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Supreme Court: पंचायत चुनाव की याचिका पर जल्द सुनवाई से 'सुप्रीम' इनकार, पढ़ें शीर्ष कोर्ट की अहम खबरें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नितिन गौतम
Updated Wed, 29 Mar 2023 11:21 PM IST
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पार्दीवाला की पीठ ने वरिष्ठ वकील पीएस पटवालिया के सबमिशन पर नोट लिया। नोट में कहा गया था कि अगर अपील पर जल्द सुनवाई नहीं की गई तो चुनाव का नोटिफिकेशन जारी हो सकता है।
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है। बता दें कि कोर्ट ने 28 मार्च के अपने आदेश में पंचायत चुनाव में इस स्तर पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। आरोप है कि पंचायत चुनाव के आरक्षण में सत्ता पक्ष को फायदा देने के लिए गड़बड़ी की गई है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पार्दीवाला की पीठ ने वरिष्ठ वकील पीएस पटवालिया के सबमिशन पर नोट लिया। नोट में कहा गया था कि अगर अपील पर जल्द सुनवाई नहीं की गई तो चुनाव का नोटिफिकेशन जारी हो सकता है। इस पर पीठ ने कहा कि यह मामला आज के दिन की लिस्ट में शामिल नहीं है। इसे बाद में शामिल किया जा सकता है। गौरतलब है कि अब सर्वोच्च अदालत की कार्रवाई 5 अप्रैल को शुरु होगी। इस बीच त्योहारों की छुट्टियां और साप्ताहिक अवकाश रहेंगे।
हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप से किया था इनकार
बता दें कि भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पंचायत चुनाव में सीटों के आरक्षण में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। भाजपा नेता ने याचिका में आरोप लगाया था कि टीएमसी ने अपने हिसाब से पंचायत चुनाव में सीटों का आरक्षण किया है। जिसका टीएमसी को चुनाव में फायदा मिल सकता है। सुवेंदु अधिकारी ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी का सही डाटा प्रकाशित नहीं करने का आरोप भी टीएमसी पर लगाया। इस पर हाईकोर्ट ने इस स्तर पर चुनाव में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। हालांकि कोर्ट ने ये भी माना कि सुवेंदु अधिकारी के आरोपों में दम है। हाईकोर्ट ने इस मामले को राज्य चुनाव आयोग पर छोड़ दिया है। हाईकोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
पश्चिम बंगाल में इस साल के मध्य में पंचायत चुनाव होने हैं। इस दौरान कुल 31,836 पंचायतों, 6158 पंचायत समितियों और 822 जिला परिषदों में चुनाव होने हैं। पिछले पंचायत चुनाव में टीएमसी ने 90 प्रतिशत सीटों पर जीत दर्ज की थी।
सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
SC ने केंद्र को ईसाइयों पर कथित हमलों के मामलों पर रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को देश भर में ईसाई संस्थानों और पादरियों पर कथित हमलों के मामलों को लेकर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने ये निर्देश दिया। पीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) से कहा कि वह राज्यों द्वारा अदालत के दिशानिर्देशों के अनुपालन पर एक रिपोर्ट का मिलान करे और उसके समक्ष पेश करे।
इससे पहले मामले में याचिकाकर्ता के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने अदालत में दावा किया कि हर जिले में नोडल अधिकारियों को अधिसूचित किया गया है, बावजूद इसके ईसाई संस्थानों और पादरियों पर हमलों की घटनाएं वे दर्ज नहीं कर रहे हैं। उनकी दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने यह निर्देश जारी किया।
अरविंद केजरीवाल
- फोटो : अमर उजाला
दिल्ली सरकार की याचिका पर एलजी कार्यालय को 'सुप्रीम' नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली नगर निगम में 10 सदस्यों के नामांकन को रद्द करने की दिल्ली सरकार की याचिका पर बुधवार को सुनवाई की। सुनवाई के दौरान दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्यपाल के कार्यालय से जवाब तलब किया है।
गौरतलब है कि वकील शादन फरासत के माध्यम से दायर याचिका में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने निर्वाचित सरकार और उसके मंत्रिपरिषद की 'सहायता और सलाह' के बिना कथित रूप से सदस्यों को नामित करने के उपराज्यपाल के फैसले को चुनौती दी है। साथ ही इसमें उपराज्यपाल कार्यालय को दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 3(3)(बी)(i) के तहत मंत्रिपरिषद की सलाह से एमसीडी में सदस्यों को नामित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी की दलीलों पर ध्यान देते हुए शीर्ष कोर्ट ने एलजी कार्यालय को नोटिस जारी किया। अदालत ने जवाब दाखिल करने के लिए 10 अप्रैल का समय दिया है।
सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
केंद्र को देश में विमानों के फ्युमिगेशन पर निर्देश जारी करने की शीर्ष कोर्ट ने दी अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने यात्रियों और चालक दल के सदस्यों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विमानों के फ्युमिगेशन पर निर्देश जारी के लिए केंद्र सरकार को अनुमति दे दी है। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा है कि इसके लिए केंद्र को एक उच्चाधिकार प्राप्त पैनल की सिफारिशों का अनुसरण करना होगा।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी की दलीलों पर ध्यान दिया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने उड़ान भरने और उतरने से पहले विमान के कीटाणुशोधन पर पैनल की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है।
