शास्त्री नगर की रहने वाली साक्षी श्रीवास्तव ने इसे सच कर दिखाया है। अपने पिता की जलती चिता को छोड़कर वह आईबीपीएस पीओ की परीक्षा देने गईं थीं। पहले ही प्रयास में उन्होंने परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ली है और अब उनका चयन केनरा बैंक में पीओ पद पर हुआ है।
एक ने निभाया फर्ज, दूसरी ने कायम की मिसाल
साक्षी ने डीएवी से बारहवीं की पढ़ाई और सेंट जेवियर कॉलेज रांची से मैथ्स ऑनर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर पर ही रहकर आईबीपीएस प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। 27 फरवरी को आईबीपीएस पीओ की परीक्षा वाले दिन ही पिता शैलेंद्र लाल की मृत्यु हो गई थी। पिता के सपने काे साकार करने के लिए साक्षी ने पिता की जलती चिता को छोड़कर परीक्षा देने का निर्णय किया और सफलता भी प्राप्त की। वहीं छोटी बहन ने फर्ज निभाते हुए अपने पिता को मुखाग्नि दी। इन दोनों बहनों ने समाज के लिए एक नई मिसाल कायम की है। बता दें उनकी बड़ी बहन स्नेहा श्रीवास्तव का चयन वर्ष 2015 में बैंक ऑफ बड़ौदा में पीओ के पद पर हुआ था।