कोरोना वैक्सीन के भंडारण को लेकर एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकारें आमने-सामने आ चुकी हैं। इस बार भाजपा शासित प्रदेशों ने भी कहा कि उनके पास वैक्सीन का पर्याप्त भंडारण नहीं है। इसलिए एक मई से चौथा चरण शुरू नहीं कर सकते हैं। पंजाब, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र सहित 10 से भी ज्यादा राज्य सरकारें 18 साल से अधिक आयु वालों के टीकाकरण शुरू करने से इनकार कर चुकी हैं। लेकिन केंद्र सरकार के बयान ने सबको हैरान कर दिया। केंद्र के अनुसार, देश में टीके का कोई संकट नहीं है। राज्यों के पास एक करोड़ से अधिक खुराक उपलब्ध है।
अमर उजाला ने 28 अप्रैल को ही पाठकों को जानकारी दी थी कि एक मई से पहले देश में टीके की कमी हो सकती है। बुधवार को तीन घंटे में 80 लाख लोगों ने पंजीयन किया था जबकि उस दौरान राज्यों के पास केवल 90 लाख खुराक ही मौजूद थी जिनका 29 और 30 अप्रैल को भी इस्तेमाल किया जाना था।
शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव कुमार अग्रवाल ने यहां तक कह दिया कि चौथा चरण एक मई से शुरू होगा। हालांकि कुछ जगहों पर ही 18 साल से अधिक आयु के लोगों को वैक्सीन मिल सकती है।
3 दिन में 2.45 करोड़ से ज्यादा ने कराया पंजीयन
उधर, कोविन वेबसाइट पर वैक्सीन लगवाने के लिए लोगों का पंजीयन अब तक करोड़ों में पहुंच चुका है। महज तीन दिन में ही 2.45 करोड़ से ज्यादा आवेदन सरकार को मिल चुके हैं। जबकि उनके पास वैक्सीन की 1.20 करोड़ डोज ही अभी है।
केंद्र ने कहा, इन राज्यों ने बर्बाद कर दीं डोज
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि राज्य वैक्सीन न होने का हवाला दे रहे हैं लेकिन ज्यादातर राज्यों में खुराक काफी बर्बाद हुई हैं। मंत्रालय ने जानकारी दी है कि तमिलनाडु ने अब तक 8.83 और असम ने 7.70 फीसदी खुराक बर्बाद की हैं। पंजाब ने 4.98, बिहार में 4.95, मेघालय में 4.01, नागालैंड में 4.13, दादर नागर हवेली में 4.99, हरियाणा में 5.72 और मणिपुर में 7.44 फीसदी खुराक बर्बाद हुई हैं। इनके अलावा देश में सबसे ज्यादा लक्षद्वीप में 9.76 फीसदी खुराक अब तक बर्बाद हो चुकी हैं।
उन्होंने बताया कि राजस्थान और महाराष्ट्र सरकार वैक्सीन न होने का हवाला दे रही है। जबकि राजस्थान को अब तक 1.36 करोड़ डोज मिली हैं जिनमें से 1.33 करोड़ खर्च हुई हैं। इनके अलावा महाराष्ट्र में 1.63 करोड़ डोज दी गईं और इनमें से 1.59 करोड़ खर्च हुई हैं। उत्तर प्रदेश को 1.41 करोड़ डोज दी गईं और वहां 1.28 करोड़ डोज ही खर्च हुई हैं। इनमें बर्बाद होने वाली डोज का भी आंकड़ा शामिल है।
विस्तार
कोरोना वैक्सीन के भंडारण को लेकर एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकारें आमने-सामने आ चुकी हैं। इस बार भाजपा शासित प्रदेशों ने भी कहा कि उनके पास वैक्सीन का पर्याप्त भंडारण नहीं है। इसलिए एक मई से चौथा चरण शुरू नहीं कर सकते हैं। पंजाब, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र सहित 10 से भी ज्यादा राज्य सरकारें 18 साल से अधिक आयु वालों के टीकाकरण शुरू करने से इनकार कर चुकी हैं। लेकिन केंद्र सरकार के बयान ने सबको हैरान कर दिया। केंद्र के अनुसार, देश में टीके का कोई संकट नहीं है। राज्यों के पास एक करोड़ से अधिक खुराक उपलब्ध है।
अमर उजाला ने 28 अप्रैल को ही पाठकों को जानकारी दी थी कि एक मई से पहले देश में टीके की कमी हो सकती है। बुधवार को तीन घंटे में 80 लाख लोगों ने पंजीयन किया था जबकि उस दौरान राज्यों के पास केवल 90 लाख खुराक ही मौजूद थी जिनका 29 और 30 अप्रैल को भी इस्तेमाल किया जाना था।
शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव कुमार अग्रवाल ने यहां तक कह दिया कि चौथा चरण एक मई से शुरू होगा। हालांकि कुछ जगहों पर ही 18 साल से अधिक आयु के लोगों को वैक्सीन मिल सकती है।
3 दिन में 2.45 करोड़ से ज्यादा ने कराया पंजीयन
उधर, कोविन वेबसाइट पर वैक्सीन लगवाने के लिए लोगों का पंजीयन अब तक करोड़ों में पहुंच चुका है। महज तीन दिन में ही 2.45 करोड़ से ज्यादा आवेदन सरकार को मिल चुके हैं। जबकि उनके पास वैक्सीन की 1.20 करोड़ डोज ही अभी है।
केंद्र ने कहा, इन राज्यों ने बर्बाद कर दीं डोज
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि राज्य वैक्सीन न होने का हवाला दे रहे हैं लेकिन ज्यादातर राज्यों में खुराक काफी बर्बाद हुई हैं। मंत्रालय ने जानकारी दी है कि तमिलनाडु ने अब तक 8.83 और असम ने 7.70 फीसदी खुराक बर्बाद की हैं। पंजाब ने 4.98, बिहार में 4.95, मेघालय में 4.01, नागालैंड में 4.13, दादर नागर हवेली में 4.99, हरियाणा में 5.72 और मणिपुर में 7.44 फीसदी खुराक बर्बाद हुई हैं। इनके अलावा देश में सबसे ज्यादा लक्षद्वीप में 9.76 फीसदी खुराक अब तक बर्बाद हो चुकी हैं।
उन्होंने बताया कि राजस्थान और महाराष्ट्र सरकार वैक्सीन न होने का हवाला दे रही है। जबकि राजस्थान को अब तक 1.36 करोड़ डोज मिली हैं जिनमें से 1.33 करोड़ खर्च हुई हैं। इनके अलावा महाराष्ट्र में 1.63 करोड़ डोज दी गईं और इनमें से 1.59 करोड़ खर्च हुई हैं। उत्तर प्रदेश को 1.41 करोड़ डोज दी गईं और वहां 1.28 करोड़ डोज ही खर्च हुई हैं। इनमें बर्बाद होने वाली डोज का भी आंकड़ा शामिल है।