पीठ ने इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड द्वारा दायर याचिका का निस्तारण करते हुए यह आदेश दिया। पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार को विमान के यात्रियों और चालक दल के सदस्यों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में निर्देश जारी करने की अनुमति देते हैं।
सुप्रीम कोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
डीआरटी में हेल्प डेस्क के अलावा ई-सेवा केंद्र स्थापित करे केंद्र- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को वकीलों और वादियों के लिए देशभर में ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) में हेल्प डेस्क के अलावा ई-सेवा केंद्र स्थापित करने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने यह निर्देश यह देखते हुए कहा दिया है कि ई-फाइलिंग न्याय के प्रशासन में पारदर्शिता और दक्षता प्रदान करती है।
सुप्रीम कोर्ट मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के डीआरटी और ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण (डीआरएटी) में ई-फाइलिंग के अभ्यास को अनिवार्य बनाने वाली अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि ई-फाइलिंग करने का फैसला हाईकोर्ट समेत अन्य न्यायाधिकरणों की ओर से दोहराया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि वह देश में डिजिटल विभाजन से बेखबर नहीं हो सकती है और वह इस बात से सहमत है कि सभी नागरिकों के पास समान पहुंच नहीं है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर का सुदर्शन चक्र
- फोटो : Social media
सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ मंदिर मामले में ओडिशा सरकार से अनुपालन रिपोर्ट मांगी
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ओडिशा सरकार को पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के प्रबंधन के लिए 2019 में जारी उसके निर्देशों के अनुपालन पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने न्याय मित्र के रूप में अदालत की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार की इस दलील पर गौर करने के बाद यह आदेश पारित किया कि शीर्ष अदालत के 4 नवंबर, 2019 के आदेश के बाद कोई स्थिति रिपोर्ट दायर नहीं की गई है।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि पुरी में प्राचीन मंदिर के मामलों के प्रबंधन के लिए पूर्णकालिक प्रशासक नियुक्त नहीं किया गया है। पीठ ने कहा कि आज तक हमें पता नहीं है कि किन निर्देशों का पालन हुआ और किनका नहीं। इसलिए, इस अदालत से जारी विभिन्न निर्देशों के अनुपालन पर एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट चार सप्ताह में पेश की जाए। रिपोर्ट की एक प्रति न्याय मित्र को पूर्व में उपलब्ध कराई जाए। शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई एक मई को करेगी।
सुप्रीम कोर्ट।
- फोटो : ANI
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वी एम वेलुमणि के अनुरोध को किया खारिज
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वी एम वेलुमणि द्वारा उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद पर बनाए रखने के अनुरोध को खारिज कर दिया। दरअसल,कॉलेजियम ने 29 सितंबर, 2022 को न्यायमूर्ति वेलुमणि को कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दिया था। इस पर न्यायमूर्ति वेलुमणि ने पुनर्विचार की मांग की थी। लेकिन कॉलेजियम ने उनके इस अनुरोध को खारिज कर दिया।
जस्टिस वीएम वेलुमणि ने 17 मार्च, 2023 को एक पत्र द्वारा उत्तर-पूर्वी राज्यों के हाई कोर्ट जैसे मणिपुर या त्रिपुरा में स्थानांतरण की मांग की थी। उन्होंने इसके पीछे तर्क दिया था कि अगर ऐसा होता है तो वह चेन्नई में अपने आधिकारिक आवास को बनाए रखने में सक्षम होगी। इस पर कॉलेजियम ने कहा कि उसके पहले के फैसले पर पुनर्विचार करने का कोई वैध कारण नहीं है।
इसी तरह एक अन्य प्रस्ताव में, कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा के पटना उच्च न्यायालय से तबादले का आग्रह किया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। उन्हें अब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का फैसला किया गया है। वह वर्तमान में पटना हाई कोर्ट में तैनात हैं।
उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य और पटना में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं की अनुपलब्धता के आधार पर राजस्थान उच्च न्यायालय में प्रत्यावर्तन की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कहा कि न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा को उनके मूल हाई कोर्ट में वापस लाना संभव नहीं है। कॉलेजियम ने 28 मार्च के प्रस्ताव में कहा कि उनके खराब स्वास्थ्य को देखते हुए न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जाए। जहां उनका उचित इलाज हो सकेगा।
ऐसे ही एक तीसरे प्रस्ताव में, कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन के मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया। न्यायमूर्ति श्रीधरन ने इस आधार पर मध्य प्रदेश से बाहर स्थानांतरण की मांग की थी कि उनकी बड़ी बेटी अगले साल अभ्यास शुरू करेगी और जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के समक्ष पेश होगी। ऐसे में जबकि उनकी बेटी अपनी लॉ प्रैक्टिस करेगी तो वह मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय में बने रहने की इच्छा नहीं रखते हैं।
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